गुवाहाटी यूनिवर्सिटी की एक रिसर्च स्कॉलर करीब दो साल पहले फेसबुक पर शेयर की बीफ से जुड़ी पोस्ट को लेकर विवादों में हैं। ये पोस्ट तभी डिलीट कर दी गई थी। छात्रा का कहना है कि उन्हें महज इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि वह नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (NRC) को अपडेट करने के लिए चल रही कवायद में लोगों की मदद कर रही हैं, इसलिए जमीनी स्तर पर काम करने से रोकने के लिए उन्हें परेशान किया जा रहा है।

अंग्रेजी अखबार द हिंदू को वीडियो के जरिए भेजे अपने बयान में रेहाना सुल्ताना ने आरोप लगाया कि मीडिया के एक धड़े द्वारा उनके खिलाफ एक सुनियोजित साजिश रची गई। उन्होंने कहा कि ‘मुझे और जिस काम को मैं वर्तमान में करने में लगी हूं उसे बदनाम करने के लिए यह सुनियोजित साजिश थी।’

28 वर्षीय रिसर्च स्कॉलर ने कहा कि उन्होंने ऐसी कोई पोस्ट शेयर नहीं की जिसमें बीफ का इस्तेमाल और बकरीद पर पाकिस्तान क्रिकेट टीम को समर्थन के बारे में लिखा गया हो। रेहाना सुल्ताना के मुताबिक ऐसी खबरें स्वतंत्रता दिवस से कई दिन पहले समाज में उपद्रव फैलाने के लिए रिलीज की गईं।

असम पुलिस ने 14 अगस्त को सुल्ताना के खिलाफ उनकी उस पोस्ट को लेकर एफआईआर दर्ज की जो अचानक सोशल मीडिया में वायरल होने लगी, यह पोस्ट छात्रा ने दो साल पहले डिलीट कर दी थी। उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 153A और आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत शिकायत दर्ज की गई।

गुवाहाटी यूनिवर्सिटी की छात्रा ने कहा, ‘मैं आपके संज्ञान में यह बात लाना चाहती हूं कि एक पोस्ट मैंने साल 2017 में लिखी थी। पोस्ट का संदर्भ एक क्रिकेट मैच था और यह हास्यपूर्ण व्यंग काव्य के रूप में लिखी गई थी। उस दिन विराट कोहली शून्य पर आउट हो गए थे और एक क्रिकेट प्रशंसक होने के नाते मैंने उस पोस्ट को हताशा के चलते किया था। ये मैच भारत पाकिस्तान से खराब फील्डिंग और बल्लेबाजी के चलते हारा। यह वह समय भी था जब गोमांस को लेकर कई जगह लिंचिंग हुई।’

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सुल्ताना के मुताबिक फेसबुक पर इसे शेयर करने के दो मिनट के भीतर ही उन्होंने इसे डिलीट कर दिया। चूंकि उन्हें आभास हुआ कि यह मन की उत्तेजित स्थिति में किया गया था और एक दूसरा अर्थ दे सकता है। उन्होंने कहा इस पोस्ट के संबंध में उन्होंने स्पष्टीकरण भी दिया। आज, अचानक, इस मुद्दे को फिर से ध्यान केंद्रित करने के लिए लाया गया है और सनसनीखेज समाचार बनाने के लिए इसमें नकली समाचार जोड़े गए हैं।

सीरीज में दर्ज की गईंं एफआईआर
रिसर्च स्कॉलर ने कहा कि उसके बीते एक महीने में चार एफआईआर दर्ज की गईं। इनमें पहली एफआईआर 11 जुलाई को फ्रीलांस जर्नलिस्ट प्रणबजीत डोलोई ने सुल्ताना और अन्य 9 लोगों के खिलाफ दर्ज कराई। आरोप लगाया गया कि इन लोगों ने ‘मैं एक मियां हूं’ शीर्षक वाली कविता के माध्यम से असमिया समुदाय को दूसरे देशों के खिलाफ नफरत करने वालों के रूप में पेश किया।

डोलोई ने कहा, ‘कविता में पुरुषों के बंदूक चलाने और महिलाओं के साथ बलात्कार होने की बात की गई है जबकि असम का ऐसा कोई इतिहास नहीं है। इस कविता का असल मकसद सिस्टम के खिलाफ अपने समुदाय को प्रेरित करना और भड़काना था। यह असम के लोगों और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है।’

सुल्ताना ने कहा, ‘जिन लोगों ने एफआईआर दर्ज कराईं हैं उनका कहना था कि कविताओं में आपत्तिजनक सामग्री है। मगर ये कविताएं असमिया पहचान को स्थापित करने की कोशिश में मिया समुदाय के गुस्से को व्यक्त करती हैं।

छात्रा का नाम 13 अगस्त को दर्ज कराई एक अन्य एफआईआर में भी है जो आरटीआई कार्यकर्ता दुलाल बोरा ने दर्ज कराई। ये एफआईआर असम पुलिस के आपराधिक जांच विभाग में दर्ज कराई गई। एफआईआर में जिन दो अन्य लोगों का नाम है उनमें शफिकुल इस्लाम का नाम भी शामिल हैं। इस्लाम भी गुवाहाटी यूनिवर्सिटी के छात्रा हैं। इसके अलावा नीदरलैंड के हेग में रिसर्च स्कॉलर मौसमी चेतिया भी इसमें आरोपी हैं।