जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक संगठन का कहना है कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए दुनिया के पास अभी तक का सबसे अच्छा मौका है, लेकिन सभी क्षेत्रों और देशों में कठोर और तेज कटौती की आवश्यकता है, ताकि तापमान को सुरक्षित स्तर पर रखा जा सके। आज जारी रगवर्नमेंटल पैनल आन क्लाइमेट चेंज (आइपीसीसी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014 में इस तरह के अंतिम आकलन के बाद से वैश्विक उत्सर्जन में कटौती करने के अवसरों में तेजी से वृद्धि हुई है। लेकिन कार्रवाई करने की आवश्यकता भी कहीं अधिक जरूरी हो गई है। रिपोर्ट इस बात का निश्चित आकलन है कि बढ़ते तापमान का समाधान खोजने में दुनिया कितना अच्छा कर रही है। हम सभी ने रिपोर्ट में अपना विशेषज्ञ योगदान दिया। दुनिया के लिए इस रिपोर्ट का क्या अर्थ है।

ग्लेन पीटर्स, दीर्घकालिक लक्ष्यों के अनुकूल शमन पथ के प्रमुख लेखक के मुताबिक रिपोर्ट में पाया गया है कि दुनिया ने एक दशक में उत्सर्जन में कमी पर प्रगति की है। 2010 में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि दर 1.3% प्रति वर्ष हो गई, जबकि 2000 के दशक में यह 2.1% थी। लेकिन वैश्विक उत्सर्जन रेकार्ड ऊंचाई पर बना हुआ है। यदि नीतिगत महत्त्वाकांक्षा तुरंत नहीं बढ़ती है, तो तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाएगा और इसकी वृद्धि को दो डिग्री से कम रखने का पेरिस समझौते का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाएगा।

चिंताजनक रूप से, दुनिया की मौजूदा नीतियों ने हमें 80 वर्षों के भीतर ग्लोबल वार्मिंग के मार्ग पर 2.2 डिग्री सेल्सियस और 3.5 डिग्री सेल्सियस के बीच रखा है। यह लगभग एक दशक पहले के 4 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक की आशंका से कहीं बेहतर है, लेकिन अभी भी पेरिस समझौते के अनुरूप नहीं है।

सदी के अंत तक ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक रखने की 50% संभावना के लिए, वैश्विक सीओ2 उत्सर्जन एक दशक में आधा होना चाहिए, 2050 के दशक में शुद्ध शून्य तक पहुंचना चाहिए और उसके बाद शुद्ध नकारात्मक हो जाना चाहिए। इन परिदृश्यों में मीथेन उत्सर्जन को भी 2050 तक आधा करना होगा। आइपीसीसी का कहना है कि 2030 तक वैश्विक उत्सर्जन को आधा करना व्यवहार्य और हासिल करने योग्य है। लेकिन इसके लिए सभी क्षेत्रों, देशों और सरकार के स्तरों पर जलवायु नीति में तत्काल परिवर्तन की आवश्यकता है। अमीर देशों को उत्सर्जन में सबसे तेजी से कटौती करनी चाहिए।

कोई भी पीछे न छूटे

अरुणिमा मलिक, (इंट्रोडक्शन और फ्रेमिंग पर प्रमुख लेखक) का कहना है कि 2016 में, संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य लोगों, ग्रह और समृद्धि के लिए एक कार्य योजना लागू किए गए। सतत विकास भविष्य की पीढ़ियों से समझौता किए बिना वर्तमान की जरूरतों को पूरा करता है। जैसा कि नवीनतम आइपीसीसी रिपोर्ट जोर देती है, इसे प्रभावी जलवायु कार्रवाई के बिना हासिल नहीं किया जा सकता है।

एक सतत विकास लक्ष्य स्पष्ट रूप से जलवायु परिवर्तन से निपटने पर केंद्रित है। लेकिन जलवायु कार्रवाई अन्य सभी लक्ष्यों से जुड़ी हुई है, जिनमें ऊर्जा, शहर, उद्योग, भूमि, पानी और लोगों से संबंधित लक्ष्य शामिल हैं। उत्सर्जन में कमी की नीतियां समावेशी होनी चाहिए। साथ ही मौजूदा गरीबी और भूख को बढ़ाने जैसे अनपेक्षित परिणामों से बचना चाहिए। कम कार्बन वाली दुनिया में संक्रमण न्यायसंगत होना चाहिए और किसी को भी पीछे नहीं छोड़ना चाहिए। (द कन्वरसेशन)