हैदराबाद एनकाउंटर केस मामले में गुरुवार को उच्चतम न्यायालय ने कहा कि तेलंगाना में पशु चिकित्सक के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के चार आरोपियों के मुठभेड़ में मारे जाने की जांच होनी चाहिए। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एसए बोवडे ने कहा कि लोगों को सच जानने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए एक आयोग बनाया है जो 6 महीने में अपनी जांच रिपोर्ट देगा।

इस जांच के लिए तीन सदस्यीय आयोग का गठन किया गया है जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश वीएस सिरपुरकर करेंगे। बंबई उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश रेखा सोंदूर बलदोटा, सीबीआई के पूर्व निदेशक डी. आर. कार्तिकेयन जांच पैनल के अन्य सदस्य होंगे। जांच आयोग को 6 महीने में अपनी रिपोर्ट देनी होगी। वहीं इसके अलावा अदालत के अगले आदेश तक कोई अन्य अदालत या प्राधिकरण इस मामले में पूछताछ नहीं करेगा।

प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह कहा। याचिकाओं में पिछले सप्ताह मुठभेड़ में मारे गए आरोपियों की स्वतंत्र जांच की मांग की गई थी। पीठ ने कहा, “हमारा मानना है कि तेलंगाना में पशु चिकित्सक के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के चार आरोपियों के मुठभेड़ में मारे जाने की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।”

पीठ में न्यायमूर्ति एस. ए. नजीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना भी शामिल थे। उन्होंने कहा कि आपकी (तेलंगाना सरकार) कहानी के कई पहलू हैं, जिनकी जांच की आवश्यकता है। तेलंगाना सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि किसी पुलिस कर्मी को गोली नहीं लगी है लेकिन वे आरोपियों द्वारा किए हमले में घायल हुए।

सीजेआई ने कहा कि हम ये नहीं कह रहे कि पुलिस दोषी है लेकिन एनकाउंटर के तथ्यों की जांच जरूरी है। सीजेआई ने पुलिस से कहा कि हम जांच के आदेश देंगे आप साहियोग करें। उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय, एनएचआरसी में लंबित सुनवाई पर रोक लगाई और मामले में एसआईटी की रिपोर्ट मांगी है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सभी प्रिंट इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और पीसीआई को बलात्कार, हत्या की घटनाओं की रिपोर्टिंग के संबंध में उनकी सहायता के लिए नोटिस जारी किए हैं।