मोदी सरकारा द्वारा पारित नागरिकता संशोधन कानून और नेशनल रजिस्टर को लेकर कांग्रेस पूरे देश में प्रदर्शन कर रही है। लेकिन गोवा में पार्टी में इस मुद्दे पर दो-फाड़ हो गई। गोवा कांग्रेस ने चार नेताओं ने सीएए और एनआरसी का समर्थन करते हुए गुरुवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया। पण्जी कांग्रेस ब्लाक कमेटी के अध्यक्ष प्रसाद अमोनकर, उत्तरी गोवा अल्पसंख्यक इकाई के प्रमुख जावेद शेख, ब्लॉक कमेटी सचिव दिनेश कुबल और पूर्व यूथ लीडर शिवराज तरकार ने पार्टी छोड़ दी। उन्होंने कहा कि वे नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी लागू करने के पक्ष में हैं।

मीडिया से बात करते हुए अमोनकर ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ‘जनता, खासकर अल्पसंख्यकों’ को संसद से पारित सीएए पर गुमराह कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि एक विपक्षी पार्टी होने के नाते आलोचनात्मक होना सही है, हालांकि सिर्फ विरोध के लिए विरोध करना गलत है। अमोनकर ने सीएए और एनआरसी पर कांग्रेस के रूख को गलत बताते हुए कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक का स्वागत करना चाहिए।

अमोनकर ने आरोप लगाया कि कांग्रेस लोगों को गुमराह कर रही है और राजनीतिक फायदे के लिए अल्पसंख्यकों के दिमाग में डर बना रही है। पार्टी अल्पसंख्यकों को भड़काने की कोशिश कर रही थी। एएनआई के अनुसार उन्होंने कहा, “पिछले सप्ताह जब सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया गया तो हम भी कांग्रेस में होने की वजह से उसमें शामिल थे। लेकिन अब हमें यह महसूस हुआ कि नेता अपने भाषण के माध्यम से अल्पसंख्यकों के मन में भय पैदा कर रहे थे। यह सही नहीं है।”

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नया संशोधित सीएए पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में उत्पीड़न झेलने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, और ईसाई धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करेगा। दिसंबर 2014 से पहले भारत आने वाले ऐसे प्रताड़ित अल्पसंख्यक इसके पात्र होंगे।

कांग्रेस ने नागरिकता संशोधन अधिनियम का विरोध किया है। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सीएए और एनआरसी को “असंवैधानिक” करार देते हुए इसे नोटबंदी जैसा फैसला बताया। गांधी ने यह बयान अपनी असम यात्रा से पहले दिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह कवायद नोटबंदी 2.0 है। उन्होंने इसे लोगों के लिए दोहरा झटका बताते हुए कहा कि गरीबों को अपने दस्तावेज दिखाने के लिए कहा जाएगा, लेकिन उद्योगपतियों से दस्तावेज नहीं मांगे जाएंगे। उन्होंने भगवा पार्टी पर इसके माध्यम से वास्तविक मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया।