पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने राम रहीम की पैरोल को लेकर राज्य सरकार को सख्त निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने हरियाणा सरकार को सख्स निर्देश देते हुए कहा, “दुष्कर्म के दोषी राम रहीम को हमारी अनुमति के बिना अब पैरोल न दी जाए”।

कोर्ट ने कहा “हम चाहते हैं कि हरियाणा एक हलफनामा पेश करे कि ऐसे आपराधिक रिकॉर्ड रखने वाले और तीन मामलों में सजा पाने वाले कितने लोगों को यह लाभ दिया गया है। इस बीच डेरा प्रमुख 10 मार्च को आत्मसमर्पण कर सकता है…”।

पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से कहा कि उसकी अनुमति के बिना डेरा सचा सौदा प्रमुख और दुष्कर्म के दोषी गुरमीत राम रहीम को और पैरोल न दी जाए। मुख्य न्यायाधीश जी.एस.संधावालिया और न्यायमूर्ति लपिता बनर्जी की पीठ शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को अस्थायी रूप से रिहा करने के फैसले को चुनौती दी गई थी।

असल में गुरमीत सिंह को 19 जनवरी को 50 दिन की पैरोल दी गई थी। इससे करीब दो महीने पहले भी डेरा प्रमुख को 21 नवंबर 2023 में 21 दिन की छुट्टी दी गई थी जो रोहतक के सुनारिया जेल से 2023 में तीसरी अस्थायी रिहाई थी। सिंह अपनी दो शिष्याओं से बलात्कार के आरोप में 20 साल की जेल की सजा काट रहा है। 2021 में, डेरा प्रमुख को चार अन्य लोगों के साथ, डेरा प्रबंधक रणजीत सिंह की हत्या की साजिश रचने के लिए भी दोषी ठहराया गया था।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ‘‘इस बीच, उक्त प्रतिवादी तय तारीख यानी 10 मार्च 2024 को आत्मसमर्पण कर सकता है और उसके बाद राज्य के अधिकारी इस कोर्ट की अनुमति के बिना अगले आदेश तक उसे पैरोल देने पर विचार नहीं करेंगे।’’ कोर्ट ने आदेश में कहा कि हरियाणा राज्य इस आशय का जरूरू हिरासत प्रमाण पत्र भी दाखिल करेगा कि उक्त प्रतिवादी ने तय तिथि पर आत्मसमर्पण कर दिया है।