हरियाणा के नूंह में एक धार्मिक यात्रा पर हमले के दौरान भीड़ ने नूंह की एक अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की गाड़ी पर हमला कर उसमें आग लगा दी। हमले में न्यायाधीश और उनकी तीन साल की बेटी बाल-बाल बच गईं। एफआईआर में बताया गया है कि कैसे एक सिविल जज और उनकी तीन साल की बेटी की कार पर भीड़ ने हमला कर दिया और उन्हें बचने के लिए छिपना पड़ा।
1 अगस्त की एफआईआर नूंह जिला अदालत में टेकचंद की शिकायत पर दर्ज की गई है, जिन्होंने कहा था कि जज, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अंजलि जैन, उनकी बेटी, एक गनमैन और वह एसएचकेएम मेडिकल कॉलेज से लौट रहे थे। नलहर में अचानक 100-150 लोगों की भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया। नूंह शहर थाने में मंगलवार को दर्ज एफ़आईआर में बताया गया कि अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (एसीजेएम) अंजलि जैन की गाड़ी पर सोमवार को हमलावरों ने पथराव और गोलीबारी की, जिस कारण उन्हें और उनकी बेटी को अपनी जान बचाकर भागना पड़ा।
बस स्टैंड के पास वर्कशॉप में छिपकर बचाई जान
जज, उनकी बेटी और उनके साथ कार में सवार कर्मचारियों को नूंह के पुराने बस स्टैंड की एक वर्कशॉप में शरण लेनी पड़ी, जिन्हें बाद में कुछ वकीलों ने बचाया। एफआईआर में कहा गया है कि जज की कार पर हमला किया गया और कार में सवार चारों लोगों ने बस स्टैंड पर एक वर्कशॉप में छिपकर अपनी जान बचाने की कोशिश की।
कार में लगाई आग
FIR के मुताबिक, “हम वोक्सवैगन पोलो में थे, जो एसीजेएम अंजलि जैन के नाम पर है। दोपहर 2 बजे हम एसएचकेएम मेडिकल कॉलेज, नलहर से दवाएं लेकर लौट रहे थे। जब हम दिल्ली-अलवर रोड पर पुराने बस स्टैंड के पास बंधन बैंक के पास पहुंचे तो वहां 100-150 लोगों की भीड़ जमा थी। उन्होंने पथराव और आगजनी शुरू कर दी। एक पत्थर पीछे से उड़कर आया और शीशा तोड़ दिया। फायरिंग भी शुरू हो गई।”
एफ़आईआर में आगे कहा गया है कि हम सभी को अपनी जान बचाने के लिए पुराने बस अड्डे पर एक वर्कशॉप में छिपना पड़ा। बाद में कुछ वकीलों ने हमें बचाया। जब हम अगले दिन घटनास्थल पर गए तो हमने पाया कि कार पूरी तरह से जल चुकी थी। एफआईआर IPC की धाराओं के तहत दर्ज की गई है जिसमें दंगा और हत्या का प्रयास और शस्त्र अधिनियम की धारा 25 शामिल है।