पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का मंगलवार दोपहर को दिल्ली के लोधी रोड विद्युत शव दाह गृह में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। उनके बेटे ने अंतिम संस्कार किया। परिजनों और रिश्तेदारों ने कोविड-19 से बचाव के दिशा-निर्देशों के अनुरूप पीपीई किट में मुखर्जी को अंतिम विदाई दी। सेना की टुकड़ी ने पूर्व राष्ट्रपति को तोपों की सलामी दी।
पूर्व राष्ट्रपति के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने अंतिम संस्कार के बाद मीडिया को बताया कि पिता की उपस्थिति परिवार का समर्थन थी। हम उन्हें याद करेंगे। मुझे लगता है कि COVID उनकी मौत का मुख्य कारक नहीं था, बल्कि यह मस्तिष्क का ऑपरेशन था। मेरी योजना उन्हें पश्चिम बंगाल ले जाने की थी, लेकिन मौजूदा प्रतिबंधों के कारण हम ऐसा नहीं कर सके।
इससे पहले, पूर्व राष्ट्रपति को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके आवास पर कई नेता और अन्य लोग पहुंचे थे। वे लोग उस दौरान न सिर्फ मास्क पहने थे, बल्कि छह फुट की दूरी रखते हुए कतारबद्ध होकर आपनी पारी का इंतजार कर रहे थे।
देश के 13वें राष्ट्रपति रहे मुखर्जी का पार्थिव शरीर मंगलवार सुबह उनके आवास पर लाया गया। तीन हफ्ते तक सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में भर्ती रहने के बाद सोमवार को उनका निधन हो गया था। ‘भारत रत्न’ मुखर्जी के निधन पर देश में सात दिनों का राष्ट्रीय शोक है राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने मंगलवार को मुखर्जी के अंतिम दर्शन किए और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन को अपूर्णीय क्षति बताते हुए मंगलवार को कहा कि उनका जीवन विवादों से परे रहकर राजनीति में काम करने का एक अनुपम उदाहरण है। शाह ने ट्वीटर पर एक वीडियो संदेश जारी कर मुखर्जी को अपनी श्रद्धंजलि अर्पित की और कहा कि ‘‘भारत रत्न’’ प्रणब मुखर्जी ने लंबे समय तक भारतीय राजनीति में न सिर्फ योगदान दिया, बल्कि उसे समृद्ध भी किया। उन्होंने कहा, ‘‘प्रणब दा आज हमारे बीच नहीं हैं। सार्वजनिक जीवन में काम करने वालों के लिए उनका निधन एक अपूर्णीय क्षति है। जो राजनीति में आना चाहते हैं और यह सीखना चाहते है कि विवादों से परे रहकर कैसे काम किया जा सकता है तो उन्हें प्रणब मुखर्जी के जीवन का बारीकी से अभ्यास करना चाहिए।’’
चीन ने मंगलवार को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वह दिग्गज राजनेता थे और उनका जाना भारत-चीन की मित्रता के लिए बड़ी क्षति है। 84 वर्षीय मुखर्जी का सोमवार को दिल्ली के एक अस्पताल में हृदयाघात से निधन हो गया। वह 21 दिन से अस्पताल में थे और अनेक बीमारियों से जूझ रहे थे। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने एक सवाल के जवाब में यहां मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘‘पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी भारत के दिग्गज राजनेता थे। 50 वर्ष की राजनीतिक यात्रा में उन्होंने चीन-भारत संबंधों में सकारात्मक योगदान दिया है।’’
चीन ने मंगलवार को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वह दिग्गज राजनेता थे और उनका जाना भारत-चीन की मित्रता के लिए बड़ी क्षति है। 84 वर्षीय मुखर्जी का सोमवार को दिल्ली के एक अस्पताल में हृदयाघात से निधन हो गया। वह 21 दिन से अस्पताल में थे और अनेक बीमारियों से जूझ रहे थे। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने एक सवाल के जवाब में यहां मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘‘पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी भारत के दिग्गज राजनेता थे। 50 वर्ष की राजनीतिक यात्रा में उन्होंने चीन-भारत संबंधों में सकारात्मक योगदान दिया है।’’
