हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बड़ा ऐलान किया है। हरियाणा विधानसभा में उन्होंने कहा कि 100 गज तक के रिहायसी प्लॉट पर अब स्टांप ड्यूटी नहीं लगेगी। अपने भाषण के दौरान नायब सिंह ने कहा कि जिन लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना, मुख्यमंत्री शहरी आवास योजना और मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना का लाभ मिल रहा है, उन्हें भी स्टांप ड्यूटी देने की जरूरत नहीं है।
100 गज के रिहायशी प्लाटों पर नहीं लगेगी स्टांप ड्यूटी
नायब सिंह सैनी ने अपने भाषण में कहा कि 100 गज के रिहायशी प्लाटों के लिए स्टांप ड्यूटी 27 अगस्त से जीरो हो जाएगी। उन्होंने कहा कि जहां जमीनों की कीमतों में 200 फ़ीसदी तक बढ़ोतरी हुई है, वहां 50 फीसदी तक कलेक्टर रेट बढ़ाया गया है। फिर भी यह मार्केट रेट से काफी कम है।
नायब सिंह सैनी ने पूर्व की सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने जिस ढंग से कलेक्टर रेट बढ़ाए थे, उससे बिल्डर और भू-माफियाओं को फायदा हुआ। नायब सिंह सैनी ने कहा कि किसान मारता रहा, ऐसे में यह जरूरी हो गया था कि एक तय फार्मूले के तहत अलग-अलग क्षेत्र में कलेक्टर रेट में बढ़ोतरी की जाए। नायब सिंह सैनी ने स्पष्ट किया कि 72 फीसदी से अधिक क्षेत्रों में महज 10 फीसदी ही कलेक्टर रेट बढ़ा है।
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गौशालाओं के लिए जमीन खरीद या बिक्री के लिए स्टांप ड्यूटी मुफ्त
हरियाणा सरकार ने पहले ही गौशालाओं के लिए जमीन की खरीद या बिक्री के लिए स्टांप ड्यूटी को खत्म करने का फैसला लिया था। गोसेवा आयोग के आग्रह पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इसका ऐलान किया था और मई 2025 में कैबिनेट मीटिंग में इसे मंजूरी भी दे दी गई थी।
कितनी लगती है स्टाम्प ड्यूटी?
बता दें कि अगर आप घर या जमीन खरीदते हैं तो आपको स्टांप ड्यूटी देनी होती है। आप स्टांप ड्यूटी नहीं देते हैं तब तक आपकी रजिस्ट्री वैध नहीं मानी जाती है। कई राज्यों में स्टांप ड्यूटी अलग-अलग होती है। कई राज्यों में शहरी क्षेत्र में आप जमीन लेते हैं तो ड्यूटी अधिक होती है, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में कम ड्यूटी लगती है। अगर हरियाणा में आप पुरुषों के नाम से जमीन लेते हैं, तो 7 फीसदी स्टांप ड्यूटी लगती है, जबकि महिला के नाम से जमीन खरीदते हैं तो 5 फीसदी स्टांप ड्यूटी लगती है। वहीं ग्रामीण क्षेत्र में अगर पुरुषों के नाम जमीन खरीदी जाती है तो 5 फीसदी स्टांप ड्यूटी जबकि महिलाओं को तीन फीसदी स्टांप ड्यूटी देनी होती है। संयुक्त रूप से प्लॉट खरीदने पर 6% ड्यूटी शहरी क्षेत्र में लगती है जबकि चार फीसदी ग्रामीण क्षेत्रों में लगती है।