देश के पूर्व राष्‍ट्रपति और कांग्रेस के दिग्‍गज नेता रहे प्रणव मुखर्जी ने राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यक्रम में शामिल होने के निमंत्रण को स्‍वीकार कर लिया है। इसको लेकर सियासी गलियारों में भूचाल आ गया है। लेकिन, यह पहला मौका नहीं है जब प्रणव दा संघ के शीर्ष नेताओं से रूबरू होंगे। इससे पहले भी वह कई मौकों पर आरएसएस के शीर्ष नेतृत्‍व के साथ मंच साझा कर चुके हैं। प्रणव मुखर्जी ने राष्‍ट्रपति रहते हुए आरएसएस के सर संघ चालक मोहन भागवत को राष्‍ट्रपति भवन में लंच पर आमंत्रित किया था। उस वक्‍त भागवत के राष्‍ट्रपति बनने की कयासबाजी जोरों पर थी। प्रणव मुखर्जी ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में भी मोहन भागवत से मुलाकात की थी। इतना ही नहीं प्रणव मुखर्जी फाउंडेशन के उद्घाटन के मौके पर भी आरएसएस के शीर्ष नेताओं को आमंत्रित किया गया था। हालांकि, उस वक्‍त प्रणव मुखर्जी और संघ नेताओं की मुलाकात पर ज्‍यादा कोलाहल नहीं हुआ था। बता दें कि आरएसएस ने तृतीय वर्ष वर्ग के सत्र के समापन के मौके पर पूर्व राष्‍ट्रपति प्रणव मुखर्जी को बतौर मुख्‍य अतिथि आमंत्रित किया था। संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने प्रणव मुखर्जी द्वारा आमंत्रण स्‍वीकार करने की जानकारी दी थी।

तृतीय वर्ष वर्ग के मौजूदा सत्र का समापन समारोह आरएसएस के नागपुर स्थि‍त मुख्‍यालय में 7 जून को आयोजित किया जाएगा। इसके जरिये संघ में नए कार्यकर्ताओं को भर्ती किया जाता है। प्रणव मुखर्जी के अलावा कई अन्‍य हस्तियों को भी इसमें शामिल होने का निमंत्रण दिया गया है। अरुण कुमार ने कहा था कि हमलोगों ने पूर्व राष्‍ट्रपति को आमंत्रित किया था और यह उनकी महानता है कि उन्‍होंने कार्यक्रम में शरीक होने की हामी भर दी है। प्रणव मुखर्जी कांग्रेस के समर्पित नेता रहे हैं, ऐसे में संघ के कार्यक्रम में शामिल होने के उनके फैसले से कांग्रेस के कई नेता हैरत में हैं। मालूम हो कि वर्ष 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा की करारी हार के बाद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने प्रणव मुखर्जी से मुलाकात की थी। कांग्रेस के एक नेता ने प्रतिक्रिया देते हुए बताया कि वर्ष 2010 में कांग्रेस के बुराड़ी अधिवेशन में प्रणव मुखर्जी ने ही एक प्रस्‍ताव रखा था, जिसमें आरएसएस, आतंकवाद और अन्‍य संगठनों की बीच के संपर्क की जांच करने की बात कही गई थी।