कांग्रेस आलकमान ने पूर्व विधायक सुभाष चोपड़ा को दिल्ली कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया है। यह पद पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के देहांत के बाद 20 जुलाई से यह पद खाली था। तभी से पार्टी आलकमान नए अध्यक्ष की तलाश में था। विधानसभा चुवान से पहले पार्टी को एकजुट करने और चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने में सुभाष चोपड़ा की भूमिका बेहद अहम होगी।

पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दिल्ली के वरिष्ठ नेताओं के साथ गहन विचार विर्मश के बाद सुभाष चोपड़ा का नाम फाइनल किया। पिछले कुछ महीनों में पार्टी तीन कार्यवाहक अध्यक्ष हारून युसुफ, देवेंद्र यादव और राजेश लिलोथिया के सहारे थी। वहीं पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आजाद को कैम्पेन कमेटी का चेयरमैन नियुक्त किया गया है।

बताया जाता है कि दिल्ली कांग्रेस के प्रभारी पी सी चाको ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर यही दो नाम पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास भेजे थे। चर्चा थी कि आजाद के नाम पर सहमति करीब-करीब कायम हो चुकी है लेकिन शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित की चाको को लिखी गई चर्चित चिट्ठी और दीक्षित के ही करीबी कुछ कांग्रेसी नेताओं के चाको के खिलाफ मोर्चा खोल दिए जाने के बाद पैदा हुए विवाद के मद्देनजर आजाद की ताजपोशी का औपचारिक एलान टाल दिया गया।

वहीं पार्टी के नेताओं का मानना है कि कई मौकों पर कालकाजी दक्षिण से जीत हासिल करने वाले सुभाष चोपड़ा के पास इस पद के लिए जरूरी सभी तरह का अनुभव है।गौरतलब है कि चोपड़ा को उनके जन्मदिन 23 अक्टूबर को दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। 72 वर्षीय चोपड़ा पहले भी 1998 से 2003 तक दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे हैं।

वह 1998 से 2013 तक लगातार तीन बार कालकाजी विधानसभा सीट से विधायक भी रहे हैं। वह इस सीट से 1998 में पहली बार चुनाव जीते थे। सुभाष चोपड़ा दिल्ली कांग्रेस चीफ पद भी रह चुके हैं। इसके अलावा वह दिल्ली विधानसभा में स्पीकर पद पर भी रह चुके हैं।

वहीं लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में शामिल हुए आजाद ने इस नियुक्ति के साथ लंबे समय बाद दिल्ली की राजनीति में वापसी की है। भाजपा में रहते हुए वह दरभंगा से सांसद रहे। उनके पिता भगवत झा आजाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और बिहार के मुख्यमंत्री रहे थे।