दिल्ली उच्च न्यायालय ने सुदर्शन टीवी के कार्यक्रम ‘बिंदास बोल’ पर शुक्रवार को रोक लगा दी, जिसके हाल ही में जारी प्रोमो में दावा किया गया था चैनल ‘सरकारी सेवाओं में मुसलमानों की घुसपैठ की बड़ी साजिश का पर्दाफाश करने के लिये एक कार्यक्रम प्रसारित करने के लिये पूरी तरह तैयार है।’ कार्यक्रuresम आज रात आठ बजे प्रसारित होना था।
न्यायमूर्ति नवीन चावला ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पूर्व और मौजूदा छात्रों की ओर से दायर याचिका पर केन्द्र सरकार, संघ लोक सेवा आयोग, सुदर्शन टीवी और उसके प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई सात सितंबर को सूचीबद्ध की है। याचिका में कहा गया है कि प्रस्तावित कार्यक्रम का मकसद जामिया मिल्लिया इस्लामिया और मुस्लिम समुदाय को बदनाम करना और उनके खिलाफ नफरत फैलाना है।
हालांकि, इस रोक के बाद चैनल के एडिटर इन चीफ सुरेश चव्हाणके ने कहा- विश्व के इतिहास में पहली बार किसी शो के प्रसारण से पहले रोक लगी है। सावरकर की पुस्तक पर भी छपने से पहले बैन लगा था। अब सुरेश और सुदर्शन की बारी आई है।
दरअसल, सिविल सेवाओं में बड़ी संख्या में मुस्लिमों के आने संबंधी एक टीवी चैनल के कार्यक्रम की प्रचार क्लिप पर बृहस्पतिवार को विवाद खड़ा हो गया। जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) और सेवारत तथा सेवानिवृत्त नौकरशाहों समेत अनेक लोगों ने अल्पसंख्यक समुदाय को लेकर इस तरह की रिपोर्ट की निंदा की।
आईपीसी एसोसिएशन ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘सुदर्शन टीवी धर्म के आधार पर सिविल सेवाओं में चयनित अभ्यर्थियों को निशाना बनाते हुए खबर चला रहा है। हम सांप्रदायिक और गैरजिम्मेदाराना पत्रकारिता की निंदा करते हैं।’’
बहुजन समाज पार्टी के लोकसभा सदस्य कुंवर दानिश अली ने आरोप लगाया कि सुदर्शन न्यूज के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके ने न केवल सारी सीमाएं पार की हैं, बल्कि देश का कानून भी तोड़ा है। बसपा नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर तथा ट्विटर इंडिया से चव्हाणके के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया।
चव्हाणके ने कहा कि वह शुक्रवार को निर्धारित समय पर कार्यक्रम प्रसारित करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि आईपीएस संघ मुद्दे की दिशा बदल रहा है। उन्होंने कहा कि मुद्दा पिछले कुछ सालों में संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षाओं में चयनित कुछ श्रेणियों के लोगों की संख्या में अचानक इजाफे का है। उन्होंने लोगों से कार्यक्रम देखने के बाद ही प्रतिक्रिया देने को कहा था।
चव्हाणके ने कहा कि वह सेवारत आईएएस अधिकारियों और आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ कुछ नहीं कह रहे और उनके शो में केवल चयन प्रक्रिया में ‘पक्षपात और षड्यंत्र’ के बारे में सवाल उठाये जा रहे हैं। कई लोगों ने कार्यक्रम के प्रचार की क्लिप के खिलाफ ट्वीट किया और उसकी निंदा की।
जामिया मिलिया इस्लामिया के जनसंपर्क अधिकारी अहमद अजीम ने कहा, ‘‘हमने शिक्षा मंत्रालय को पत्र लिखकर पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी है और उनसे उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने उन्हें बताया है कि सुदर्शन चैनल ने न केवल जेएमआई और एक समुदाय विशेष की छवि खराब करने की कोशिश की, बल्कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की छवि को भी खराब करने का प्रयास किया है।’’