Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। 2019 के राज्य में हुए चुनाव और हाल ही में खत्म हुए लोकसभा इलेक्शन के नतीजों पर नजर डालने के बाद में पता चलता है कि भारतीय जनता पार्टी की पकड़ 2014 के मुकाबले काफी मजबूत नहीं है। पिछले दो दशकों में हरियाणा में बीजेपी और कांग्रेस ही सबसे मुख्य पार्टियों में से एक रही हैं। इन दोनों ने इनेलो को भी पछाड़ दिया है।

2005 से लेकर 2014 तक भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कांग्रेस सरकार ने राज्य पर शासन किया। वहीं 2014 के इलेक्शन में मोदी लहर चली थी, इसमें पिछली दो बार से राज्य में भारतीय जनता पार्टी सत्ता पर काबिज है। हालांकि, 2019 में बीजेपी को सरकार बनाने के लिए जेजेपी का सहारा लेना पड़ा। वहीं अब लोकसभा इलेक्शन की बात करें तो साल 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने ज्यादातर सीटें जीती थीं। वहीं 2014 में बीजेपी आगे रही और फिर 2019 में उसने सभी सीटों पर एकतरफा जीत हासिल की थी। अभी हाल ही में खत्म हुए लोकसभा इलेक्शन में कांग्रेस ने बेहतर वापसी करते हुए बीजेपी के बराबर ही पांच सीटें जीती थी।

कांग्रेस से लेकर क्षेत्रीय पार्टियों तक

1966 में पंजाब से अलग होकर हरियाणा राज्य के गठन के बाद के तीन दशकों में विधानसभा इलेक्शन में कांग्रेस ही छाई रही। इसमें आपातकाल के बाद 1977 का कार्यकाल शामिल नहीं है। इस दौरान जनता पार्टी की सरकार बनी थी। 1987 और 1991 का लोकदल सरकार का एक छोटा सा कार्यकाल भी शामिल है। 1996 से बीजेपी लगातार आगे बढ़ रही है। उस साल भारतीय जनता पार्टी ने सरकार बनाने के लिए बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी का समर्थन किया था। फिर 2000 में पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवी लाल की जाट पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल सत्ता में आई।

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साल 2014 में बीजेपी की पहली सरकार

कांग्रेस पार्टी की सरकार के मुखिया हुड्डा के दो कार्यकाल के बाद में साल 2014 में मोदी लहर चली थी और मनोहर लाल खट्टर राज्य के पहले बीजेपी के सीएम बने। साल 2014 के लोकसभा इलेक्शन में भी बीजेपी ने हरियाणा में 10 में से 7 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं कांग्रेस पार्टी को एक और आईएनएलडी को केवल दो सीटों से ही संतोष करना पड़ा था। बीजेपी ने 90 विधानसभा सीटों में से पूर्ण बहुमत हासिल किया। हरियाणा विधानसभा में 2009 में चार सीटों से बीजेपी 2014 में 47 सीटों पर पहुंच गई। कांग्रेस पार्टी ने 2009 में 47 सीटें जीती थीं, वह घटकर 15 पर आ गई और आईएनएलडी 31 से घटकर 19 सीटों पर आ पहुंच गई।

बीजेपी को 2019 के विधानसभा चुनाव में नहीं मिला पूर्ण बहुमत

भारतीय जनता पार्टी ने 2019 के लोकसभा इलेक्शन में हरियाणा में काफी अच्छा प्रदर्शन किया था और एकतरफा सभी 10 सीटों पर कब्जा जमा लिया था। हालांकि, कुछ ही महीनों बाद हुए विधानसभा चुनाव में उसकी सीटों की संख्या घटकर 40 रह गई और वह बहुमत के आंकड़े से पांच सीट पीछे रह गई। वहीं कांग्रेस पार्टी के खाते में 31 सीटें आई थी और आईएनएलडी को सिर्फ एक ही सीट से संतोष करना पड़ा। आईएनएलडी को जेजेपी के गठन के बाद तगड़ा झटका लगा था। वह 10 सीटें जीतीं और उसने किंगमेकर की भूमिका निभाई। बीजेपी ने सरकार बनाने के लिए जेजेपी का सहारा लिया और दुष्यंत को डिप्टी सीएम बनाया।

