Mukhtar Ansari Case: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश सरकार से कहा कि वो मुख्तार अंसारी की मौत की मेडिकल रिपोर्ट और मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट उसके बेटे को मुहैया कराएं। बता दें, जेल में बंद गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी की पिछले साल 28 मार्च को मौत हो गई थी।

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने मुख्तार अंसारी के बेटे उमर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की दलीलों पर गौर किया। अपनी दलील में उमर ने दावा किया कि उनके पिता की मौत की मेडिकल और न्यायिक जांच रिपोर्ट राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत नहीं की गई।

मऊ सदर से पांच बार विधायक रहे मुख्तार अंसारी की पिछले साल 28 मार्च को बांदा के एक अस्पताल में कथित तौर पर दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी। वह 2005 से जेल में बंद थे और उनके खिलाफ 60 से अधिक आपराधिक मामले लंबित थे।

मुख्तार अंसारी को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था। अंसारी की मौत से पहले, उमर ने दिसंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसमें उनके पिता की जान को खतरा होने के कारण उन्हें यूपी से बाहर किसी अन्य जेल में स्थानांतरित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

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साल 2023 में राज्य सरकार ने पीठ को आश्वासन दिया कि यदि आवश्यक हुआ तो वह बांदा जेल के अंदर अंसारी की सुरक्षा मजबूत करेगी ताकि उसे कोई नुकसान न पहुंचे।

यूपी सरकार ने कहा- उमर को दस्तावेज मुहैया कराए जाएंगे

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, यूपी सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने कोर्ट को बताया कि दस्तावेज उमर अंसारी को मुहैया कराए जाएंगे। बता दें, जब अंसारी की मृत्यु हुई, तो उनके भाई और गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी ने आरोप लगाया कि जेल में उन्हें “धीमा जहर” दिया जा रहा है, हालांकि अधिकारियों ने इस आरोप का खंडन किया।

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