दुष्कर्म के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस उस समय भौचक रह गए जब उनको पता चला कि इलाहाबाद हाईकोर्ट पीड़िता की जन्म कुंडली खंगाल रहा है। टॉप कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए स्वतः संज्ञान लेकर खुद इस मामले की सुनवाई शुरू की थी। दोनों जस्टिस हैरत में थे कि रेप केस में कुंडली खंगालने की जरूरत क्यों पड़ी। इस सारी कवायद का आपराधिक मामले से क्या लेनादेना है? ऐसा लग रहा था कि सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के फैसले पर तल्ख टिप्पणी कर कोई फैसला ले सकता है। लेकिन आज इस मामले को निपटा कर बंद कर दिया गया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के पास पीड़िता से शिकायत की थी कि आरोपी ने शादी का झांसा देकर उसके साथ कई बार रेप किया। जबकि दूसरे पक्ष का कहना था कि वो शादी से पीछे नहीं हट रहा। लेकिन विवाह इस वजह से नहीं हो सका, क्योंकि लड़की मांगलिक है।
HC के जस्टिस बृजराज सिंह ने दिया था 10 दिन के भीतर कुंडली खंगालने का आदेश
अजीबोगरीब हालात से सकते में आए हाईकोर्ट के जस्टिस बृजराज सिंह ने दोनों पक्षों की सहमति के बाद फैसला लिया कि लखनऊ विवि के एस्ट्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष ये पता लगाए कि लड़की वाकई मांगलिक है भी या नहीं। हालांकि आदेश पर अमल हो पाता कि इससे पहले ही सुप्रीम कोर्ट की नजर इस पर पड़ गई।
SC के जस्टिस सुधांशु धूलिया ने पूछा- रेप केस से कुंडली का क्या लेनादेना है
जस्टिस सुधांशु धूलिया जस्टिस पंकज मित्तल की बेंच ने हाईकोर्ट के आदेश पर तुरंत रोक लगाकर स्वतः संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई शुरू की। जस्टिस धूलिया का सवाल था कि हाईकोर्ट आरोपी की बेल एप्लीकेशन पर सुनवाई कर सकता है। लेकिन ये कहीं से भी न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता है कि पीड़िता की जन्म कुंडली खंगाली जाए। हालांकि एक पक्ष की दलील थी कि ज्योतिष विज्ञान अहम विषय है। लखनऊ विवि में भी इसे लेकर कोर्स चलाया जा रहा है। जस्टिस धूलिया का कहना था कि ज्योतिष विज्ञान को वो नहीं नकार रहे लेकिन रेप केस में इसका क्या औचित्य है?
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने तब इस याचिका को निपटाते हुए खत्म कर दिया जब सरकार और शिकायतकर्ता की तरफ से बताया गया कि आरोपी की बेल एप्लीकेशन खारिज की जा चुकी है। पुलिस ने भी इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी है। लिहाजा हाईकोर्ट के फैसले की तह में जाने की तुक नहीं बनती। टॉप कोर्ट ने याचिका को ही बंद कर दिया।