जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय पू्र्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने विश्वविद्यालय से डॉक्ट्रेट की डिग्री हासिल कर ली। डिग्री हासिल करने के बाद कन्हैया ने कहा की वह राजनीति नहीं करना चाहते हैं। वह एकेडमिक में ही रहना चाहते हैं। कन्हैया ने कहा कि वह अब आगे सहायक प्राध्यापक की नौकरी तलाशेंगे। राजनीति उनके लिए बतौर करियर नहीं बल्कि समाज के प्रति जिम्मेदारी है।राष्ट्रद्रोह का आरोप झेल रहे कन्हैया कुमार ने कहा कि उन्होंने जुलाई 2018 में पीएचडी थेसिस जमा कर दी है।
कन्हैया ने कहा कि उन पर देश विरोधी नारे लगाने के आरोप के बावजूद उनहोंने समय पर अपनी पीएचडी पूरी कर ली। कन्हैया कुमार ने वर्ष 2011 में जेएनयू के सेंटर फॉर अफ्रीकन स्टडीज इन स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्कूल में एमफिल/पीएचडी कोर्स के लिए दाखिला लिया था। इसके बाद इन्होंने दो वर्ष एमफिल की और पांच साल पीएचडी की।कन्हैया कुमार ने इस दौरान अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा।’ आज अपनी पीएचडी थीसिस का वाइवा पास करनेे की ख़ुशी आप सभी से साझा करना चाहता हूँ। उन तमाम लोगों का शुक्रगुज़ार हूँ जिन्होंने संघर्ष में मेरा साथ दिया।’ हम लाए हैं तूफान से डिग्री निकालकर। इसके साथ ही कन्हैया न लिखा है। ऑफिशली डॉ. कन्हैया कुमार…

कन्हैया कुमार का कहना है कि वह अपने बैच में वाइवा पूरा करने वाले पहले शख्स है।कन्हैया ने दक्षिण अफ्रीका में उपनिवेशीकरण और सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया, 1994-2015 पर अपना शोध कार्य जमा किया है।कन्हैया का कहना है कि उनके शोध कार्य में उस समय बाधा आई जब उन पर देश विरोधी नारे लगाए जाने के आरोप लगे इस दौरान जेएनयू की जांच कमेटी इस संबंध में जांच भी की। घटना 9 फरवरी 2016 की है जब आतंकी अफजल गुरू की फांसी की तीसरी बरसी पर जेएनयू में विवादित कार्यक्रम आयोजित होने के आरोप लगे।
चार जुलाई 2018 को तब के छात्र संत्र अध्यक्ष रहे कन्हैया कुमार पर चीफ प्रॉक्टर ने अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए 10 हजार का जुर्माना लगाया था। उनके साथ ही कॉलजे के छात्र उमर खालिद को भी दंडित किया गया था। विवाद के बाद कन्हैया ने दिल्ली हाई कोर्ट में अपील दायर की जिसके बाद उनको और उमर खालिद दोनों को थेसिस जमा करने की इजाजत दे दी गई थी।

