पूर्व केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने शुक्रवार को पंजाब सरकार पर हमला करते हुए कहा कि पंजाब सरकार मुनाफाखोरी में लिप्त है। उन्होंने पंजाब सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि पंजाब सरकार की मंशा क्या है ? वे गरीब लोगों की जान बचाना चाहती हैं या वे गरीबों के लिए बने टीकों से लाभ कमाना चाहती हैं? कौर ने कहा कि यह स्पष्ट है कि उन्होंने निजी अस्पतालों से पैसे लेकर घोटाला किया और गरीबों के लिए बने टीकों का कारोबार किया है। उन्होंने कहा कि निजी अस्पतालों को वैक्सीन बेचने का घोटाला सामने आने के बाद यह आदेश वापस लिया गया है।

बता दें कि कोरोना संकट के बीच पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने निजी अस्पतालों को वैक्सीन बेचने का फैसला वापस ले लिया है।अब पंजाब में निजी अस्पतालों को वैक्सीन नहीं दी जाएगी। पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री के बयान पर हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि वे वैक्सीन प्रक्रिया के प्रभारी नहीं हैं। क्या कोई स्वास्थ्य मंत्री अपने मंत्रालय द्वारा जारी आदेशों से हाथ धो सकता है? या उनका ये मतलब है कि यह घोटाला सीएम ने किया है। उनके द्वारा दिए गए ये निराधार बयान हैं।

किसान आंदोलन पर भी उन्होंने सरकार को घेरते हुए कहा कि जो किसान पिछले 6 महीनों से कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं, वे मनोरंजन के लिए नहीं हैं। अब तक 500 से ज्यादा किसानों की मौत हो चुकी है। उन्होंने आगे कहा कि किसानों को कोविड सुपर स्प्रेडर कहा जा रहा है। अगर वे सुपर-स्प्रेडर्स हैं, तो चुनावी रैलियां और कुंभ मेला क्या थे?

उन्होंने टीके के निर्यात के मुद्दे पर केंद्र सरकार से भी सवाल करते हुए कहा कि जब दूसरे देश अपने लोगों का टीकाकरण कर रहे थे, तब केंद्र टीकों का निर्यात कर रहा था। और अब देश में टीकों की कमी है। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि लेकिन लाभ कमाने के लिए वैक्सीन बेचना पहली बार पंजाब में हो रहा है।

उन्होंने राहुल गाँधी के टीके पर दिए गए बयान पर कहा कि राहुल गांधी सुझाव देते हैं कि गरीबों को टीके मुफ्त मिलें और जब पंजाब में उनकी पार्टी की सरकार प्रत्येक खुराक पर 650 रुपये कमा रही है तो वह चुप क्यों हैं? उन्होंने कहा कि अगर वह इस विषय पर चुप हैं, तो मुझे लगता है कि इस पर कैप्टन अमरिंदर सिंह और पार्टी आलाकमान के बीच कुछ समझौता हुआ है।

आपको बता दें कि पिछले दिनों भी हरसिमरत कौर बादल ने पंजाब सरकार पर हमला बोलते हुए कहा था कि कांग्रेस सरकार और उसके नेता कोविड के कारण होने वाली मौतों को रोकने पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय पार्टी की राज्य इकाई में ‘मतभेद को सुलझाने में लगे हैं।