साल 2024 के लोकसभा इलेक्शन में बीजेपी की जेजेपी के साथ लोकसभा में सीट बंटवारे को लेकर बात नहीं बन पाई और उसने जेजेपी के साथ गठबंधन तोड़ दिया। इसके बाद बीजेपी को एक नया मंत्रिमंडल और नया सीएम मिला। मनोहर लाल खट्टर की जगह पर नायब सिंह सैनी को प्रदेश की कमान सौंपी गई। बीजेपी ने बहुमत के लिए निर्दलीय विधायकों की मदद ली थी। हालांकि, बीजेपी कांग्रेस पार्टी के बढ़ते प्रभाव को नहीं रोक पाई और कांग्रेस पांच सीटें जीतने में कामयाब रही। वहीं अब वोटों के मामले की बात की जाए तो बीजेपी की हिस्सेदारी साल 2019 में 58.21 फीसदी से गिरकर 46.11 फीसदी हो गई और कांग्रेस की 28.51 से बढ़कर 43.67 पर पहुंच गई।

आम आदमी पार्टी इंडिया गठबंधन की सदस्य है। उसने कांग्रेसके साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था और वह एक कुरुक्षेत्र को जीतने में कामयाब नहीं रही। हालांकि, आप ने पिछली बार तीन सीटों की तुलना में केवल एक सीट पर चुनाव लड़ने के बाद भी अपना वोट शेयर 0.36 फीसदी से बढ़ाकर 3.94 फीसदी कर लिया। क्षेत्रीय दलों में इनेलो और जेजेपी को इस बार भी कोई सीट नहीं मिली। 2019 में इनेलो को 1.9 फीसदी और जेजेपी को 4.9 फीसदी वोट शेयर मिला। 2024 में इनेलो को 1.74 फीसदी और जेजेपी को 0.87 फीसदी वोट शेयर मिला।

त्रिशंकु सदन बनने के भी आसार

2024 के लोकसभा चुनावों के मतदान के आंकड़ों के मुताबिक, विधानसभा क्षेत्र पर अनुमान लगाया गया है कि राज्य में त्रिशंकु सदन की भी स्थिति बन सकती है। लेकिन, अगर विपक्षी पार्टियां एक साथ आ जाती हैं तो वह बढ़त हासिल कर सकती हैं। वहीं अब विधासभा क्षेत्र के स्तर पर बात की जाए तो हर एक लोकसभा में कई सारी विधानसभा सीटें होती हैं। बीजेपी ने हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से 44 पर सबसे ज्यादा वोट हासिल किए। कांग्रेस पार्टी 42 सीटों पर बहुत ही ज्यादा पीछे नहीं रही।

वहीं आम आदमी पार्टी बाकी चार सीटों पर आगे रही। जेजेपी और आईएनएलडी किसी भी विधानसभा क्षेत्र में आगे नहीं रहीं। आंकड़ों के मुताबिक, बीजेपी बहुमत के आंकड़ों से थोड़ा ही पीछे रह जाएगी। वहीं कांग्रेस और आम आदमी पार्टी साथ में आ जाएं तो वह जादुई आंकड़ें को छू सकती हैं। पड़ोसी राज्य पंजाब और दिल्ली के बिल्कुल उलट, हरियाणा में कांग्रेस और आप के बीच में उतनी ज्यादा तल्खियां नहीं है और अलायंस के आसार पूरी तरह से बने हुए हैं। जेजेपी भी कांग्रेस पार्टी से नजदीकियां बढ़ाने की जुगत में लगी हुई है।