इस त्रासदी में 100 से ज्यादा लोगों की जानें जा चुकी हैं । 24 से अधिक पुल, हजारों मकान के साथ ही हजारों वाहन नदियों में अब तक समा चुके हैं। अभी भी कई लोग लापता हैं। एक लाख के लगभग लोग तो अकेले कुल्लू मनाली में ही थे, जिनमें अधिकांश को पांचवें छठे दिन आपदा राहत टीमों ने निकाल लिया। अभी कितने लापता हैं किसी के पास आंकड़ा नहीं है।

नदियों के किनारे लाशों के मिलने का क्रम जारी है। कुल्लू मनाली के बीच लगा टोल टैक्स बैरियर का रिकार्ड बताता है कि आपदा आने से पहले एक ही दिन में उससे होकर 12 हजार गाड़ियां गुजरी हैं। प्रदेश के पुलिस प्रमुख डीजीपी संजय कुंडू का कहना है कि मनाली में अब एक लाख पर्यटकों के रहने की व्यवस्था है। कभी यहां महज कुछ सौ होटल थे जो अब बढ़कर 3500 हो गए हैं। ऐसे में घूमने आए पर्यटक, जिन्हें नदियों के साथ जाकर पानी से खेलना ज्यादा पसंद रहता है, के बारे में पूरी जानकारी लेने में समय लगेगा। यूं भी हिमाचल प्रदेश सरकार ने 15 सितंबर तक इस आपदा के लिए स्थापित किए गए नियंत्रण कक्ष जारी रखने का निर्णय लिया है।

पुलिस प्रमुख संजय कुंडू बताते हैं कि 3 अक्तूबर 2020 को जब रोहतांग सुरंग का उदघाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था, उसके बाद से देश-विदेश के पर्यटकों की आमद बढ़ी है। लाहुल स्पीति घाटी में पर्यटकों की पहुंच आसान हो गई है। एक साल में 20 लाख से ज्यादा वाहन इस अटल सुरंग से गुजरते हैं। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि हिमाचल में पर्यटन कितना बढ़ा है। अब जुलाई महीने की बरसात ने प्रदेश को बेहाल कर दिया है। मंडी से मनाली तक का राजमार्ग सुधरने में सालों लग जाएंगे।

कीरतपुर मनाली फोरलेन को हुए बड़े नुकसान के पीछे एनएचएआइ की अलाइनमेंट को ज्यादा जिम्मेवार माना जा रहा है। इसको प्रदेश सरकार के नियमों के खिलाफ भी बताया गया है। एनएचएआइ प्रदेश में कई फोरलेन पर काम कर रही है। उसे इस त्रास्दी से सबक लेकर अपनी अलाइनमेंट को दुरूस्त करना होगा। इस समय हालात ऐसे हैं कि आठ दिन बाद भी हजारों वाहन अभी अपने गंतव्य तक नहीं पहुंच पाए।

अभी भी सैंकड़ों सड़कें बंद हैं। पेयजल की व्यवस्था चरमराई हुई है। बिजली के खंबे तारें टूटे हुए हैं। नेटवर्क ध्वस्त हो चुका है। पुल टूटे हुए हैं। मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, विपक्ष के नेता, मंत्री, केंद्र के मंत्री, सांसद, राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेता, अधिकारी, कर्मचारी समेत पूरा अमला फंसे लोगों को निकालने, राहत शिविरों में रखे गए लोगों की व्यवस्था करने, किसी तरह से लोगों तक पेयजल पहुंचाने, जैसे तैसे वाहन योग्य सड़कों को खोल कर दुश्वारियों को कुछ कम करने में लगे हैं, जबकि बेघर हुए लोगों को बसाने, सड़कें बनाने, टूटे पुलों को फिर से तैयार करने, सीवरेज प्रणाली को बहाल करने और स्थिति को सामान्य बनाने में सालों का समय लगेगा।

प्रदेश सरकार ने आरंभिक आकलन आठ हजार करोड़ का लगाया है और मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केंद्र सरकार से तुरंत राहत के तौर पर 2 हजार करोड़ मांगे हैं। साथ ही उन्होंने प्रदेश में डीजल पर 3 फीसद वैट बढ़ा कर पैसा जुटाने का जुगाड़ निकाला है जिसका विरोध हो रहा है। विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर का कहना है कि केंद्र सरकार ने 365 करोड़ की मदद प्रदेश सरकार को भेज दी है।

इस बारे में प्रदेश सरकार इसे नियमित मिलने वाली राशि करार देते हुए यह दावा कर रही है कि इस आपदा के लिए अभी कोई पैसा नहीं आया। केंद्र से भी एक टीम नुकसान के आकलन के लिए प्रदेश में आ रही है। कुछ भी हो प्रदेश में संसाधन इतने नहीं हैं। अगले साल चुनाव भी हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी हालात देख गए हैं। अनुराग सिंह ठाकुर भी दौरा कर गए हैं। ऐसे में लगता है कि एक बड़ी राशि केंद्र की ओर से प्रदेश में आएगी, जिससे बेहाली पर कुछ मरहम लग पाएगा। देखना यही होगा कि यह राशि कितनी और कैसे आती है।