प्रणब मुखर्जी एक राजनीतिक परिवार से आते थे। उनके पिता कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे और ब्रिटिश राज में उन्होंने करीब 10 साल जेल में गुजारे थे।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को श्रद्धांजलि देने के लिए उनके आवास पर पहुंचे नेताओं एवं अन्य लोगों ने न सिर्फ मास्क पहन रखे थे, बल्कि छह फुट की दूरी रखते हुए कतारबद्ध होकर आपनी पारी का इंतजार किया। देश के 13वें राष्ट्रपति रहे मुखर्जी का पार्थिव शरीर मंगलवार सुबह उनके आवास पर लाया गया। तीन हफ्ते तक सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में भर्ती रहने के बाद सोमवार को उनका निधन हो गया था। ‘भारत रत्न’ मुखर्जी के निधन पर देश में सात दिनों का राष्ट्रीय शोक है।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कई किताबें भी लिखीं थी। जिनमें मिडटर्म पोल, बियोंड सरवाइवल, ऑफ द ट्रैक- सागा ऑफ स्ट्रगल एंड सेक्रिफाइस, इमर्जिंग डाइमेंशंस ऑफ इंडियन इकोनॉमी प्रमुख तौर पर शामिल हैं।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने दुख जाहिर किया है और कहा कि प्रणब मुखर्जी एक शून्य छोड़ गए हैं। वह काफी दयालु और उनके साथ बात करते हुए मैं भूल ही जाता था कि मैं देश के राष्ट्रपति से बात कर रहा हूं। यह उनके स्वभाव में था कि वह राजनैतिक विचारों में मतभेद के बावजूद सभी को अपना बना लेते थे। उन्हें हमेशा याद किया जाएगा।
प्रणब मुखर्जी ने अपनी आत्मकथा में लिखा था कि 1966 में कांग्रेस ने तत्कालीन अध्यक्ष अजय मुखर्जी को गलत तरीके से हटा दिया था तो इससे प्रणब दा खासे नाराज हुए। इसके बाद 8 जून 1966 में पश्चिम बंगाल के दौरे के दौरान उन्होंने अजय मुखर्जी को संयुक्त मोर्चा बनाने का सुझाव दिया था। प्रणब दा के इसी सुझाव के बाद अजय मुखर्जी और ज्योति बसु के नेतृत्व में पश्चिम बंगाल में संयुक्त मोर्चा की सरकार बनी, जिससे ना सिर्फ बंगाल ब्लकि पूरे देश की राजनीति को ही बदल दिया था।
भारतीय मूल के मशहूर ब्रिटिश उद्योगपति लॉर्ड स्वराज पॉल ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए उन्हें उत्कृष्ट व्यक्तित्व बताया और कहा कि उन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र के कल्याण के लिए सर्मिपत कर दिया। मुखर्जी का सोमवार की शाम निधन हो गया था । वह 84 वर्ष के थे। पॉल ने शोक संदेश में कहा, ‘‘ भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के असामयिक निधन की खबर सुन कर दुखी हूं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ वह पिछले 53 वर्ष से मेरे मित्र थे। उन्होंने भारतीय मंत्रिमंडल का हर महत्वपूर्ण विभाग संभाला, फिर भारत के राष्ट्रपति बने और भारत रत्न भी हासिल किया।’’ पॉल ने कहा, ‘‘ वह एक उत्कृष्ट व्यक्तित्व वाले इंसान थे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र के कल्याण के लिए सर्मिपत कर दिया। उनके परिवार के साथ मेरी संवेदनाएं हैं।’’
पश्चिम बंगाल में जन्में इस राजनीतिज्ञ को चलता फिरता ‘इनसाइक्लोपीडिया’ कहा जाता था और हर कोई उनकी याददाश्त क्षमता, तीक्ष्ण बुद्धि और मुद्दों की गहरी समझ का मुरीद था। मुखर्जी भारत के एकमात्र ऐसे नेता थे जो देश के प्रधानमंत्री पद पर न रहते हुए भी आठ वर्षों तक लोकसभा के नेता रहे। वे 1980 से 1985 के बीच राज्यसभा में भी कांग्रेस पार्टी के नेता रहे।
प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति रहते हुए एक जुलाई 2017 को आधी रात में पीएम मोदी के साथ बटन दबाकर देश के सबसे बड़े कर सुधार का आगाज किया था। प्रणब मुखर्जी ने तब कहा था कि कई सरकारों के प्रयास के बाद उनका सपना पूरा हुआ।
