भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार कार्यकर्ता ज्योति जगताप की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 21 सितंबर को सुनवाई करेगा। रिट में बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी। 2022 में हाईकोर्ट ने ज्योति को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा था कि उनके खिलाफ एनआईए का मामला सही है। वह भाकपा (भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी) की एक बड़ी साजिश का हिस्सा थीं।

ज्योति की याचिका सुनवाई के लिए जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस संजय कुमार की बेंच के समक्ष पेश की गई। एनआईए की ओर से पेश वकील ने दो सप्ताह का समय मांगते हुए कहा कि जवाबी हलफनामा फिर से जांच के लिए भेजा गया है।

ज्योति की तरफ से पेश वकील अपर्णा भट ने कहा कि उनकी मुवक्किल तकरीबन तीन साल से हिरासत में हैं। शीर्ष अदालत को इस मामले पर सुनवाई के लिए एक तारीख तय करनी चाहिए। बेंच ने कहा कि याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार की जाती है। इसे 21 सितंबर के लिए लिस्ट कीजिए।

सुप्रीम कोर्ट ने ही एल्गार परिषद मामले में वर्नोन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा को दी थी जमानत

बेंच ने 14 सितंबर तक हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि उसने एक प्रकार के फॉर्मूले के आधार पर पहले दो आरोपियों की याचिकाओं पर फैसला किया था। हम देखेंगे कि यह उस फॉर्मूले में फिट बैठता है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने ही एल्गार परिषद मामले में वर्नोन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा को 28 जुलाई को जमानत दी थी। बेंच ने कहा था कि वो दोनों पांच साल से हिरासत में हैं।

अदालत ने चार मई को जगताप की याचिका पर महाराष्ट्र सरकार और एनआईए से जवाब मांगा था। जगताप ने उन्हें जमानत देने से इनकार करने के बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है। उच्च न्यायालय ने कहा था कि जगताप उस कबीर कला मंच (केकेएम) समूह की सक्रिय सदस्य थीं, जिसने 31 दिसंबर, 2017 को पुणे शहर में एल्गार परिषद सम्मेलन में अपने नाटक के दौरान न केवल ‘‘आक्रामक, बल्कि अत्यधिक भड़काऊ नारे’’ लगाए।

भीमा कोरेगांव का मामला 2020 के दौरान सामने आया था। एनआईए ने जांच के बाद कहा कि इस मामले से जुड़े लोग एक बड़ी साजिश का हिस्सा थे। वो देश में अस्थिरता फैलाने की साजिश रच रहे थे। मामले से जुड़े आरोपियों ने जब भी जमानत के लिए अदालत का रुख किया एनआईए ने हर बार उनकी रिट का विरोध करते हुए कहा कि इससे एक गलत संदेश समाज में जाएगा। एजेंसी का कहना है कि आरोपियों को जेल में रखा जाना चाहिए।