Kangana Ranaut: पंजाब और हरियाणा कोर्ट से फिल्म अभिनेत्री और बीजेपी सांसद कंगना रनौत को बड़ा झटका लगा है। हाई कोर्ट ने किसानों के विरोध-प्रदर्शन पर ट्वीट के लिए कंगना रनौत के खिलाफ 2021 के मानहानि के मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, कंगना रनौत ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में आरोप लगाया कि एक बुज़ुर्ग महिला प्रदर्शनकारी महिंदर कौर को आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए पैसे दिए गए थे। रनौत द्वारा रीपोस्ट किए गए ट्वीट में लिखा था, ‘हा हा हा, ये वही दादी हैं जिन्हें टाइम पत्रिका में सबसे शक्तिशाली भारतीय बताया गया था… और ये 100 रुपये में उपलब्ध हैं। पाकिस्तानी पत्रकारों ने शर्मनाक तरीके से भारत के अंतर्राष्ट्रीय पीआर को हाईजैक कर लिया है। हमें अपने ही लोगों की ज़रूरत है जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हमारी बात कहें।’

हाई कोर्ट के जस्टिस त्रिभुवन दहिया की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता (कंगना) जो एक सेलिब्रिटी हैं। उनके खिलाफ आरोप हैं कि रीट्वीट में उनके द्वारा लगाए गए झूठे और अपमानजनक आरोपों ने प्रतिवादी की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई है और उन्हें न केवल, उनकी बल्कि दूसरों की नज़रों में भी नीचा दिखाया है। इसलिए, उनके अधिकारों की रक्षा के लिए शिकायत दर्ज करना दुर्भावनापूर्ण नहीं कहा जा सकता… उपरोक्त चर्चा के मद्देनजर, याचिका में कोई दम नहीं है और इसे खारिज किया जाता है।

शिकायत में आरोप लगाया गया है कि रनौत ने एक अपमानजनक रीट्वीट किया था जिसमें कहा गया था कि एक बुजुर्ग महिला किसान को पैसे लेकर मीडिया में धोखे से पेश किया गया। ट्वीट में उनकी तुलना एक अन्य कार्यकर्ता से की गई थी और अपमानजनक टिप्पणी की गई थी।

बाद में प्रारंभिक साक्ष्य दर्ज किए गए और मजिस्ट्रेट ने ट्विटर (अब एक्स) से एक रिपोर्ट मांगी, जो अधिकार क्षेत्र की सीमाओं के कारण प्रस्तुत नहीं की जा सकी। इसके बाद, मजिस्ट्रेट ने रिकॉर्ड में मौजूद सामग्री के आधार पर रनौत को तलब किया। अभिनेत्री ने इस समन के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख किया।

सुनवाई के दौरान, रनौत के वकील ने तर्क दिया कि ट्विटर रिपोर्ट की कमी और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499 (मानहानि) के तहत अपवादों पर विचार न करने के कारण समन अनुचित था। यह भी तर्क दिया गया कि मजिस्ट्रेट ने ट्वीट की प्रकृति को गलत समझा तथा पोस्ट के मूल लेखक को नजरअंदाज कर दिया।

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हालांकि, कौर के वकील ने दावा किया कि प्रथम दृष्टया मानहानि का मामला स्थापित करने के लिए पर्याप्त सबूत पेश किए गए थे, और ट्विटर द्वारा मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराने में विफल रहने के बाद मजिस्ट्रेट ने सही ढंग से समन जारी किया। कोर्ट ने माना कि मजिस्ट्रेट ने सही ढंग से अपने विवेक का इस्तेमाल किया और आवश्यक जांच की तथा प्रथम दृष्टया मानहानि का साक्ष्य पाया।

क्या है पूरा मामला?

यह मामला साल 2021 से जुड़ा है। जब देश में किसान आंदोलन जोरों पर था। उस दौरान कंगना ने एक्स पर एक पोस्ट किया था। इस पोस्ट में उन्होंने बठिंडा के बहादुरगढ़ जंडिया गांव की रहने वाली महिला किसान महिंदर कौर पर 100-100 रुपए लेकर धरने में शामिल होने का आरोप लगाया था। कंगान की उसी पोस्ट के खिलाफ बुजुर्ग ने 4 जनवरी 2021 को बठिंडा कोर्ट का रुख किया था। हालांकि, उस पोस्ट को कंगना ने बाद में हटा लिया था। हालांकि कंगना ने इस पर कहा था कि उन्होंने एक वकील की पोस्ट को रीपोस्ट किया था, लेकिन अब कोर्ट ने उनको राहत नहीं दी है। वहीं, कोर्ट ने मालेगांव विस्फोट मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर सहित सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया है। पढ़ें…पूरी खबर।