राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) जल्द ही सभी राज्यों को पत्र लिखकर ‘बाल अधिकार मेला’ आयोजित करने का सुझाव भेजेगा। 14 नवंबर को मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के गंज बाशुदा में प्रायोगिक तौर पर आयोजित बाल अधिकार मेले की कामयाबी से उत्साहित आयोग की मंशा है कि सभी राज्य अपने यहां बच्चों की स्थानीय समस्याओं और उसमें परिवार से लेकर राज्य तक की जिम्मेदारियों पर जुड़े मसलों पर इस तरह के मेले का आयोजन करें। मध्य प्रदेश का मेला नशे के खिलाफ था, जिसमें 1500 ‘बाल अधिकार योद्धा’ तैयार किए गए। एनसीपीसीआर के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने कहा कि आयोग की मंशा मेले के जरिए देशभर में सैकड़ों स्वयंसेवी बाल अधिकार योद्धा तैयार करना है जो बच्चों के अधिकारों के संरक्षण के लिए लगातार काम करते रहें। उन्होंने कहा, ‘नवंबर के अंत तक सभी राज्यों को पत्र लिखकर आयोग इस बात की अनुशंसा करेगा कि वे अपने यहां बाल अधिकार मेले का आयोजन करें और वहां बच्चों से जुड़ी स्थानीय समस्याओं का समाधान ढूंढेंÞ। झारखंड अपने यहां तस्करी की समस्या ले सकता है, छत्तीसगढ़ कुपोषण की, राजस्थान बाल विवाह की, इसी तरह अन्य राज्य अपने यहां की समस्याओं पर गौर कर मेले का आयोजन कर सकते हैं’।
मध्य प्रदेश के मेले की सफलता को उल्लेखनीय बताते हुए कानूनगो ने कहा कि 5000 बच्चों और अभिभावकों के आने की अपेक्षा के विपरीत लगभग 30,000 बच्चों और अभिभावकों ने इसमें की शिरकत। उन्होंने कहा, ‘मेले में इस मुद्दे की गतिविधियां शामिल रहीं कि भारतीय संदर्भ में बच्चों के अधिकार कैसे सुनिश्चित हों। रोचक प्रजंटेशन के जरिए बच्चों को बताया गया कि कैसे उन्हें अपने पसंद का करिअर चुनने का अधिकार है। वहीं अभिभावकों को बताया गया कि कैसे परिवार, समुदाय, गांव, शहर, जिला, राज्य, देश सभी बच्चों के समग्र और स्वस्थ्य विकास के लिए समान रूप से जिम्मेदार हैं, पूरी जिम्मेदारी सरकार पर नहीं छोड़ी जा सकती है’।
प्रियंक कानूनगो ने कहा कि छोटे शहरों में जागरूकता की कमी है और लोग इस तरह के आयोजनों में भाग लेना चाहते हैं, इसलिए राज्य सरकारें ऐसे मेलों का आयोजन करें। साथ ही मेले का स्थान ऐसा हो, जहां लोग वाकई जागरूक नहीं हैं। मध्य प्रदेश के जिस गंज बाशुदा का चयन किया गया वह एक जनजातीय इलाका है जहां बाल मजदूरी, बच्चों में नशा व कुपोषण बड़ी समस्याएं हैं। गरीब बच्चे पत्थरों की खदानों में काम करने को मजबूर हैं और राजस्थान की सीमा से लगे होने के कारण अफीम उनकी पहुंच में है।कानूनगो ने कहा कि मध्य प्रदेश के मेले में 1500 स्वयंसेवी साथ रहे, जिन्होंने बाल अधिकार योद्धा के रूप में काम किया और आगे भी काम करने को तैयार हैं। एनसीपीसीआर सदस्य के मुताबिक, आयोग चाहता है कि सभी राज्यों से ऐसे योद्धा बच्चों के अधिकारों के लिए तैयार हों।