सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन रहे जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने भारतवासियों को चेतावनी दी है। काटजू ने न्यूज़ वेब साइट पंजाब टुडे में अपना ओपिनियन लिखते हुए देश को चेताया है कि संभल जाओ इंडिया, बुरे दिन आने वाले हैं। काटजू ने अपने इस लेक में मौजूदा दौर की हिटलर के शासनकाल से तुलना की है। उन्होंने लिखा है कि आज भारत में वैसा ही कुछ हो रहा है जो कभी नाजी युग के दौरान जर्मनी में हुआ था।
काटजू ने लिखा कि जनवरी 1933 में हिटलर के सत्ता में आने के बाद लगभग पूरा जर्मनी पागल हो गया था, हर तरफ लोगों ने ‘हेल हिटलर’ के नारे लगते हुए उस पागल आदमी को महान बना दिया था। जर्मन बहुत संस्कारी लोग हैं जिन्होंने मैक्स प्लैंक और आइंस्टीन जैसे महान वैज्ञानिक, गोएथे और शिलर जैसे महान लेखक, हेइन जैसे महान कवि, मोजार्ट, बाख और बीथोवेन जैसे महान संगीतकार, मार्टिन लूथर जैसा महान समाज सुधारक, किंत, नीत्शे, हेगेल और मार्क्स जैसा महान फिलोसोफर दिये हैं। मैंने पाया हर जर्मन एक अच्छा इंसान है।
काटजू ने लिखा कि सत्ता में आते ही हिटलर ने जर्मनी के लोगों के दिमाग में यहूदियों के खिलाफ जहर घोलना शुरू कर दिया था। ये कैसे हुए? निश्चित रूप से जर्मन बेवकूफ लोग नहीं हैं, न ही वे स्वाभाविक रूप से बुरे हैं। मुझे लगता है हर देश, समाज, धर्म के 99% लोग अच्छे होते हैं। लेकिन ऐसा क्या हुआ कि जर्मनी के लोगों ने 6 मिलियन यहूदियों को मरने के लिए गैस चैंबर में भेज दिया।
मेरी राय में ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मॉडर्न प्रोपोगैंडा एक ऐसी शक्तिशाली चीज है जिससे सबसे सुसंस्कृत और बुद्धिमान लोग इसके द्वारा प्रभावित हो सकते हैं। यही उस समय पूरे जर्मनी में हुए और अब हमारे देश में हो रहा है। जब से भाजपा सरकार में आई है उन्होंने अल्पसंख्यकों खास कर मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ भाषण देकर एक कम्युनल प्रोपोगैंडा फैलाया है। भाजपा ने ज़्यादातर हिंदुओं के मन में ये कहकर मुसलमानों के खिलाफ जहर भर दिया कि ये गाय खाते हैं और ये हिन्दू लड़कियों को लव जिहाद में फंसाते हैं। पिछले कुछ वर्षों में राम मंदिर के निर्माण और मुसलमानों की लिंचिंग की मांग एक नियमित विशेषता बन गई है।
चुनाव से पहले बलकोट में कि गई एयर स्ट्राइक और अब कश्मीर से अनुछेद 370 हटाना सब प्रोपोगैंडा का हिस्सा है। इस लोकसभा चुनाव में बेरोजगारी, बाल कुपोषण, बड़ी संख्या में किसानों ने आत्महत्या, जनता के लिए उचित स्वास्थ्य सेवा और अच्छी शिक्षा का लगभग जैसे अहम मुद्दे गायब थे। उन्होंने कहा अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुसलमानों से घृणा हमेशा से अधिकांश हिंदुओं के अंदर थी बस उसे एक चिंगारी देने की जरूरत थी जो भाजपा और आरएसएस ने 2014 और 2019 के बीच किया। काटजू ने आरएसएस को एक मुस्लिम विरोधी और ईसाई विरोधी संगठन बताया।

