भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) के रूप में बीते शुक्रवार को अपना कार्यकाल पूरा करने वाले राजीव महर्षि ने कहा कि उन्होंने डिफेंस ऑडिट रिपोर्टों को ऑनलाइन उपलब्ध नहीं कराया क्योंकि वाशिंगटन (अमेरिका), बीजिंग (चीन) और इस्लामाबाद (पाकिस्तान) में भी इन रिपोर्टों को कोई देख रहा होगा। उन्होंने कहा कि विचार ये है कि ये रिपोर्ट्स आसानी से उपलब्ध ना हों। इसकी जरुरत नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया, ‘ये कोई सरकारी फैसला नहीं था, बल्कि मेरे द्वारा लिया गया निर्णय था।’

पूर्व सीएजी ने आगे कहा, ‘संसद को हम रिपोर्ट दे रहे हैं। पीएसी को हम रिपोर्ट दे रहे हैं। वास्तव में ये कोई रहस्य नहीं है। कम से कम हम इसे एक बटन के क्लिक पर उलब्ध नहीं कर सकते हैं। कोई वाशिंटन में भी देख रहा है। बीजिंग में भी देख रहा है और इस्लामाबाद में भी देख रहा है। इसलिए हमने एक फैसला लिया।’ उन्होंने कहा कि हमारी रिपोर्ट आएगी तो उसमें हम कमियां बताएंगे। मगर डिफेंस की रिपोर्ट को वेबसाइट पर डालने का कोई सेंस नहीं है। विश्व में ये रिपोर्ट क्यों हर किसी के लिए आसानी से उपलब्ध होनी चाहिए।

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राजीव महर्षि ने संडे एक्सप्रेस को बताया, ‘जब मैं गृह विभाग में था, तब पाकिस्तान के साथ बहुत तनाव था। तब एक रिपोर्ट आई थी सीएजी की। उसमें बारूद की कमी के बारे में बताया गया था। अगर कमी है तो भी… मान लीजिए कमी है, तो कम से कम दुश्मन को तो मालूम नहीं होना चाहिए।’ पूर्व केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि को सितंबर 2017 में सीएजी नियुक्त किया गया था।

सीएजी वेबसाइट पर आखिरी बार डिफेंस ऑडिट रिपोर्ट, परफॉर्मेंस ऑडिट डिफेंस ऑफ पेंशन (2017) उनके कार्यभार संभालने से कुछ दिनों पहले अपलोड की गई थी। रिपोर्ट 28 जुलाई, 2017 को संसद पटल पर पेश की गई। फरवरी 2019 में, सीएजी की ‘भारतीय वायु सेना में पूंजी अधिग्रहण’ पर परफॉर्मेंस ऑडिट रिपोर्ट और केंद्र सरकार (रक्षा सेवा) वायु सेना से जुड़ी रिपोर्ट बजट सत्र के आखिरी दिन राज्यसभा में पेश की गई।

इसमें ये निष्कर्ष निकाला गया कि 36 लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए फ्रांस के साथ एनडीए सरकार का अनुबंध यूपीए सरकार के राफेल सौदे के लिए सीएजी द्वारा निर्धारित मूल्य से 2.86 फीसदी कम था। बता दें कि महर्षि के कार्यकाल के दौरान सीएजी ने संसद में आठ डिफेंस ऑडिट रिपोर्ट पेश की मगर कैग की वेबसाइट पर इन्हें उपलब्ध नहीं कराया गया।