नई तकनीक के साथ बढ़ रहे साइबर अपराध में कमी लाने के लिए भारत सरकार को दुनिया के अग्रणी देशों के साथ सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है। इस पहल से साइबर अपराध को रोकने में मदद मिलेगी। संसद की वित्त संबंधित स्थायी समिति ने साइबर अपराधों में कमी लाने के लिए केंद्र सरकार को यह सिफारिश की है।
समिति के सभापति जयंत सिन्हा ने यह रपट लोकसभा में पेश की है। यह रपट दुनिया के दस अग्रणी देशों की तकनीक के आधार पर पर तैयार की गई है। संसदीय समिति का मानना है कि यूरोपीय वाणिज्यिक बैंक की साइबर जोखिम और खुफिया सूचना आधारित परीक्षण पद्धति को अपनाकर भारत अपनी साइबर सुरक्षा की ढाल को सुदृढ़ कर सकता है।
संयुक्त राज्य अमेरिका की तकनीक का हवाला देते हुए समिति ने बताया है कि अमेरिका में साइबर अपराध को रोकने के लिए साइबर सुरक्षा सूचना साझाकरण अधिनियम (सीआइएसए) लागू किया है, जिससे निजी संस्थाओं को साइबर खतरों का सक्रिय रूप से मुकाबला करने, कमजोरियों को पहचान करने और संभावित नुकसान को कम करने के लिए करने में सक्षम बनाया है।
इसके विपरीत भारत की राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति विशिष्ट प्रोत्साहनों के बिना प्रोत्साहन -आधारित दृष्टिकोण अपनाती है। इसके अतिरिक्त यूरोपीय साइबर सुरक्षा कौशल ढांचा इस क्षेत्र में एक सक्षम कार्यबल के निर्माण पर केंद्रित है।
इसी प्रकार सिंगापुर में भी साइबर सुरक्षा कार्यक्रम शुरू किया गया है जोकि साइबर सुरक्षा उपायों को मजबूत करने में सहायता करता है। समिति ने केंद्र सरकार से सिफारिश की है कि वह भारत की विशिष्ट आवश्यकताओं और जरूरतों के आधार पर अगली पीढ़ी की तकनीक को विकसित करने के लिए सर्वोत्तम वैश्विक पद्धतियों को अपनाए और उन्हें आगे बढ़ाए।
अपराधों में गंभीर सजा और दंड की सिफारिश
साइबर अपराधों में कमी लाने के लिए समिति ने गंभीर सजा और दंड निश्चितता की दिशा में पहल करने की सिफारिश की है। समिति ने कहा कि आइटी अधिनियम 2000 के प्रावधानों में अधिकतर मामलों में जमानत का प्रावधान है, जिससे व्यक्ति और गिरोह देशभर में अपनी धोखाधड़ी की गतिविधि में सक्षम हुए हैं।
इस स्थिति से निपटने के लिए कठोर दंड प्रावधानों को लागू करने की जरूरत है और ऐसे मामलों में जमानत की कड़ी शर्त को लागू करना और स्थानीय जमानती के प्रावधान किए जाए। इसी प्रकार देश में साइबर अपराध की संख्या में काफी भिन्नता है, जिसका राष्ट्रीय औसत करीब 1.7 फीसद है जोकि मामले में जागरूकता की कमी की ओर इशारा करती है।
मुख्य पुलिस नियंत्रण कक्ष के साथ 1930 हेल्प लाइन को भी एकीकृत करने की सिफारिश संसदीय समिति ने की है। रिपोर्ट के मुताबिक देश भर में केवल 312 साइबर पुलिस स्टेशन हैं। इन स्टेशनों में सर्वाधिक स्टेशन वाले राज्यों में दिल्ली, गुजरात, हरियाणा आदि हैं।
साइबर हमलों में 38 फीसद की वृद्धि
बीते वर्ष में वैश्विक साइबर हमलों में 38 फीसद की वृद्धि हुई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2020 में 11,58,208, वर्ष 2021 में 14,02,809 और वर्ष 2022 में 13,91,457 मामले दर्ज हुए हैं। ये जालसाजी और फर्जीवाड़ा , दुर्भावनापूर्ण मोबाइल एप्लीकेशन, अज्ञात फोन आदि जैसी साइबर अपराध से संबंधित मामले हैं।