केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से जारी है। सरकार और प्रदर्शनकारी किसान संगठन के बीच शुक्रवार को आठवें दौर की वार्ता होने वाली है। उससे पहले शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने बृहस्पतिवार को दावा किया है कि दिल्ली में विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए 54 किसानों में से 40 पार्टी कैडर से हैं।
द इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में, अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ता इस आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। इस आंदोलन में हम अकाली दल के कार्यकर्ता के रूप में नहीं बल्कि एक किसान के रूप में विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी के 65 चुनाव प्रभारी दिल्ली में हैं। सुखबीर सिंह ने कहा “हमारे युवा अकाली दल के कार्यकर्ताओं ने सीमाओं पर तम्बू का शहर बनाया है। उनमें से कई ब्लॉक और ग्राम स्तर पर पार्टी के पदाधिकारी हैं।
सुखबीर सिंह बादल के बयान पर बीकेयू (उग्राहन) के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने कहा, “ये तो मेरे लिए भी बड़ी खबर है कि मारने वाले 40 किसान शिरोमणि अकाली दल से थे। कुछ किसान एक विशेष पार्टी के मतदाता हो सकते हैं लेकिन आप मतदाताओं को कैडर नहीं कह सकते हैं।”
कोकरीकलां ने कहा कि सभी किसान यूनियनें खुद को किसी भी राजनीतिक दल से दूर रखने का प्रयास कर रही हैं। कोकरीकलां ने कहा कि राजनीतिक दलों अपना वोट बैंक बचाने के लिए मजबूरी में यहां हैं। उन्होंने कहा,“अगर राजनीतिक दलों को किसानों की चिंता है, तो वे दिल्ली की किसी भी सीमा पर एक अलग धरना का आयोजन क्यों नहीं करते और देखें उन्हें कितना समर्थन मिलता है।”
आठवें दौर की अपनी वार्ता से एक दिन पहले सरकार और प्रदर्शनकारी किसान संगठन अपने-अपने रुख पर अड़े रहे। प्रदर्शनकारी किसानों ने तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग को लेकर ट्रैक्टर रैलियां निकाली, जबकि केंद्र ने इस बात पर जोर दिया कि वह इन कानूनों वापस लेने के अलावा हर प्रस्ताव पर विचार के लिए तैयार है।
दोनों पक्ष गतिरोध दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। इसबीच, ऐसी अफवाहें भी सुनने को मिल रही हैं कि कुछ राज्यों को केंद्रीय कृषि कानूनों के दायरे से बाहर निकलने की अनुमति दी जा रही है, लेकिन किसान संगठनों ने कहा कि उन्हें सरकार से इस प्रकार का कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस प्रकार का कोई प्रस्ताव दिए जाने की बात से इनकार किया है।
तोमर, खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश 40 प्रदर्शनकारी किसान संगठन नेताओं के साथ सरकार की ओर से वार्ता का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। आठवें दौर की वार्ता शुक्रवार अपराह्न दो बजे विज्ञान भवन में होगी। इससे पहले चार जनवरी को हुई बैठक के बेनतीजा रहने के बाद यह बैठक अहम है। सरकार ने 30 दिसंबर को छठे दौर की वार्ता में किसानों की बिजली सब्सिडी और पराली जलाने संबंधी दो मांगों को मान लिया था। इससे पहले की किसी वार्ता में कोई सफलता नहीं मिली थी।