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी प्रणब मुखर्जी के आवास पहुंचकर उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित की। केजरीवाल के अलावा भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी और सीपीआई नेता डी.राजा ने भी पूर्व राष्ट्रपति को श्रद्धांजलि अर्पित की।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में प्रणब मुखर्जी की कांग्रेस में एंट्री हुई थी। दरअसल साल 1969 में जब प्रणब दा कांग्रेस का हिस्सा नहीं थे, तब कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ रहे वीके कृष्ण मेनन के चुनाव का उन्होंने सफल प्रबंधन किया था। जिसके बाद इंदिरा गांधी ने प्रणब मुखर्जी की प्रतिभा को पहचानते हुए उन्हें कांग्रेस में शामिल कर लिया था और जुलाई 1969 में राज्यसभा भेजा था। इसके बाद प्रणब मुखर्जी 1975, 1981, 1993 और 1999 में भी राज्यसभा के सदस्य चुने गए।
पीएम मोदी ने दी प्रणब दा को श्रद्धांजलि
प्रणब मुखर्जी की कांग्रेस की मौजूदा अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को राजनीति में लाने में अहम भूमिका रही। साल 1998-99 में प्रणब मुखर्जी कांग्रेस महासचिव बने थे और साल 2000 से 2010 तक बंगाल में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली थी।
प्रणब मुखर्जी के आवास पहुंचकर केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और तीनों सेनाओं के प्रमुख और सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने श्रद्धांजलि अर्पित की।
प्रणब दा का जन्म पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के मिराती गांव में हुआ था। उन्होंने करियर की शुरुआत साल 1962 में पोस्ट एंड टेलीग्राफ विभाग में बतौर क्लर्क की नौकरी से की थी। इसके बाद वह राजनीति में आए और फिर 25 जुलाई 2012 को देश के राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का 13 नंबर से अनोखा रिश्ता रहा। वो देश के 13वें राष्ट्रपति बने। उनकी शादी की सालगिरह भी 13 तारीख को आती थी। पहले उनके बंगले का नंबर भी 13 ही था।
प्रणब मुखर्जी की राजनीति में एंट्री 60 के दशक में ही हो गई थी लेकिन उन्होंने अपना पहला लोकसभा चुनाव साल 2004 में लड़ा था। प्रणब मुखर्जी ने 2004 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की जंगीपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी।
भारत में फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनिन ने मुखर्जी के परिजन के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि मुखर्जी के कार्यकाल में भारत-फ्रांस संबंध नई उंचाइयों पर पहुंचा। दोनों देशों के रिश्तों को प्रगाढ़ करने में मुखर्जी का योगदान बहुत
कई देशों के राजनयिकों ने मुखर्जी के निधन पर शोक व्यक्त किया नयी दिल्ली, 31 अगस्त (भाषा) कई राजनयिक मिशन और विभिन्न देशों के राजदूतों ने सोमवार को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर शोक व्यक्त किया और उनके नेतृत्व की सराहना की। भारत में आस्ट्रेलिया के उच्चायुक्त बैरी ओ फारेल ने कहा, ''ऑस्ट्रेलिया की ओर से हम भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करते हैं।'' भारत स्थित सिंगापुर के मिशन, अफगानिस्तान दूतावास, रूस के राजदूत, ब्राजील के राजदूत और नेपाल के राजदूत की ओर से भी मुखर्जी के निधन पर शोक जताया गया।
भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर शोक प्रकट करते हुए कहा कि उन्होंने कई भूमिकाओं में कर्मठता से देश की सेवा की और सभी दलों में उनके प्रशंसक थे। नड्डा ने ट्वीट कर कहा, ‘‘पूर्व राष्ट्रपति और उच्च कोटि के राजनीतिज्ञ प्रणब मुखर्जी के निधन से बहुत दुख पहुंचा है। उन्होंने कई भूमिकाओं में कर्मठता और प्रतिबद्धता के साथ देश सेवा की।
पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर सोमवार को गहरा दुख जताया। असांरी ने कहा, " मैं पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के दुखद निधन पर गहरा शोक व्यक्त करता हूं। मैं कई दशकों के दौरान, अलग अलग भूमिकाओं के जरिए उन्हें जानता हूं। भारत के उप राष्ट्रपति के तौर पर और राज्यसभा के सभापति के रूप में मेरे उनके साथ सौहार्दपूर्ण संबंध थे।" उन्होंने कहा, " मैं और मेरी पत्नी अभिजीत जी और शर्मिष्ठा जी के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हैं।" मुखर्जी का दिल्ली में स्थित सेना के रिसर्च एवं रेफर अस्पताल में सोमवार को निधन हो गया। वह 84 साल के थे। वह 21 दिनों से कई बीमारियों से जूझ रहे थे।
पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मुखर्जी के निधन पर दुख जताया और कहा, ‘‘मुखर्जी एक महान राजनेता थे और उनके जाने से देश को बहुत बड़ी क्षति हुई है। उन्हें अर्थव्यवस्था से लेकर आम आदमी से जुड़े मुद्दों की गहरी समझ थी। उनके योगदान के लिए देश उनका सदैव ऋणी रहेगा।’’
मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा और पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने भी पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर शोक जताया। मुख्य चुनाव आयुक्त ने उन्हें विद्वान राजनेता, सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक विशेषज्ञ बताया।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर सोमवार को दुख जताया और सार्वजनिक जीवन में रहते हुए किए गए उनके योगदान को याद किया। मुखर्जी की पुत्री शर्मिष्ठा को भेजे शोक संदेश में सोनिया ने परिवार के प्रति गहरी संवेदना भी प्रकट की। उन्होंने कहा, ‘‘ प्रणब दा पांच दशकों से अधिक समय तक सार्वजनिक जीवन, कांग्रेस पार्टी और केंद्र सरकार का अभिन्न हिस्सा रहे। उन्होंने हर पद पर आसीन होने के साथ उसे सुशोभित करने का काम किया और अपने साथियों के साथ उनकी वास्तव में घनिष्टता थी। उनका पिछले 50 वर्षों से अधिक का जीवन भारत के 50 वर्षों के इतिहास को प्रतिबिंबित करता है।’’ सोनिया ने कहा कि मुखर्जी ने कैबिनेट मंत्री, सांसद और राष्ट्रपति के तौर पर देश के लिए कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाईं।
दिग्गज सचिन तेंदुलकर और भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली के नेतृत्व में खेल बिरादरी ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर सोमवार को शोक व्यक्त करते हुए कहा कि राष्ट्र ने एक महान नेता को खो दिया, जिनसे सब प्यार करते थे। देश के 13वें राष्ट्रपति रहे मुखर्जी का आज यहां एक सैन्य अस्पताल में निधन हो गया । वह 84 वर्ष के थे। उनके परिवार में दो बेटे और एक बेटी है। वह 2012 से 2017 तक देश के सर्वोच्च पद पर काबिज रहे थे। इससे पहले वह सात बार सांसद और कई बार केन्द्रीय मंत्री भी रहे थे।
उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य और मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। राज्यपाल बेबी रानी ने शोक संदेश में उन्हें एक असाधारण जन नेता, शिक्षाविद, अर्थशास्त्री, सांसद और प्रशासक बताया और कहा कि उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन राष्ट्रसेवा में व्यतीत किया। उन्होंने कहा, 'भारत के राष्ट्रपति के रूप में उनका कार्यकाल अविस्मरणीय रहा । मुखर्जी का देहरादून और उत्तराखंड से अत्यंत लगाव था और उन्होंने देहरादून स्थित 'द प्रेसिडेंट बॉडीगार्ड स्टेट’ (आशियाना) भवन का जीर्णोद्धार कराया था। राज्यपाल ने दिवंगत नेता के शोक संतप्त परिजनों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त की है।
देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर शोक जताते हुए पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सोमवार को कहा कि उन्हें ऐसा महसूस हो रहा है जैसे उन्होंने अपना बड़ा भाई खो दिया हो। महाजन ने अपने शोक संदेश में कहा, "मुखर्जी के निधन पर मुझे बहुत पीड़ा हो रही है। ऐसा लग रहा है जैसे मैंने अपना बड़ा भाई खो दिया हो।" भाजपा नेता महाजन (77) ने कहा, "मुखर्जी राजनीति से ऊपर उठकर सलाह देते थे। वह एक कुशल रणनीतिकार थे और जटिल से जटिल समस्याओं का निदान सरलता से निकाल लेते थे।" पूर्व लोकसभा अध्यक्ष ने मुखर्जी की विद्वता को याद करते हुए कहा, " भारत के साथ ही विश्व के अन्य महत्वपूर्ण देशों के संविधानों की बारीकियों का उन्हें पूरा ज्ञान था।"
सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर सोमवार को सात दिन के राजकीय शोक की घोषणा की। एक बयान में गृह मंत्रालय ने कहा कि दिवंगत सम्मानीय नेता के सम्मान में भारत में 31 अगस्त से लेकर छह सितंबर तक राजकीय शोक रहेगा। बयान में कहा गया है कि राजकीय शोक के दौरान देश भर में उन सभी भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा जहां ध्वज लगा रहता है । मंत्रालय ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति के राजकीय अंतिम संस्कार की तारीख, समय और स्थल की जानकारी बाद में दी जाएगी। मुखर्जी का सोमवार को यहां सेना के रिसर्च एडं रेफरल अस्पताल में निधन हो गया। वह 84 साल के थे।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर, अभिनेता अजय देवगन, तापसी पन्नू समेत बॉलीवुड की कई हस्तियों ने शोक जताया। मुखर्जी का आज यहां एक सैन्य अस्पताल में निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे। लता मंगेशकर ने कहा कि मुखर्जी बहुत ही सज्जन पुरुष थे। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘हमारे पूर्व राष्ट्रपति, भारत रत्न से सम्मानित एक भद्र व्यक्ति...हमारे बीच स्नेही और प्रगाढ़ नाता था। परिवार के प्रति मेरी संवेदनाएं।’’ अजय देवगन ने ट्वीट किया, ‘‘भारत ने एक महान राजनीतिज्ञ और एक सम्मानित नेता को खो दिया।’’ अपनी फिल्म ‘‘पिंक’’ की स्क्रीनिंग के दौरान मुखर्जी से हुई मुलाकात को याद करते हुए तापसी पन्नू ने कहा कि वह बहुत ही विनम्र स्वभाव के थे। अभिनेता वरूण धवन ने मुखर्जी की तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि यह वर्ष सभी के लिए ‘‘बहुत अधिक’’ कष्टदायक रहा है।
भारत के राजनैतिक-सामाजिक जीवन में उपजी इस शून्यता को भरना आसान नहीं होगा। संघ के प्रति उनके प्रेम और सद्भाव के चलते हमारे लिए तो वे एक मार्गदर्शक थे। उनका जाना संघ के लिए एक अपूरणीय क्षति है : पूर्व राष्ट्रपति #PranabMukherjee के निधन पर RSS
भारतीय राजनीति की नब्ज पर गहरी पकड़ रखने वाले प्रणव मुखर्जी को एक ऐसी शख्सियत के तौर पर याद किया जाएगा, जो देश का प्रधानमंत्री हो सकता था, लेकिन अंतत: उनका राजनीतिक सफर राष्ट्रपति भवन तक पहुंच कर संपन्न हुआ। 'गुदड़ी के लाल' धरती पुत्र प्रणव मुखर्जी के राजनीतिक जीवन में एक समय ऐसा भी आया था जब कांग्रेस पार्टी में राजनीतिक सीढ़ियां चढ़ते हुए वह इस शीर्ष पद के बहुत करीब पहुंच चुके थे लेकिन उनकी किस्मत में देश के प्रथम नागरिक के तौर पर उनका नाम लिखा जाना लिखा था। दशकों तक जो कांग्रेस के संकटमोचक रहे और जिन्हें देश के सर्वाधिक सम्मानित राजनेताओं में शुमार किया जाता है, वैसे भारत के 13वें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का सोमवार को यहां एक अस्पताल में निधन हो गया।