Gulam Nabi Azad: गुलाम नबी आजाद (Gulam Nabi Azad) ने अपनी डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी से गुरुवार (22 दिसंबर, 2022) को पूर्व मंत्री तारा चंद और मनोहर लाल और पूर्व विधायक बलवान सिंह को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में पार्टी से निष्कासित कर दिया है। डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी के महासचिव आर एस चिब ने तत्काल प्रभाव से उनके निष्कासन का आदेश जारी किया।
चिब ने कहा, ‘उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए निष्कासित किया गया। उन्होंने कहा कि पार्टी अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने महसूस किया अब पार्टी में इनकी जरूरत नहीं है, क्योंकि तीनों नेता पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल थे। बता दें, गुलाम नबी आजाद ने पिछले दो दिनों में पार्टी में कई नियुक्तियां की हैं। 27 सितंबर, 2022 को कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद ने अपने नए दल ‘डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी’ का गठन किया था।
26 अगस्त, 2022 क गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस तोड़ लिया था नाता
बता दें, 26 अगस्त, 2022 को गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। आजाद ने कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी को पांच पन्नों का इस्तीफा भेजा था। सोनिया गांधी को भेजे गए इस्तीफे में गुलाम नबी आजाद ने लिखा था कि बड़े अफसोस और बेहद भावुक दिल के साथ मैंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से अपना आधा सदी पुराना नाता तोड़ने का फैसला किया। गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि भारत जोड़ो यात्रा की जगह कांग्रेस जोड़ो यात्रा निकालनी चाहिए।
गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि सोनिया गांधी नाममात्र की नेता रह गईं
गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस से इस्तीफा देते समय अपने पत्र में लिखा था कि देश का सबसे पुराना दल अब ‘समग्र रूप से नष्ट हो चुका है’। इसका नेतृत्व आतंरिक चुनाव के नाम पर धोखा दे रहा है। दुर्भाग्य से कांग्रेस में स्थिति इस स्तर पर पहुंच गई है कि वापसी का रास्ता नहीं दिख रहा है। सोनिया गांधी नाममात्र की नेता रह गई हैं, क्योंकि फैसले राहुल गांधी के ‘सुरक्षागार्ड और निजी सहायक’ करते हैं।
गुलाम नबी आजाद की नाराजगी तब सामने आई थी, जब उन्होंने अभियान समिति का अध्यक्ष बनाए जाने के कुछ घंटों बाद ही पद से इस्तीफा दे दिया था। सोनिया गांधी चाहती थीं कि कांग्रेस जम्मू कश्मीर में आजाद के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़े। इसलिए उन्हें चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन गुलाम नबी ने पद मिलने के कुछ घंटों के बाद ही स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया था।
गुलाम नबी आजाद के पार्टी छोड़ने के बाद कांग्रेस ने पलटवार किया था। कांग्रेस की तरफ से कहा गया था कि आज पार्टी आजाद हो गई है। कांग्रेस वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा नें कहा था कि यह उस नेता का चरित्र बताता है, जिस व्यक्ति को पार्टी ने पिछले 30-40 सालों में किसी न किसी पद पर बनाए रखा और अब जब राज्यसभा नहीं मिली तो छटपटाने लग गए और रिमोट नरेंद्र मोदी को दे दिया।