जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद कांग्रेस पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस से गठबंधन कर लिया है। दोनों पार्टियों के गठबंधन के बाद से ही भारतीय जनता पार्टी इस पर हमलावर नजर आ रही है। गृह मंत्री अमित शाह से लेकर बीजेपी शासित राज्य के सभी मुख्यमंत्री इस गठबंधन की आलोचना कर चुके हैं। इस गठबंधन को लेकर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने निशाना साधा है। हिमंता ने दावा किया है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस का घोषणापत्र भारत विरोधी और पाकिस्तान के समर्थन का दस्तावेज है।’
मीडिया से बात करते हुए हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस का चुनावी घोषणापत्र में स्पष्ट रूप से कहा है कि वे पाकिस्तान के साथ रचनात्मक बातचीत के पक्षधर हैं। उनकी पार्टी ने अपने एजेंडे में इसको शामिल किया है, ‘नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा है कि वो भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 और 35 (ए) को फिर से बहाल करेंगे।
आरक्षण बंद कर देगी नेशनल कॉफ्रेंस
हिमंत ने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस ने इस बात पर भी जोर दिया है कि वो पाकिस्तान के साथ रचनात्मक बातचीत के पक्षधर हैं। वो पाकिस्तान के साथ व्यापार करना चाहते हैं।’ नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अपने एजेंडे में इसको भी शामिल किया है कि जो लोग कश्मीर के लोगों और पुलिस पर पथराव और जघन्य अपराध करते हैं उनको सरकारी सेवाओं में फिर से वापस लिया जाएगा। उनका घोषणापत्र बताता है कि वे दलितों, गूजरों, बकरवालों, पहाड़ी समुदाय के लोगों को दिए जाने वाले आरक्षण को भी बंद कर देंगे।
ऐसे में नेशनल कॉन्फ्रेंस से कांग्रेस ने गठबंधन करके उसके घोषणापत्र पर अपनी सहमती दे दी है। इस घोषणापत्र को देखकर ऐसा लगता है कि यह एक पाकिस्तान समर्थक दस्तावेज है साथ ही कुछ कट्टरपंथियों का दस्तावेज है।
370 खत्म होने के बाद पहला चुनाव
जम्मू कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव तीन चरणों में होने वाले हैं। 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्तूबर को वोटिंग होनी है जबकि 4 अक्तूबर को मतगणना होनी है। साल 2019 में केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 और 35 (ए) को समाप्त कर दिया था। जिसके बाद विधानसभा के लिए ये पहला चुनाव हो रहा है।