कोविड प्रबंधन और वैक्सीनों की अनुपलब्धता को लेकर लगतार हमले झेल रही केंद्र सरकार ने गुरुवार को पलटवार किया और कहा कि सरकारी बयानों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है और जनता के बीच अर्धसत्य एवं झूठी बातों को फैलाया जा रहा है।

एक बयान जारी करते हुए केंद्र सरकार ने सात तथ्य गिनाए हैं और कहा है कि उसने राज्यों को उनके हाल पर नहीं छोड़ दिया है। यह कहना भी गलत है कि हम वैक्सीन उत्पादन बढ़वाने का प्रयास नहीं कर रहे। बयान का शीर्षक हैः भारत में वैक्सीनेशन प्रक्रिया से जुड़े मिथक और तथ्य। इसमें केंद्र ने इस आरोप को भी नकारा है कि वह बच्चों के टीकाकरण को लेकर चिंतित नहीं है। केंद्र इस आरोप को भी गलत बता रहा है कि वह उन वैक्सीनों को अनुमति नहीं दे रहा जो दूसरे देशों में चल रही हैं, और जिन्हें विश्व स्वास्थ्य संगठन अनुमोदित कर चुका है।

सरकार ने कहा है कि स्पूतनिक वैक्सीन का अभियान शीघ्र शुरू होने जा रहा है। अमेरिका की दिग्ग्ज दवा कंपनी फाइज़र के साथ बातचीत हो रही है ताकि उसकी वैक्सीन जल्द से जल्द भारत आ सके। लेकिन, वैक्सीनों को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में खरीदना केमिस्ट की दुकान से दवा खरीदने जैसा नहीं होता। कंपनियों की अपनी प्राथमिकताएं होती हैं। सरकार के एक्सपर्ट ग्रुप के सदस्य डॉ वीके पॉल ने कहा कि दवा कंपनियां सबसे पहले अपने घर यानी देश की आवश्यकताओं को देखती हैं। ठीक वैसे जैसे हमारे देश के वैक्सीन बनाने वालों ने किया।

इस बीच सूत्रों से पता चला है कि केंद्र और फाइजर के अधिकारियों में बातचीत चल रही है। कोशिश हो रही है कि उसकी वैक्सीन को शीघ्राति शीघ्र अनुमोदन मिल जाए। लेकिन अभी विधिक क्षतिपूर्ति का मसला अड़चन बना हुआ है। फाइजर ने केंद्र को बताया है कि उसकी वैक्सीन को 12 साल से बड़े बच्चों के लिए भी अनुमति मिल गई है। यह गुण भारत में बन रही वैक्सीनों के अंदर बिलकुल नहीं है। सो, इस तरह इस बात का भी खंडन होता है कि केंद्र बच्चों की वैक्सीनो की फिक्र नहीं कर रहा।

इस बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सरकार से कहा है कि वह फाइजर की बच्चों वाली वैक्सीनों के लिए अनुमति प्रदान करें। लेकिन इस बयान में डॉ पारुल जैन याद दिलाती हैं कि अभी तक विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बच्चों के वैक्सीनेशन पर कुछ नहीं कहा है। केंद्र ने अपने बयान में उदार वैक्सीन नीति की निंदा करने वालों को भी लताड़ लगाई गई है। इस नीति के तहत राज्य सरकारें अपनी जरूरत का पचास प्रतिशत वैक्सीन सीधे वैक्सीन निर्माता कंपनियों से खरीदने को कहा गया है।

सरकार ने याद दिलाया है कि यही आधी वैक्सीन खुद खरीदने का ही अधिकार तो राज्य मांग रहे थे। लेकिन दिक्कत तब आई जब मॉडर्ना और फाइजर ने राज्यों से बात करने से इनकार कर दिया। केंद्र ने इस आरोप को झूठ बताया कि सरकार वैक्सीनों का स्वदेश में उत्पादन बढ़वाने के लिए कुछ नहीं कर रही। केंद्र ने कहा है कि वह असरदार फैसिलिटेटर की भूमिका निभा रहा है।