राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार (16 मार्च) को पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) रंजन गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया। जस्टिस गोगोई को मनोनीत करने पर विपक्ष हमलावर हैै। कांग्रेस प्रवक्ताओं ने इस मसले पर तंज कसे हैं। हालांकि, यह पहला मामला नहीं है, जब कोई पूर्व सीजेआई राज्य सभा सांसद बने हों। साल 1998 में Congress ने भी पूर्व सीजेआई को राज्यसभा सांसद बनाया था।

पूर्व सीजेआई रंगनाथ मिश्रा को कांग्रेस ने वर्ष 1998 से 2004 तक  राज्यसभा में भेजा था। वह देश के 21वें मुख्य न्यायाधीश थे। वह 25 सितंबर 1990 से 24 नवंबर, 1991 तक देश के मुख्य न्यायाधीश थे। जस्टिस मिश्रा 1983 में सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त हुए थे और 1990 में सीजेआई बने थे। 1984 में पीएम  इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के सिख दंगों की जांच के लिए राजीव गाँधी सरकार ने रंगनाथ मिश्र आयोग का गठन किया था जिसने अपनी रिपोर्ट 1986 में दी थी।

जस्टिस मिश्रा ने अपनी रिपोर्ट में कांग्रेस को क्लीन चिट दी थी। हालांक‍ि, कई साल बाद कोर्ट ने कांग्रेस नेता सज्‍जन कुमार सह‍ित कई को दोषी पाया और सजा भी सुनाई।

जस्‍ट‍िस रंगनाथ म‍िश्रा ने र‍िटायरमेंट के करीब सात साल बाद कांग्रेस ज्वॉइन कर ली थी। इस बीच वो राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष भी रहे। बाद में कांग्रेस ज्वाइन करने पर पार्टी ने उन्हें उच्च सदन के चुनाव में खड़ा किया और जस्टिस मिश्रा चुनकर राज्यसभा में पहुंचे थे। वह 1998 से 2004 तक सांसद रहे।

राज्यसभा से ज्यूडिश्यरी जाने का भी है मामलाः वैसे, इतिहास में एक ऐसा मामला भी है जिसमें कोई व्यक्ति राज्यसभा से ज्यूडिश्यरी की ओर शिफ्ट हुआ हो। ऐसा करने वाले थे- बहरूल इस्लाम। साल 1962 और 1968 में वह कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा गए थे। 1972 में उन्होंने गुवाहाटी हाईकोर्ट के जज बनने के लिए संसद से इस्तीफा दे दिया था। इस्लाम 1980 में रिटायर हुए, पर इंदिरा गांधी के सत्ता में लौटने पर उन्हें फिर सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में भेज दिया गया था।

अयोध्या मंदिर विवाद पर फैसला सुनाने वाले पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई राज्यसभा के लिए नामित

11वें CJI जस्टिस हिदायतुल्ला रह चुके हैं कार्यवाहक राष्ट्रपति: जस्टिस हिदायतुल्ला खान 25 फरवरी 1968 से 16 दिसंबर 1970 के बीच देश के 11वें सीजेआई रहे। उनकी नियुक्ति राष्ट्रपति जाकिर हुसैन ने की थी। इसके अलावा वो देश के छठे उप राष्ट्रपति भी रहे। 31 अगस्त 1979 से 30 अगस्त, 1984 के बीच उनका उप राष्ट्रपति का कार्यकाल रहा। बता दें कि भारत में उपराष्ट्रपति ही राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं।

जस्टिस हिदायतुल्ला खान 20 जुलाई 1969 से 24 अगस्त 1969 तक देश के कार्यवाहक राष्ट्रपति भी रह चुके हैं। 17 दिसंबर 1905 को जन्मे जस्टिस हिदायतुल्ला रायपुर के सरकारी हाईस्कूल में पढ़े। बाद में उन्होंने नागपुर के मॉरिस कॉलेज में दाखिला ले लिया था। फिर वह आगे की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड गए, जहां उन्होंने कैंब्रिज स्थित ट्रिनिटी कॉलेज से बीए और एमए किया था।

पूर्व CJI को बनाया गवर्नर:  इससे पहले मोदी सरकार ने साल 2014 में पूर्व सीजेआई पी सताशिवम को केरल का गवर्नर नियुक्त किया था। उस वक्त भी इस पर हंगामा मचा था।

सुप्रीम कोर्ट में पहली महिला जज बनने वाली जस्टिस एम फातिमा बीवी को भी रिटायरमेंट के बाद कांग्रेस सरकार ने तमिलनाडु का गवर्नर बनाया था। हालांकि, उनकी नियुक्ति सेवानिवृति के पांच साल बाद हुई थी। इससे पहले वो राष्ट्रीय मनवाधिकार आयोग में भी सदस्य नियुक्त हुई थीं।  जस्टिस फातिमा 25 जनवरी 1997 से 3 जुलाई 2001 तक तमिलनाडु की गवर्नर रहीं।

(जनवरी, 2018 में जस्‍ट‍िस गोगोई और उनके तीन सहयोगी जजों ने तत्‍कालीन मुख्‍य न्‍यायाधीश के ख‍िलाफ प्रेस कॉन्‍फ्रेंस की थी। ऊपर का वीड‍ियो इसी से संबंध‍ित है। भारतीय न्‍यायपाल‍िका के इत‍िहास में ऐसा पहले शायद कभी नहीं हुआ था।)

जस्टिस गोगोई को RS सीट के ऑफर पर कांग्रेस ने किया तंजः कांग्रेस ने पूर्व CJI गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने पर सोमवार को कटाक्ष किया। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा- तस्वीरें सब कुछ बयां करती हैं। उन्होंने इस टिप्पणी के साथ ट्वीट में दो खबरों के स्क्रीनशॉट शेयर किए थे।

उनके द्वारा किए गए ट्वीट में पहली खबर में गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने की सूचना थी, जबकि दूसरी में कहा गया था कि न्यायपालिका पर जनता का विश्वास कम होता जा रहा है।