एक समय देश के अधिकांश प्रदेशों में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार थी। बिहार में भी कुछ ऐसा ही था। 1970 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री की कुर्सी केवल इस वजह से चली गई क्योंकि एक सरकारी बस कंडक्टर का निलंबन हो गया था। शायद आपको आश्चर्य लग रहा हो कि एक मामूली से बस कंडक्टर के निलंबन की वजह से मुख्यमंत्री की कुर्सी कैसे जा सकती है, वो भी बिहार जैसे बड़े प्रदेश में, लेकिन बात पूरी तरह सच है। हम बात कर रहे हैं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दारोगा प्रसाद राय की।
दारोगा प्रसाद राय साल 1970 में बिहार के मुख्यमंत्री बने। उनके कार्यकाल के दौरान एक सरकारी बस कंडक्टर का निलंबन उनकी सरकार के लिए गले का फांस बन गया और अंततः: उनकी सरकार गिरने का मुख्य कारण भी बना।
द लल्लनटॉप के चुनावी किस्से के अनुसार, साल 1970 में बिहार राजपथ परिवहन के आदिवासी कंडक्टर का निलंबन हुआ। जिसके बाद निलंबित बस कंडक्टर ने झारखंड पार्टी के बड़े आदिवासी नेता बागुन सुम्ब्रई से गुहार लगाई। बस कंडक्टर के निलंबन के मामले को लेकर बागुन मुख्यमंत्री दारोगा प्रसाद से मिले और इस फैसले को वापस लेने का अनुरोध किया।
इसके बाद करीब एक सप्ताह बीत गया, लेकिन विभाग की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई जिस पर बागुन दोबारा दारोगा प्रसाद से मिले और अपनी नाराजगी जाहिर की। बताया जाता है कि इसी घटना के बाद बागुन ने सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया।
लेफ्ट और झारखंड पार्टी ने दारोगा प्रसाद को नहीं दिया था समर्थन
दारोगा प्रसाद को ऐसी उम्मीद थी कि बागुन के समर्थन वापस लेने के बाद भी वो विश्वास मत हासिल कर लेंगे, लेकिन जब सदन के पटल पर वोटिंग हुई तब पता चला कि दारोगा प्रसाद विश्वास मत हासिल नहीं कर पाए और उनके पक्ष में महज 144 विधायक थे। जबकि विपक्ष में 164 विधायक थे। झारखंड से आने वाले बागुन के 11 समर्थकों ने जहां विपक्ष में वोट दिया वहीं लेफ्ट पार्टी ने भी सरकार का साथ नहीं दिया।
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दारोगा प्रसाद राय ने साल 1952 में अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ा और परसा सीट से चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने। उन्हें ये टिकट बिहार और देश के दिग्गज नेता जगजीवन राम के करीबी होने के वजह से मिला था। जगजीवन राम ने ही दारोगा को कांग्रेस से शामिल कराया था। साल 1970 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार का जिम्मा उन्हें मिला लेकिन महज 10 महीने के भीतर ही दारोगा प्रसाद की सरकार गिर गई। इसके बाद वो अब्दुल गफूर की सरकार में उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री रहे जबकि केदार पांडेय की सरकार में वो कृषि मंत्री रहे।
दारोगा प्रसाद राय से लालू यादव का सीधा संबंध है। दरअसल जब देश में मंडल कमीशन का दौर शुरू हुआ तो दारोगा के बेटे चंद्रिका राय लालू के साथ हो लिए। जिसके बाद वो 1985 में पहली बार परसा विधानसभा से विधायक बने। वो साल 2015 से 2017 तक बिहार सरकार में राजपथ मंत्री रहे। साल 2018 में लालू यादव के बड़े बेटे और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव से चंद्रिका राय की बेटी ऐश्वर्या राय से शादी हुई। हालांकि ये शादी ज्यादा दिन चली नहीं और शादी के महज कुछ ही महीने बाद ऐश्वर्या और तेज प्रताप अलग-अलग रहने लगे। अभी दोनों के बीच तलाक का मामला कोर्ट में चल रहा है।