Hardeep Singh Puri: केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह अयोध्या पहुंचे और यहां उन्होंने राम लला के दर्शन और पूजा की। इसके बाद वे अयोध्या में ही स्थित कुंड गुरुद्वारा पहुंचे और माथा टेका। इससे पहले वे सोमवार को सरयू नदी में आरती में शामिल हुए थे। इस दौरान उन्होंने हिंदू और सिख धर्म के बीच संबंधों का उल्लेख भी किया।
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने अयोध्या दौरे को लेकर कई पोस्ट किए। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के प्रयासों से इतिहास की गुत्थी सुलझी और देश को सदियों पुराने धैर्य की विरासत मिली। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि अनगिनत त्याग, बलिदान और तपस्या के बाद देश को भगवान श्री राम के मंदिर के रूप में एक ‘राष्ट्र मंदिर’ मिला। हम भाग्यशाली हैं कि हमें इसके साक्षी बनने का मौका मिला।
‘बताया राम जन्मभूमि की संघर्ष यात्रा में सिखों का योगदान’
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि अयोध्या का मतलब है वह जिसे दुश्मन जीत न सके। आज उसी अयोध्या में मैं आपको भगवान श्री राम की जन्मभूमि की संघर्ष यात्रा में सिखों के योगदान की एक ऐतिहासिक घटना के बारे में बताऊंगा, जो शायद अब तक अनकही रह गई। गुरुद्वारे में रखे हथियार और अन्य साक्ष्य आज भी निहंग सेना की वीरता को बयां कर रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ट्वीट किया कि अयोध्या हिंदुओं और सिखों के बीच मजबूत अटूट संबंधों का जीता जागता सबूत है। इसके सबूत मौजूद हैं। श्री राम जन्मभूमि संघर्ष के इतिहास में पहला उपलब्ध सबूत निहंग सिख फकीर खालसा की पूजा का है। फैसले के आधार के तौर पर सुप्रीम कोर्ट ने भी इसकी प्रामाणिकता पर मुहर लगा दी है।
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केंद्रीय मंत्री बोले- ब्रह्मकुंड साहिब के दर्शन
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि अयोध्या की अपनी यात्रा के दौरान, मुझे गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड साहिब के दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यह वह भूमि है जो श्री गुरु नानक देव जी साहिब, नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी और श्री गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के चरणों से पवित्र है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हरिद्वार से जगन्नाथ पुरी की उदासी के दौरान, वर्ष 1557 विक्रमी में, प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी साहिब ने पंडित समुदाय के प्रमुखों के साथ प्रवचन किया और सरयू (ब्रह्मकुंड) घाट के किनारे एक बेल के पेड़ के नीचे बैठकर सच्ची शिक्षाएं दीं। वह अलौकिक बेल का पेड़ आज भी हमें उनकी सच्ची शिक्षाओं का एहसास कराता है। यह हमें सही रास्ता दिखाता है।
बताई गुरुद्वारे की महिमा
उन्होंने कहा कि इस गुरुद्वारे के प्रांगण में स्थित श्री गुरु नानक कूप (कुआं) को ‘दुख भंजनी कुआं’ के नाम से जाना जाता है। गुरु नानक देव जी ने 1508 में अपनी पहली उदासी यात्रा के दौरान अयोध्या में सरयू (पश्चिम) के तट पर इस पवित्र कुएं के पानी में स्नान किया था। इसके बाद उन्होंने भक्तों पर जल छिड़का और उनके दुख-दर्द दूर किए। इस जल में स्नान करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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