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को अपने पूर्ववर्ती प्रणब मुखर्जी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उनका निधन एक युग का अंत है और राष्ट्र को अपने एक विलक्षण सपूत के निधन का दुख है। कोविंद ने ट्विटर पर कहा, “पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी के निधन के बारे में जानकर दुख हुआ। उनका जाना एक युग का अंत है। सार्वजनिक जीवन में विराट कद हासिल करने वाले प्रणब दा ने भारत माता की सेवा एक संत की तरह की। देश के एक विलक्षण सपूत के चले जाने से समूचा राष्ट्र शोकाकुल है। उनके परिजनों, मित्रों और सभी नागरिकों के प्रति संवेदनाएं।” सेना के एक अस्पताल में यहां मुखर्जी (84) का सोमवार को निधन हो गया। उनके पुत्र अभिजीत ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वह 10 अगस्त से अस्पताल में भर्ती थे। मुखर्जी 2012 से 2017 तक देश के 13वें राष्ट्रपति रहे। कोविंद ने कहा, “असाधारण विवेक के धनी, भारत रत्न मुखर्जी के व्यक्तित्व में परंपरा और आधुनिकता का अनूठा संगम था।”
भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर मैं शोक व्यक्त करता हूं। संसदीय व प्रशासनिक क्षेत्र में उनका अनुभव बेजोड़ था। व्यक्तिगत संबंधों में उन्होंने राजनीतिक जुड़ाव को कभी बाधा नहीं बनने दिया। उनका निधन हम सबके लिए एक अपूरणीय क्षति है : लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला।
कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने कहा है कि प्रणब दा प्रतिदिन अपनी डायरी लिखते थे और अपने जीवन के संस्मरण उन्होंने अपनी जीवनी में लिखे थे जिसका आख़री संस्करण वे लिख रहे थे। भारत के इतिहास में उनका नाम सदैव रहेगा। उन्हें सादर नमन व श्रद्धांजलि। परिवार जनों को संवेदनाएँ। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।
प्रणब दा नहीं रहे। अस्पताल में भर्ती होने के एक सप्ताह पूर्व मुझे उनसे मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। वे प्रसन्नचित थे और लगभग एक घंटे तक चर्चा करते रहे। उनकी स्मरण शक्ति अद्वितीय थी। वर्षों पुरानी घटनाओं को वे याद रखते थे। ५० वर्षों से अधिक उनका उल्लेखनीय संसदीय अनुभव था।
कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी में उनका योगदान इतिहास के सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा। वो अपने आप में एक इनसाइक्लोपीडिया थे। ऐसे शख्स राजनीति में बहुत कम दिखते हैं। कांग्रेस पार्टी के वो भीष्म पितामह थे। उनकी सहमति के बिना कांग्रेस पार्टी कोई फैसला नहीं ले सकती थी।
जनार्दन द्विवेदी ने कहा- कांग्रेस की परंपरा में इस समय प्रणब जी अकेले व्यक्ति थे जिनके साथ इतिहास, संस्कृति एवं राजनीति के व्यापक पक्षों पर लंबा संवाद हो सकता था । यह अपूरणीय क्षति है। मेरी विनम्र श्रद्धांजलि।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर सोमवार को दुख जताया और उनके परिवार एवं मित्रों के प्रति संवेदना प्रकट की। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘हमारे पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जी के दुखद निधन की खबर मिली। देश बहुत दुखी है। मैं उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने में खुद को देश के साथ जोड़ता हूं। उनके परिवार और मित्रों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है।’’ पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मुखर्जी के निधन पर दुख जताया और कहा, ‘‘मुखर्जी एक महान राजनेता थे और उनके जाने से देश को बहुत बड़ी क्षति हुई है। उन्हें अर्थव्यवस्था से लेकर आम आदमी से जुड़े मुद्दों की गहरी समझ थी। उनके योगदान के लिए देश उनका सदैव ऋणी रहेगा।’’