संसद के पिछले सत्र में पेश किए गए तीन विधेयकों पर विचार के लिए घोषित संयुक्त संसदीय समिति के लिए विपक्ष द्वारा अभी तक सदस्यों का नामांकन नहीं किया गया है। ऐसे में, एनडीए, छोटे दलों और निर्दलीय सांसदों वाली एक समिति गठित करने के विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, विपक्षी दलों को कई बार रिमाइंडर भेजे गए हैं। उन्होंने अभी तक अध्यक्ष को यह नहीं बताया है कि वे संयुक्त समिति के लिए नामांकन कर रहे हैं या उसका बहिष्कार कर रहे हैं।
20 अगस्त को संसद में हंगामे के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025, केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किए थे। इन विधेयकों में प्रस्ताव है कि अगर कोई भी मंत्री, चाहे वह प्रधानमंत्री हो, मुख्यमंत्री हो, केंद्रीय मंत्री हो या राज्य मंत्री हो, कम से कम 5 साल की जेल की सज़ा वाले अपराधों के लिए लगातार 30 दिनों तक गिरफ़्तार और हिरासत में रहता है तो उसे अपना पद छोड़ना होगा। विपक्ष ने इन विधेयकों को ‘असंवैधानिक’ करार दिया है।
संयुक्त संसदीय समिति पर इंडिया गठबंधन में मतभेद
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा विधेयकों का अध्ययन करने के लिए घोषित संयुक्त संसदीय समिति पर इंडिया गठबंधन में मतभेद है। कांग्रेस सहित एक धड़ा इस समिति में शामिल होने के पक्ष में है लेकिन तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और समाजवादी पार्टी (सपा) जैसी पार्टियों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे इसका बहिष्कार करेंगी। टीएमसी ने इसे तमाशा बताते हुए कहा कि वह समिति में अपना कोई सदस्य नहीं भेजेगी। सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस, सपा और टीएमसी उन दलों में शामिल हैं जिन्हें हाल ही में एक रिमाइंडर भेजा गया था।
विपक्ष के बिना संयुक्त संसदीय समिति?
पूर्व लोकसभा महासचिव पीडीटी आचार्य ने कहा कि विपक्ष के बिना संयुक्त समिति की विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लग सकता है। उन्होंने कहा, “यह एक पेचीदा स्थिति है। संसदीय समिति में अध्यक्ष द्वारा नामित सभी सदस्य होते हैं। अध्यक्ष ने अभी तक इस संयुक्त समिति के लिए किसी को नामित नहीं किया है जिसमें विभिन्न दलों के सदस्य उनकी संख्या के आधार पर होते हैं। अध्यक्ष एक आंशिक समिति का गठन नहीं कर सकते। इसमें अगर केवल सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्य हैं तो हम यह नहीं कह सकते कि एक पूर्ण समिति का गठन हो गया है। यह एक एनडीए समिति होगी, संसदीय समिति नहीं। इसमें प्रमुख विपक्षी दलों का कोई भी सदस्य अगर नहीं होगा तो इसकी कोई विश्वसनीयता नहीं होगी।”
आचार्य ने कहा कि अध्यक्ष बिरला सभी दलों की एक बैठक बुलाकर उन्हें संयुक्त समिति में सदस्यों को नामित करने के लिए राजी कर सकते हैं ताकि ऐसी स्थिति से बचा जा सके। उन्होंने आगे कहा, “आम सहमति के आधार पर कोई निर्णय लिया जा सकता है।”
लोकसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक मणिकम टैगोर ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “हमने अभी तक पैनल में शामिल होने पर कोई फैसला नहीं किया है। हमारे अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और विपक्ष के नेता राहुल गांधी सहित कांग्रेस नेतृत्व, इस मुद्दे पर इंडिया गठबंधन के अन्य दलों के साथ चर्चा करेगा। कांग्रेस को इस पर आम सहमति बनानी होगी। हम चाहते हैं कि यह गठबंधन का फैसला हो।”