साल 2013 में पटना के गांधी मैदान में नरेंद्र मोदी की रैली के दौरान बम धमाका करने के मामले में चार आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई गई है। इसके अलावा 2 आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। बाकी 2 अन्य दोषियों को 10-10 साल की सजा और 1 दोषी को 7 साल की सजा दी गई है। गांधी मैदान में हुए सिलसिलेवार हुए धमाकों में कुल 6 लोगों की मौत हुई थी और 89 लोग घायल हुए थे।
27 अक्टूबर 2013 को नरेंद्र मोदी की हुंकार रैली के दौरान पटना के गांधी मैदान में हुए बम ब्लास्ट ने पूरे बिहार को हिलाकर रख दिया था। आतंकियों ने भाजपा समर्थकों और कार्यकर्ताओं से पटे गांधी मैदान में सिलसिलेवार तरीके से बम ब्लास्ट किए थे। इन धमाकों से पहले पटना जंक्शन के शौचालय में भी विस्फोट किया गया था। आतंकियों ने गांधी मैदान में छह बार धमाका किया था.
उस दौरान भाजपा की तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनाए गए नरेंद्र मोदी भी जब भाषण दे रहे थे तो करीब चार बार बम ब्लास्ट हुए थे। आतंकियों की प्लानिंग मानव बम बनकर नरेंद्र मोदी के पास जाकर उनको उड़ाने की थी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इसके लिए रांची में आतंकियों ने दो बार ट्रायल भी किया था।
पटना के गांधी मैदान में हुए बम ब्लास्ट केस की जांच शुरू से एनआईए ही कर रही थी। इसमें एक नाबालिग समेत 12 लोगों को आरोपी बनाया गया था। एक आरोपी की मौत इलाज के दौरान ही हो गई थी। बाकी 11 आरोपियों में से एक को एनआईए की स्पेशल कोर्ट ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। वहीं एक नाबालिग को पहले ही तीन वर्ष की सजा सुनाई गई है।
बाकी 9 आरोपियों में से इम्तियाज अंसारी, हैदर अली, नोमान अंसारी और मुजीबुल्लाह को फांसी की सजा सुनाई गई। उमर सिद्दीकी और अजहरुद्दीन को उम्रकैद की सजा दी गई है। वहीं अहमद और फिरोज को 10- 10 साल की सजा सुनाई गई है और इफ्तिखार नाम के एक आरोपी को 7 साल की सजा मिली है। घटना के 8 साल बाद एनआईए की विशेष अदालत ने आरोपियों को सजा सुनाई है।
