भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पिछले विधानसभा चुनावों में गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड में सत्ता विरोधी रुझानों को बदलने में कामयाब रही है। पार्टी ने अब ऐसा ही हरियाणा में करके दिखाया है। एक और तथ्य यह भी है कि इन सभी राज्यों में भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनावों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है। अगर विश्लेषण करें तो इन सभी राज्यों के लिए पार्टी ने जो रणनीति अपनाई उसमें कुछ चीजें एक जैसी रहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरियाणा में चुनाव प्रचार के दौरान एक रैली में कहा था कि यहां भी मध्य प्रदेश की तरह भाजपा जीत दर्ज करने जा रही है।
नेतृत्व में बदलाव : मध्य प्रदेश को छोड़कर अन्य राज्यों (गुजरात, उत्तराखंड और हरियाणा) में पार्टी ने चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री बदल दिया था। मार्च, 2022 में उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव हुए थे। पार्टी ने दो जुलाई, 2021 को प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत को अपने पद से इस्तीफा देने को कहा। इसके अगले दिन पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। यानी धामी को चुनाव से केवल नौ महीने पहले ही मुख्यमंत्री बनाया गया।
दिसंबर, 2022 में गुजरात के विधानसभा चुनाव हुए। पार्टी ने यहां करीब एक साल पहले राज्य के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी से इस्तीफा लेकर भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया। भाजपा ने यही फार्मूला हरियाणा में भी उपयोग किया। पार्टी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से इस्तीफा दिलाकर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया। नायब चुनाव से लगभग 200 दिन पहले मुख्यमंत्री बने। इससे पार्टी सत्ता विरोधी लहर को शांत करने में सफल रही और इन सभी राज्यों में सत्ता बचाने में कामयाब भी रही।
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जिताऊ उम्मीदवारों को टिकट
भाजपा ने गुजरात से लेकर मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा तक जिताऊ उम्मीदवारों को ही टिकट दिया। ऐसा करते समय पार्टी ने बड़े से बड़े नेता का टिकट काटने में भी संकोच नहीं किया। गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा की ओर से जारी 160 उम्मीदवारों की सूची में करीब 33 विधायकों के टिकट काट दिए थे। इनमें कई बड़े नाम भी शामिल रहे। इसी तरह उत्तराखंड में पहली सूची में 11 और मध्य प्रदेश में 29 विधायकों को फिर से टिकट नहीं दिया था। हरियाणा में भी पार्टी ने इस फार्मूले को अपनाया और 16 विधायकों के टिकट काट दिए। इनमें कई दिग्गज शामिल थे।
नए चेहरों पर भरोसा
विधानसभा चुनावों में भाजपा की रणनीति ज्यादा से ज्यादा नए चेहरे उतारने की होती है। गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए जब पहली सूची जारी की तो पार्टी की ओर से 21 नए चेहरों को मौका दिया गया। इसी तरह पार्टी ने मध्य प्रदेश से लेकर उत्तराखंड और अब हरियाणा में भी कई नए चेहरों को मैदान में उतारा है।
बढ़ी सीटों की संख्या
गुजरात, मध्य प्रदेश और हरियाणा में लगातार कई सालों से सत्ता में होने के बावजूद भाजपा ने न केवल सत्ता विरोध को दबाया बल्कि पिछले चुनावों से अधिक सीटें लेकर जीत दर्ज की। गुजरात में 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 182 में 156 सीटें जीतीं जो 2017 के चुनाव से 57 अधिक थीं। इसी तरह मध्य प्रदेश में 2023 में हुए चुनाव में पार्टी ने 230 में से 163 सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं, इससे पहले 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में 109 ही सीटों पर जीती थी। अब हरियाणा में भी पार्टी ने पिछले चुनाव के मुकाबले अपनी सीटों में इजाफा किया है।
