चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रहे उदय उमेश ललित ने रविवार (13 नवंबर, 2022) को कहा कि सोहराबुद्दीन एनकाउंटर केस में वो अमित शाह की पैरवी करने के लिए पेश हुए थे, लेकिन वो वकीलों के पैनल को लीड नहीं कर रहे थे। न्यूज चैनल एनडीटीवी के साथ एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने यह बात कही।
जस्टिस यूयू ललित हाल ही में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के पद से रिटायर हुए हैं। रिटारमेंट के बाद एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा कि यह बात सच है कि वह सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले में गृह मंत्री अमित शाह के लिए वो पेश हुए थे, लेकिन वो केस के मुख्य वकील नहीं थे। वकीलों के पैनल को राम जेठमलानी लीड कर रहे थे।
उन्होंने कहा, “मुझे इस मामले में जानकारी दी गई थी, लेकिन मैं कभी भी मेन वकील नहीं रहा। मैं शाह के सह-अभियुक्तों के लिए पेश हुआ, लेकिन मुख्य मामले में नहीं। बल्कि दूसरे मामले में।
अगस्त 2014 में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति से पहले न्यायमूर्ति ललित कई हाई-प्रोफाइल और विवादास्पद मामलों में वकील थे। उन्होंने गुजरात में सोहराबुद्दीन शेख और तुलसीराम प्रजापति की कथित फर्जी मुठभेड़ हत्या मामले में अमित शाह का प्रतिनिधित्व किया था। उस समय अमित शाह गुजरात के गृहमंत्री थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर सोहराबुद्दीन शेख, उनकी पत्नी कौसरबी और सहयोगी तुलसीराम प्रजापति की कथित फर्जी मुठभेड़ों को कवर करने का आरोप लगाया गया था। उस समय यूयू ललित अमित शाह के वकील थे।
उन्होंने यह भी बताया कि मई 2014 में केंद्र में सरकार बदली थी, जबकि उनसे अप्रैल में ही सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर नियुक्त करने के लिए पूछा गया था और उस वक्त यूपीए पावर में थी। उन्होंने कहा कि सरकार बदलने से पहले ही सर्वोच्च न्यायालय में जज के तौर पर उनकी नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो गई थी।
साल 2014 में पीएम मोदी की सरकार में न्यायमूर्ति यूयू ललित को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश बनाया गया था, जबकि न्यायपालिका के लिए पूर्व सॉलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम के नाम के प्रस्ताव को पुनर्विचार के लिए वापस भेज दिया गया था। उस समय जस्टिस यूयू ललित की पदोन्नति जांच के दायरे में आ गई थी। तब सुब्रमण्यम ने आरोप लगाया था कि सोहराबुद्दीन शेख मामले में अदालत की सहायता करने में उनकी भूमिका के लिए “स्वतंत्रता और अखंडता” प्रदर्शित करने के लिए उन्हें निशाना बनाया जा रहा था। न्यायमूर्ति ललित जस्टिस आरएफ नरीमन के बाद दूसरे व्यक्ति थे, जो एक पूर्व सॉलिसिटर जनरल भी थे और करीब दो दशकों में सीधे बार से सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बने।