मोदी सरकार के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि वैक्सीन के बगैर टीका उत्सव कैसे मनाएं। न तो इस बात का जवाब है कि कोरोना के कहर को वैक्सीन की कमी के बीच कैसे काबू किया जाएगा, लेकिन गुरुवार को सरकार ने वैक्सिनेशन को लेकर नए नियम गढ़ दिए। अब अब कोविशील्ड की दो डोज के बीच 12-16 सप्ताह का अंतर होगा। एक्सपर्ट की राय सरकार ने मान ली है।
दरअसल, नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन अम्युनाइजेशन (NTAGI) ने अपनी रिपोर्ट में सरकार से इस आशय की सिपारिशें की थीं। सरकार पहले से वैक्सीन की कमी से जूझ रही है। उसने बगैर देर किए सारी सिफारिशों को ओके कर दिया। नए नियमों में कहा गया है कि जो व्यक्ति कोरोना को मात दे चुका है, उसे छह माह तक वैक्सीन की कोई जरूरत नहीं है। ध्यान रहे कि पहले कोविशील्ड की दो डोज के बीच 8 सप्ताह का अंतर था। खास बात है कि कोवैक्सीन के मामले में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
The COVID Working Group chaired by Dr N K Arora has recommended extension of the gap between the first and second doses of COVISHIELD vaccine to 12-16 weeks. The present gap between the two doses of COVISHIELD vaccine is 6-8 weeks: Government of India
— ANI (@ANI) May 13, 2021
National Technical Advisory Group on Immunisation discussed it & scientists opine that if a person is infected, he develops antibodies & there's protection. There's data, scientists opine that a person should get vaccinated 6 months after recovery: Dr VK Paul, Member, NITI Aayog pic.twitter.com/AuPqdJFptv
— ANI (@ANI) May 13, 2021
एक्सपर्ट मानते हैं कि कोरोना संक्रमनित होने के बाद शरीर में एंटीबॉ़डीज बन जाती हैं। जो कोरोना से लड़ने में मददगार होती हैं। लिहाजा ऐसे लोगों को छह माह तक वैक्सीन देने की जरूरत नहीं। सूत्रों का कहना है कि सरकार अपनी नाकामी को छिपाने के लिए तमाम नए नियम गढ़वा रही है। उसे पता है कि वैक्सीन का टोटा दूर करना उसके बस का रोग नहीं तो नए फऱमान ही जारी कर दो।
नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल का कहना है कि NTAGI ने वैज्ञानिक आधार पर फैसला लिया है। इसमें सरकार का कोई दखल नहीं है। ब्रिटेन के साथ डब्ल्यूएचओ ने भी इसी तरह के फैसले की हिमायत की थी। उन्होंने वैज्ञानिक तर्कों के आधार पर फैसला लिया। गौरतलब है कि गर्भवती महिलाओं के मामले में संस्था ने कहा है कि वैक्सीन लेने न लेने का फैसला उन पर ही छोड़ना बेहतर रहेगा। हां, प्रसव के बाद वो कभी भी वैक्सीन लगवा सकती हैं।
वैक्सीन के टोटे को लेकर कई सूबे केंद्र के सामने अपना विरोध व्यक्त कर चुके हैं। मोदी सरकार ने राज्यों को सीधे वैक्सीन खरीद की छूट दी है। इसे लेकर सूबों का आरोप है कि इससे बाजार में क्या छवि बनेगी। राज्य टीके के लिए आपस में गुत्थनगुत्था होंगे। राष्ट्रवादी सरकार के लिए क्या ये शर्म की बात नहीं है। सुप्रीम कोर्ट लगातार सरकार से वैक्सीन के दामों पर सवाल उठा रहा है। सरकार के वकील कोर्ट को लगातार बता रहे हैं कि सब कुछ ठीक है। कोर्ट के दखल की तो कहीं से कोई गुजाइश ही नहीं है। यानि पूरी दाल ही काली है।