Haryana Vidhan Sabha Chunav 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजो में कांग्रेस पार्टी को तीसरी बार हार का सामना करना पड़ा है। पार्टी चुनाव से पहले राज्य में जीत की उम्मीदों के साथ जोश में थी लेकिन नतीजे ऐसे रहे कि बीजेपी ने 2014 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले एक सीट ज्यादा ही जीत ली।
कांग्रेस के अलावा हरियाणा में आम आदमी पार्टी को भी झटका लगा है क्योंकि खुद को ‘हरियाणा का लाल’ बताने वाले पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने खूब प्रचार किया लेकि पार्टी के प्रत्याशियों की जमानत ही जब्त हो गई।
कांग्रेस पार्टी की हार और आम आदमी पार्टी के सफाए में बीजेपी का सीधा फायदा तो हुआ है लेकिन चुनावी नतीजों पर गौर डालें तो कांग्रेस पार्टी के लिए AAP से गठबंधन न करना भी एक गलत फैसला रहा क्योंकि राज्य की 5 सीटों पर बीजेपी प्रत्याशी की जीत में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों को मिले वोटों का अहम रोल रहा।
AAP ने जितना पाया, उतना ही पिछड़ी BJP
दरअसल, हरियाणा की 90 सीटों के रिजल्ट को लेकर 5 सीटों पर AAP को मिले वोट कांग्रेस की हार के अंतर के बराबर हैं। इन सभी 5 सीटों पर बीजेपी की जीत हुई है। ऐसे में अगर कांग्रेस और AAP उम्मीदवारों को मिले वोट जुड़ जाते, तो BJP की 5 सीटें घट सकती थी जिसके चलते बीजेपी बहुमत हासिल नहीं कर पाती और बीजेपी को गंठजोड़ भी करना पड़ता।
हरियाणा के बाद अब महाराष्ट्र पर BJP की नजर, मराठा मुकाबले के लिए पार्टी की क्या है रणनीति?
| सीट | BJP | कांग्रेस | AAP | मार्जिन |
| उचाना कलां | 48968 | 48936 | 2495 | 32 |
| असंध | 54761 | 52455 | 4290 | 2306 |
| डबवाली | 56074 | 55464 | 6606 | 610 |
| दादरी | 65568 | 63611 | 1339 | 1957 |
| महेंद्रगढ़ | 63036 | 60388 | 1740 | 2648 |
उचाना कलां से लेकर असंध, डबवाली, दादरी महेंद्रगढ़ वो 5 सीटें हैं, जो कि बीजेपी ने कांग्रेस प्रत्याशी से बेहद कम अंतर से जीती हैं। वहीं जितने वोटों की कमी के चलते कांग्रेस प्रत्याशी की हार हुई, लगभग उतने ही वोट आम आदमी पार्टी के हिस्से में आए हैं। ऐसे में बीजेपी के लिए चुनाव ज्यादा आसान हो गया।
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AAP ने बिगाड़ा कांग्रेस का खेल
अगर कांग्रेस पार्टी हरियाणा चुनाव में आम आदमी पार्टी से गठबंधन करती तो बीजेपी को इन 5 सीटों पर हार का सामना करना पड़ सकता था लेकिन कांग्रेस आम आदमी पार्टी को 10 से ज्यादा सीटें देने को तैयार नहीं थी, औ 7-8 सीटों पर अटका कर रखी हुई थी।
इसका नतीजा ये रहा कि आम आदमी पार्टी ने गठबंधन तो नहीं किया बल्कि सभी सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए। कांग्रेस ने अपनी प्रदेश ईकाई औऱ खासकर पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा पर ज्यादा भरोसा किया।
हरियाणा प्रदेश यूनिट की अहंकार का अंजाम
भूपिंदर सिंह हुड्डा से लेकर कांग्रेस की प्रदेश यूनिट तक… आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करने के खिलाफ थी। पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने आप के नेताओं के साथ गठबंधन को लेकर बातचीत भी की थी लेकिन फिर भी स्टेट यूनिट की अकड़ के चलते सारी बातचीत फेल हो गई।
कुछ सीटों को लेकर फंसा पेंच गठबंधन न करने की वजह के साथ ही बीजेपी की तीसरी जीत और कांग्रेस की करारी हार का कारण भी बन गया।
इसके चलते ही आम आदमी पार्टी के कई नेताओं ने कांग्रेस पर तंज कसा है और यह तक कहा कि अगर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन हो जाता तो हरियाणा में बीजेपी की सरकार बनना असंभव होता।
