सही-सलामत सेहत और जिंदगी किसी दिन कांप जाती है, जब एक पांव अचानक दर्द से भर उठता है और फिर एक कदम भी उठाने से जी डरने लगता है। इस हालत के कुछ दूसरे कारण हो सकते हैं, लेकिन अगर किसी एक पैर की कोई नस कहीं से दब गई है तो कमर से लेकर नीचे एड़ी तक पांव में दर्द चैन नहीं लेने देता।

दरअसल, इसे साइटिका का नतीजा कहते हैं, जिसमें कमर से संबंधित नसों में सूजन आ जाती है और इसकी वजह से पूरे पैर में बेहिसाब दर्द होने लगता है। फिर रोजमर्रा के कामकाज की तो दूर, बिस्तर पर से उठ कर दैनिक क्रिया की जरूरत से भी डर लगने लगता है। ऐसे में परेशानी का स्तर समझा जा सकता है। मगर जरूरी है कि ठीक समय पर इसकी पहचान की जा सके।

पीड़ा की पहचान

इस स्थिति में पहुंचने के बाद दर्द नितंबसंधि के पीछे से शुरू होकर नीचे उतरती हुई पैर के अंगूठे तक पहुंच जाती है। यों पीड़ा तो पूरे पांव में होती है, मगर घुटने और टखने के पीछे दर्द कई बार सहने की सीमा पार कर जाती है। कई बार पीड़ा इतनी अधिक होती है कि प्रभावित हिस्सा सुन्न भी पड़ गया लगता है। अगर यह कुछ ज्यादा वक्त खिंच जाए तो पैर में कमजोरी और सिकुड़न भी आ सकती है। मजबूरन कई मरीजों को गंभीर अवस्था और असहनीय पीड़ा की वजह से बिस्तर पर पड़े रहना पड़ता है, ताकि कुछ राहत मिल सके।

वजह की बात

आयुर्वेद में इसे वात रोगों के अंतर्गत रखा गया है, जो बेहिसाब डिब्बाबंद भोजन, शुष्क और शीतल पदार्थ, बीन्स, कड़वा और कषाय रसयुक्त द्रव्यों के सेवन से होता है। इसके अलावा, बहुत ज्यादा उपवास करने, बहुत देर खड़े या बैठे रहने से भी वातदोष में बढ़ोतरी हो जाती है। ऐसे में व्यक्ति आसानी से साइटिका की चपेट में आ जा सकता है।

यों यह रोग भारी वजन उठाने वाले वैसे लोगों को हो सकता है, जो आमतौर पर अपनी उम्र के पचास बसंत पार कर चुके हों। दरअसल, हड्डियों की जोड़ वाली जगहों पर जो चिकनी सतह पाई जाती है, वह उम्र के साथ घिसने लगने लगती है। इसके बाद अगर हड्डियों से पहले की क्षमता की तरह काम लिया जाता है, तो उसका बुरा असर पड़ता है और असहनीय दर्द हो सकता है। अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि सर्दी लगने, ज्यादा चलने, मल त्याग में अवरोध होने, स्त्रियों में गर्भ की अवस्था के दौरान भी इस तरह का दर्द शुरू हो सकता है।

राहत की राह

कोशिश यह हो कि ऐसी स्थिति में जकड़े ही न जाएं। मगर किन्हीं वजहों से इसकी चपेट में आ ही गए तो सबसे पहले यह हो कि ज्यादा देर तक किसी एक ही जगह पर न बैठा जाए। थोड़ी-थोड़ी देर पर कुछ देर के लिए खड़े होने या सुविधाजनक हो तो इधर-उधर टहलने का भी प्रयास किया जाए। अगर कुर्सी पर बैठ कर काम करना पड़ता हो तो कुर्सी में कमर के पीछे एक छोटा तकिया लगा लिया जाए और सीधे बैठने की कोशिश हो।

कमर की हड्डियों को आराम मिलेगा, तो राहत की राह आसान होगी। इसके अलावा, ध्यान देकर ऐसी स्थिति में झुक कर ज्यादा वजह वाली वस्तुएं न उठाई जाएं। ज्यादा दर्द हो तो उस समय कोई भी काम करने से बचा जाए।

(यह लेख सिर्फ सामान्य जानकारी और जागरूकता के लिए है। उपचार या स्वास्थ्य संबंधी सलाह के लिए विशेषज्ञ की मदद लें।)