Assam Police: असम पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में वेब पोर्टल ‘द वायर’ के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन और सलाहकार संपादक करण थापर का ही नाम शामिल नहीं, बल्कि एफआईआर में दिवंगत जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक और पाकिस्तानी पत्रकार नजम सेठी का भी नाम शामिल है। यह FIR इसी साल मई में दर्ज की गई। सत्यपाल मलिक का 5 अगस्त, 2025 को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था। मलिक जम्मू-कश्मीर के अलावा बिहार, गोवा और मेघालय के राज्यपाल रहे थे।

शिकायत में कहा गया है, ‘बेहद परेशान करने वाली बात यह है कि पत्रकार करण थापर ने द वायर प्लेटफॉर्म पर नजम सेठी, आशुतोष भारद्वाज और जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक जैसे व्यक्तियों के साथ इंटरव्यू की मेजबानी की थी। जिसमें भारत सरकार के खिलाफ गंभीर और आपत्तिजनत टिप्पणियां की गई हैं। यह टिप्पणियां खासकर पहलगाम आतंकी हमले के बाद की गईं।’

असम पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में, जिसमें द वायर के वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन और करण थापर को बुलाया गया था। वहीं, आरोपी के रूप में नामित अन्य लोगों में जम्मू-कश्मीर के दिवंगत पूर्व राज्यपाल सत्य पाल मलिक और वरिष्ठ पाकिस्तानी पत्रकार नजम सेठी का भी नाम शामिल है। दोनों ही समाचार पोर्टल पर थापर के इंटरव्यू कार्यक्रम में अतिथि के रूप में उपस्थित हुए थे। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि इस मामले में वरदराजन और थापर के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।

गुवाहाटी निवासी बीजू वर्मा की शिकायत पर मई में गुवाहाटी अपराध शाखा पुलिस स्टेशन में यह प्राथमिकी दर्ज की गई थी। यह प्राथमिकी बीएनएस की धारा 152 के तहत दर्ज की गई थी, जो भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों से संबंधित है, और बीएनएस की अन्य धाराओं के तहत विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना, भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता या सुरक्षा को खतरे में डालने वाली झूठी या भ्रामक जानकारी प्रकाशित करना; सार्वजनिक शरारत फैलाने वाले बयान; और आपराधिक षडयंत्र है।

12 अगस्त को, असम पुलिस ने वरदराजन और थापर को गुवाहाटी में पेश होने के लिए समन जारी किया था। यह उसी दिन हुआ जब सुप्रीम कोर्ट ने असम के मोरीगांव ज़िले में धारा 152 के तहत दर्ज एक अन्य एफआईआर में वरदराजन को गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी।

जिस शिकायत के आधार पर गुवाहाटी क्राइम ब्रांच में एफआईआर दर्ज की गई थी, उसमें आरोप लगाया गया था कि अप्रैल में पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद ‘द वायर’ पर प्रकाशित लेख और टिप्पणियां “प्रथम दृष्टया भारत की संप्रभुता और सुरक्षा को कमज़ोर करती हैं, दुश्मनी और सार्वजनिक अव्यवस्था को बढ़ावा देती हैं और गलत सूचना फैलाती हैं” और इसमें वरदराजन, थापर, मलिक, सेठी और पत्रकार आशुतोष भारद्वाज, जो द वायर, हिंदी के संपादक हैं, उनको आरोपी बनाया गया है। इसमें आरोप लगाया गया है कि थापर का इंटरव्यू शो “सीमा पार तत्वों द्वारा किए गए आतंकवादी कृत्यों के लिए भारतीय राज्य को दोषी ठहराने” के एक “मंच” के रूप में काम करता है।

शिकायत में कहा गया है कि बेहद परेशान करने वाली बात यह है कि पत्रकार करण थापर ने द वायर प्लेटफॉर्म पर नजम सेठी, आशुतोष भारद्वाज और जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक जैसे व्यक्तियों के साथ साक्षात्कारों की की मेजबानी की है, जिसमें भारत सरकार के खिलाफ गंभीर और आपत्तिजनक टिप्पणियां की गई हैं। जो खासकर पहलगाम आतंकी हमले के बाद की गईं।

इसमें कहा गया है कि नजम सेठी को शामिल करने से एक अंतर्राष्ट्रीय आयाम जुड़ गया है, जिससे भारत के संवैधानिक लोकतंत्र को दमनकारी के रूप में पेश करने का जोखिम पैदा हो गया है, जबकि शत्रुतापूर्ण शासनों द्वारा प्रचारित आख्यानों को बौद्धिक मान्यता मिलने की संभावना है।

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शिकायत में कश्मीर की स्थिति, सुरक्षा मुद्दों और ऑपरेशन सिंदूर पर पोर्टल पर प्रकाशित कई लेखों का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि वे भारत के सशस्त्र बलों की विश्वसनीयता को व्यवस्थित रूप से नष्ट करते हैं, इसकी संप्रभु प्रतिक्रियाओं की वैधता पर सवाल उठाते हैं, बिना सत्यापन के शत्रुतापूर्ण आख्यानों को बढ़ाते हैं, और आतंकवाद विरोधी अभियानों को सांप्रदायिक या चुनावी उद्देश्यों के साथ कपटपूर्ण तरीके से समान करते हैं।

गुरुवार को असम पुलिस ने दिल्ली के एक अन्य पत्रकार अभिसार शर्मा के खिलाफ धारा 152 के तहत एक और एफआईआर दर्ज की थी। यह एफआईआर उनके यूट्यूब चैनल पर गुवाहाटी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश संजय कुमार मेधी की हालिया टिप्पणियों पर एक वीडियो के खिलाफ शिकायत के आधार पर दर्ज की गई थी। मेधी ने सवाल उठाया था कि आदिवासी दीमा हसाओ जिले में 3,000 बीघा जमीन एक निजी कंपनी को सीमेंट कारखाना स्थापित करने के लिए क्यों आवंटित की गई।

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