एयरलाइंस और एयरपोर्ट के निजीकरण के बाद अब सरकार को अपने सांसदों की सुविधाओं की चिंता सताने लगी है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय की ओर से सभी एयरलाइंस, एयरपोर्ट ऑपरेटर्स और विमानन सुरक्षा नियामक को भेजे पत्र में कहा गया है कि सांसदों और माननीयों को विशेष तरजीह पहले की तरह ही दी जाती रहनी चाहिए। उनकी गरिमा और सम्मान में कहीं किसी भी तरह की कोई कमी नहीं होनी चाहिए।
देश में एयरलाइन और हवाई अड्डों से उस प्रोटोकॉल का पालन करना जारी रखने के लिए कहा है, जो हवाई यात्रा के दौरान संसद सदस्यों (सांसदों) को कुछ विशेषाधिकार देता है। प्रोटोकॉल के संबंध में लापरवाही के कुछ मुद्दे मंत्रालय के संज्ञान में आने के बाद यह कदम उठाया गया है। मंत्रालय ने कहा कि प्रोटोकॉल का पालन करने के निर्देश फिर से जारी किए जा रहे हैं और सभी विमानन हितधारकों को इसका ‘‘अक्षरश:’’ पालन करना चाहिए।
मंत्रालय ने 21 सितंबर, 2021 के एक पत्र में कहा, ‘‘हवाई अड्डों पर सांसदों के संबंध में प्रोटोकॉल के लिए समय-समय पर निर्देश जारी किए गए हैं।’’ प्रोटोकॉल के तहत, सांसदों को देश भर के सभी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर आरक्षित लाउंज सुविधाओं तक पहुंच प्राप्त होनी चाहिए और उन्हें चाय या कॉफी या पानी मुफ्त में दिया जाना चाहिए।
साल 2007 में जारी किए गए प्रोटोकॉल दिशानिर्देश में उल्लेख किया गया है, ‘‘भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण और अन्य हवाईअड्डा संचालकों को संसद भवन कार पार्क के लिए सांसदों को जारी किए गए पास के आधार पर वीआईपी कार पार्किंग क्षेत्र में सांसदों के वाहनों की पार्किंग की सुविधा देनी चाहिए।’’
पूर्व नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने 21 नवंबर, 2019 को लोकसभा को सूचित किया था कि सभी घरेलू निजी हवाई अड्डों और एयरलाइनों को इस प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए। प्रोटोकॉल के तहत, एयरलाइनों के पास एक ड्यूटी मैनेजर या एक वरिष्ठ स्टाफ सदस्य होना चाहिए जो सांसदों के हवाई अड्डे पर आने पर ‘चेक-इन’ औपचारिकताओं को पूरा करने की सुविधा प्रदान करे।
प्रोटोकॉल के अनुसार, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के सभी कर्मियों को उचित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए ताकि पहचान पत्र या बोर्डिंग कार्ड के साथ पहचान स्टिकर या सांसदों की पर्ची का सम्मान किया जा सके और सुरक्षा जांच के दौरान सांसदों को उचित शिष्टाचार और प्राथमिकता दी जा सके।