Operation Sindoor Message: ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत कूटनीतिक कदम आगे बढ़ा रहा है। मोदी सरकार अब ऑपरेशन सिंदूर का संदेश दुनिया तक पहुंचाना चाहती है। जिसके लिए केंद्र सरकार आने वाले दिनों में कई देशों में सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल भेजने की योजना बना रही है। सूत्रों ने बताया कि इसके लिए सरकार ने कई विपक्षी सांसदों से संपर्क किया है और उन्हें विश्व की राजधानियों में भेजी जाने वाली टीमों का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया है।
सरकार विदेशों में विशेष दूत भेजने के बारे में सोच रही है, ताकि यह बताया जा सके कि भारत किस तरह एकजुट है और पहलगाम में आतंकवादी हमले को झेला है। सूत्रों के अनुसार, सरकार अलग-अलग समूह बनाने के बारे में सोच रही है, मुख्य रूप से संसदीय स्थायी समितियों से शुरुआत करके, जो प्रभावी रूप से यह दर्शा सकें कि पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी संगठनों के हमले के बाद भारत एकजुट है। सूत्रों ने बताया कि वे सबसे पहले यूरोप और खाड़ी देशों का रुख करेंगे।
विदेश मंत्रालय लोकसभा और राज्यसभा सचिवालयों के साथ मिलकर इस प्रैक्टिस में भाग लेने वाले सांसदों की सूची तैयार कर रहा है।
इसका एक उद्देश्य यह भी है कि प्रभावी ढंग से यह संदेश दिया जाए कि भारत पर पहले हमला हुआ था, और उसने जवाबी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों पर हमले किए। इसी प्रकार के अभ्यास 1994 में तथा पुनः 2008 में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी समूहों और नेटवर्कों द्वारा भारत पर किये गए हमलों के बाद किये गये थे।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कई विपक्षी सांसदों को फोन करके “राष्ट्रीय हित” में प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया है। बताया जा रहा है कि सरकार जिन सांसदों के संपर्क में है, उनमें कांग्रेस के शशि थरूर और सलमान खुर्शीद, एनसीपी (एसपी) की सुप्रिया सुले , टीएमसी के सुदीप बंद्योपाध्याय, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी , डीएमके की कनिमोझी और बीजेपी के बीजे पांडा शामिल हैं। खुर्शीद पूर्व विदेश मंत्री हैं, जबकि थरूर विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष हैं।
विचार यह है कि 5-6 प्रतिनिधिमंडल विभिन्न देशों में भेजे जाएं, जो पाकिस्तान से उत्पन्न आतंकवाद पर नई दिल्ली की स्थिति को स्पष्ट करें, जिसमें पहलगाम आतंकवादी हमले और भारत के खिलाफ किए गए अन्य आतंकवादी कृत्यों, ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान के खिलाफ सरकार द्वारा की गई कूटनीतिक पहलों का विवरण दिया जाए।
यह कदम पी.वी. नरसिम्हा राव सरकार के उस निर्णय की याद दिलाता है, जिसमें उसने तत्कालीन विपक्षी नेता अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल को जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (यू.एन.एच.आर.सी.) के विशेष सत्र में भाग लेने के लिए भेजा था, जहां जम्मू -कश्मीर में मानवाधिकारों के मामले में भारत की निंदा करने के लिए पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित प्रस्ताव को सफलतापूर्वक विफल कर दिया गया था।
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए खुर्शीद ने कहा कि उन्हें गुरुवार रात सरकार से एक कॉल आया और उन्होंने इसे कांग्रेस नेतृत्व को बता दिया, जो इस पर फैसला लेगा। खुर्शीद ने कहा कि यह एक सर्वदलीय प्रयास है। सभी पार्टी समूह। इसलिए मुझे लगता है कि पार्टी इसका ध्यान रखेगी। वे शायद पार्टी से संपर्क करेंगे। मैंने पार्टी को बता दिया है कि मुझे एक संदेश मिला है। यह पार्टी का विशेषाधिकार है कि वे किसे भेजते हैं।
यह कदम घरेलू राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह ऐसे समय में आया है जब कांग्रेस भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम समझौते में अमेरिका की भूमिका को लेकर सरकार पर हमला कर रही है। ऐसे में भाजपा नेता तिरंगा रैलियों में भाग ले रहे हैं। वहीं, कांग्रेस ने एक दर्जन शहरों में जय हिंद रैलियां निकालने का भी फैसला किया है। कांग्रेस ने ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी देने के लिए एनडीए के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फैसले पर भी सवाल उठाया है, उन्होंने पूछा कि केवल एनडीए के मुख्यमंत्रियों को ही क्यों बुलाया गया, सभी मुख्यमंत्रियों को क्यों नहीं बुलाया गया।
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(इंडियन एक्सप्रेस के लिए शुभाजीत रॉय और मनोज सीजी की रिपोर्ट)