कोलकाता। कलकत्ता हाई कोर्ट ने बुधवार को तृणमूल कांग्रेस के सांसद तापस पाल की विपक्षी पार्टी के समर्थकों और महिलाओं को लेकर की गई कथित टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और उस टिप्पणी की सीआइडी जांच करने का आदेश दिया।
मालूम हो कि तापस पाल ने नालंदा जिले की कृशनगर विधानसभा सीट पर एक आमसभा के दौरान विपक्षी पार्टी के समर्थकों और महिलाओं के खिलाफ अपनी कथित टिप्पणी में ‘गोली मारने और बलात्कार करने’ की बात कही थी। इस मामले में हाई कोर्ट के एक खंडपीठ के विभाजित आदेश दिए जाने के बाद मुख्य न्यायमूर्ति ने यह मामला न्यायमूर्ति निशिता म्हात्रे के पास भेज दिया था। न्यायमूर्ति म्हात्रे ने एकल पीठ की उस व्यवस्था को बरकरार रखा जिसमें पाल की विवादित टिप्पणी को लेकर एक प्राथमिकी दर्ज करने और सीआईडी जांच करने का आदेश दिया गया था।
न्यायमूर्ति म्हात्रे ने कहा कि अदालत द्वारा जांच की निगरानी किए जाने की जरूरत नहीं है। अपने आदेश में उन्होंने कहा कि एकल न्यायाधीश के आदेश को रद्द करने या न करने का मुद्दा बना हुआ है और इसके चार भागों की जांच की जरूरत है। न्यायमूर्ति म्हात्रे ने न्यायमूर्ति दत्ता के आदेश के पहले तीन भाग बरकरार रखे और आदेश दिया कि जांच की अदालत द्वारा निगरानी किए जाने की जरूरत नहीं है। तापस पाल के वकील ने आदेश के परिचालन पर स्थगन का आग्रह किया, जिसे खारिज कर दिया गया। न्यायमूर्ति दत्ता ने 28 जुलाई को दिए गए अपने आदेश में राज्य की कानून व्यवस्था और पुलिस की भूमिका को लेकर तीखी टिप्पणी भी की थी। उन्होंने आदेश दिया था कि पश्चिम बंगाल सरकार के इस रुख के मद्देनजर हाई कोर्ट जांच की निगरानी करेगा कि शिकायत में किसी संज्ञेय अपराध की बात नहीं है।
न्यायमूर्ति दत्ता ने नदिया जिले के नकाशीपारा पुलिस थाने के प्रभारी निरीक्षक को आदेश दिया कि याचिकाकर्ता विप्लव चौधरी की ओर से एक जुलाई को की गई शिकायत को प्राथमिकी समझा जाए। साथ ही उन्होंने प्राथमिकी दर्ज किए जाने के 72 घंटे के अंदर यह मामला सीआइडी के उप महानिरीक्षक को स्थानांतरित करने का आदेश भी दिया।
महिलाओं के खिलाफ कथित विवादित टिप्पणी करने से आलोचनाओं के घेरे में आए पाल ने एक जुलाई को पार्टी के समक्ष बिना शर्त माफी मांगते हुए कहा था कि ऐसी टिप्पणी करके उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र और राज्य के लोगों को शर्मिंदा किया है।