नेट बैंकिंग और मोबाइल बैंकिंग का इस्तेमाल करते समय हमें कई तरह की सावधानियां बरतनी पड़ती है। अक्सर देखने को मिलता है कि साइबर ठग किसी के बैंक खाते में सेंध लगा देते हैं और उनके मेहनत की मोटी कमाई मिनटों में छूमंतर हो जाती है। लेकिन अब अकाउंट हैक होने पर ग्राहक को चिंता करने की जरुरत नहीं है। अब इसकी सीधी ज़िम्मेदारी बैंक पर होगी। बैंक ही ऑनलाइन फ्रॉड में हुए नुकसान की भरपाई करेगा।
दरअसल यह फैसला राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने सुनाया है। आयोग ने क्रेडिट कार्ड हैकिंग की वजह से हुई धोखाधड़ी के मामले में बैंक प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है। आयोग ने एक एनआरआई महिला के साथ हुए फ्रॉड में बैंक को यह आदेश दिया कि वह पीड़ित महिला को 6110 अमेरिकी डॉलर को 12 प्रतिशत ब्याज के दर से वापस लौटाए।
पूरा मामला यह है कि अमेरिका में रहने वाली एक महिला जेसना जोस के लिए मुंबई में रहने वाले उसके पिता ने एचडीएफसी बैंक से एक कार्ड 2007 में ख़रीदा था। जिसके बाद 2008 में बैंक ने उसके पिता से 310 डॉलर निकासी की सूचना मांगी। जिस पर पिता ने कहा कि ऐसा कोई लेनदेन नहीं किया गया है। उसके बाद बैंक ने महिला के पिता को बताया कि आपके कार्ड से 14 से 20 दिसंबर के बीच करीब 6 हजार डॉलर की निकासी की गयी है। इस पर महिला ने अमेरिका में शिकायत दर्ज करायी कि किसी ने कार्ड हैक कर उसके खाते से रूपये निकाले हैं। महिला ने इसकी शिकायत राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में की। आयोग ने महिला के पक्ष में फैसला सुनाया।
हालाँकि आरबीआई ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि ऐसे मामलों में ग्राहक को किसी तरह के नुकसान की चिंता करने की जरुरत नहीं है। इस मामलों में जहाँ गलती ना तो बैंक की है और ना ग्राहक की। लेकिन सिस्टम में थोड़ी समस्या रहती है। इसलिए अनाधिकृत लेनदेन की सूचना मिलने के तीन दिनों के भीतर शिकायत दर्ज करा देने पर नुकसान ग्राहक को नहीं भरना पड़ेगा।

