Parbhani Violence: महाराष्ट्र के परभणी जिले के अन्नाभाऊ साठे नगर इलाके में विजयाबाई सूर्यवंशी अपने बेटे को किताबों का प्रेमी के तौर पर याद करती हैं। उन्होंने कहा कि उसकी संपत्ति उसकी किताबें थीं। वह किताबों को पढ़ने का शौकीन था। वह भीमराव आंबेडकर का 1 पर्सेंट भी बनने की ख्वाहिश रखता था। 15 दिसंबर को आंबेडकर की तरह वकील बनने के लिए पढ़ाई कर रहे सोमनाथ सूर्यवंशी की हिरासत में मौत हो गई। अंतरिम पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण काफी चोटों के बाद सदमे को बताया गया।

सोमनाथ की मौत के बाद परभणी में जमकर विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गया। ऐसा इसलिए क्योंकि 10 दिसंबर को हुए हिंसक आंदोलन के बाद दलित इलाकों से लोगों को हिरासत में लेने पर पुलिस की बर्बरता के आरोप लगे थे। इलाके में आंबेडकर की मूर्ति के पास रखी संविधान की एक प्रति को अपवित्र करने के बाद आंदोलन शुरू हुआ था।

विपक्ष ने महायुति सरकार को घेरा

विपक्ष ने इस मुद्दे पर महायुति सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है। शुक्रवार को महाराष्ट्र विधानसभा में परभणी की घटना पर चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि सोमनाथ सांस लेने में तकलीफ और अन्य बीमारियों से पीड़ित था और मजिस्ट्रेट के सामने पेश किए जाने पर उसने किसी भी पुलिस यातना की शिकायत नहीं की थी। वहीं, सरकार ने घटना की जांच के लिए एसआईटी का गठन कर दिया है। एक सब इंस्पेक्टर को सस्पेंड कर दिया गया है। हालांकि, यह सोमनाथ के परिवार के लिए पुलिस के हाथों हुई हत्या के लिए न्याय नहीं है।

दलित परिवार से आने वाले सोमनाथ पढ़ने में बहुत ही बेहतर थे। 2018 में सोमनाथ के पिता की मृत्यु होने के बाद में परिवार को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। सोमनाथ के भाई प्रेमनाथ ने कहा, ‘लेकिन सोमनाथ को लगता था कि पढ़ाई उनकी जिंदगी को बेहतर बनाने और दूसरों की मदद करने का एक तरीका है।’ सोमनाथ का एक सिद्धांत था कि जहां भी जाओ शिक्षा पाओ। सोमनाथ ने औरंगाबाद, लातूर, परभणी और पुणे जैसे शहरों में घूमते-फिरते कई कोर्स में दाखिला लिया। प्रेमनाथ ने बताया कि एक बार वकील बनने के बाद सोमनाथ जरूरतमंदों को फ्री में कानूनी मदद देने की उम्मीद करते थे।

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शांतिपूर्ण प्रदर्शन हिंसा में तब्दील

परिवार के मुताबिक, सोमनाथ संविधान के अनादर को लेकर परभणी में हुए विरोध प्रदर्शन के बाद कानूनी सलाह दे रहे थे। मुंबई से यह इलाका करीब 500 किलोमीटर दूर है। यहां पर पहले विरोध शांतिपूर्वक चल रहा था, लेकिन बाद में हिंसा में तब्दील हो गया। संविधान के अपवित्रीकरण के पीछे मिर्जापुर में रहने वाले एक शख्स का हाथ पाया गया। बताया गया कि वह मानसिक तौर पर कमजोर है और उसने ऐसा किसी भी गलत इरादे से नहीं किया था। कई लोगों ने दावा किया मिर्जापुर के शख्स को उस दिन पहले बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार को लेकर दक्षिणपंथी सकल हिंदू समाज द्वारा आयोजित एक रैली में देखा गया था।

10 दिसंबर को दलितों का विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया। इसके बाद में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 50 लोगों को हिरासत में लिया गया। इसमें सोमनाथ भारती भी शामिल था। स्थानीय लोगों का दावा है कि पुलिस रात में दलितों के इलाकों में आई और यहां तक ​​कि महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया। सोमनाथ को शंकर नगर से उठाया गया। यह दलितों की बस्ती है। इतना ही नहीं उसे दो दिनों के लिए पुलिस हिरासत में रखा गया। 15 दिसंबर को परिवार को बताया गया कि उसकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हो गई है। सोमनाथ से बात आखिरी बार 9 दिसंबर को हुई थी। इसके बाद परिवार उनसे किसी भी तरह से कॉन्टैक्ट नहीं कर पाया।

पुलिस ने परिवार से क्या कहा

सोमनाथ की मौत की खबर सुनकर सूर्यवंशी परिवार परभणी शहर जा रहा था, तभी उन्हें बताया गया कि शव को पोस्टमार्टम के लिए औरंगाबाद भेज दिया गया है। सोमनाथ की मौत पर गुस्सा भड़कने से हिंसा भड़कने की आशंका के चलते पुलिस ने परिवार से कहा कि वे शव को परभणी वापस नहीं ले जा सकते। विजयबाई ने कहा, ‘पुलिस ने मुझसे पूछा कि अगर स्थिति बिगड़ती है तो क्या मैं इसकी जिम्मेदारी लूंगी। मैंने उनसे पूछा कि क्या वे मेरे बेटे की मौत की जिम्मेदारी लेते हैं।’

सीएम देवेंद्र फडणवीस ने क्या बोला

दलित कार्यकर्ताओं की दखल अंदाजी के बाद में पुलिस ने हार मान ली। प्रेमनाथ ने कहा कि उनके भाई को न्याय मिलना चाहिए। वह पूरी तरह से बेगुनाह था और पुलिस ने उसकी हत्या कर दी। शुक्रवार को विधानसभा में सीएम फडणवीस ने कहा कि संविधान के अपमान के पीछे जो शख्स है, वह 2012 से अपनी मेंटली तौर पर सही नहीं है और उस को अपने किए पर शर्मिंदगी है।