Haryana Politics: कांग्रेस पार्टी हरियाणा में अपने संगठनात्मक ढांचे को फिर से जिंदा करने की कोशिश में लगी हुई है। वहीं सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनाव जीतने के बाद अपना फोकस गांवों पर ज्यादा कर लिया है। सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि पिछले छह चुनावों में अपने प्रदर्शन को आंकने के बाद बीजेपी ने पाया कि राज्य में करीब 6,800 गांव हैं और इनमें पिछले एक दशक में किसी भी चुनाव में वह 58 फीसदी गांवों में बढ़त हासिल करने में सफल नहीं हुई। जबकि यह 24 फीसदी गांवों में सभी छह चुनावों में बढ़त हासिल करने में कामयाब रही, लेकिन 18 पर्सेंट गांवों में कम से कम एक बार टॉप पर रही।

हरियाणा बीजेपी चीफ मोहन लाल बडोली ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया, ‘जिन गांवों में पार्टी एक भी चुनाव में बढ़त हासिल नहीं कर पाई, उनके लिए एक खास योजना तैयार की गई है। ऐसे गांवों में संगठनात्मक टीमें बनाई गई हैं और बीजेपी के प्रदर्शन पर लोगों से फीडबैक लिया जा रहा है। हम यह पता लगाएंगे कि हार का कारण उम्मीदवार, जातिगत समीकरण, क्षेत्र में विकास की कमी या फिर किसी आंदोलन की वजह से वोटर की भावना पर असर पड़ा। हर गांव में अलग-अलग कारण हो सकते हैं और हम सभी कारणों का अध्ययन करेंगे।’

विधानसभा चुनाव में बीजेपी-कांग्रेस का वोट शेयर

एक्सप्रेस से बात करने वाले बीजेपी नेताओं ने यह भी कहा कि पार्टी ने 2029 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में 50 फीसदी वोट शेयर का टारगेट रखा है। सत्तारूढ़ पार्टी ने अपने कोशिशों को ऐसे समय में आगे बढ़ाया है जब कांग्रेस वोट शेयर में अंतर को कम करने में कामयाब रही है। पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 39.9 फीसदी वोट शेयर के साथ राज्य में 48 सीटें जीतीं। वहीं कांग्रेस ने 39.1 फीसदी वोट शेयर के साथ 37 सीटें जीतीं।

हरियाणा की हार पर फूटा राहुल गांधी का गुस्सा

2019 में बीजेपी 90 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत से चूक गई, उसने 36.49 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 40 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस ने 28.08 फीसदी वोट शेयर के साथ 31 सीटें जीतीं। 2014 में जब बीजेपी ने पहली बार हरियाणा में अपने दम पर सरकार बनाई थी, तो उसने 33.2 फीसदी वोट शेयर के साथ 47 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस ने 20.5 फीसदी वोट शेयर के साथ 15 सीटें जीती थीं।

लोकसभा चुनाव में बीजेपी-कांग्रेस का वोट शेयर

लोकसभा चुनावों में भी कांग्रेस बीजेपी के करीब पहुंच रही है, 2019 में वोट शेयर का अंतर 29.7 प्रतिशत से घटकर पिछले साल सिर्फ 2.44 प्रतिशत रह गया है। पिछले साल के चुनावों में, जहां बीजेपी और कांग्रेस ने पांच-पांच सीटें जीती थीं, बीजेपी को 46.11 फीसदी वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस को 43.67 फीसदी वोट मिले थे। पांच साल पहले, बीजेपी ने 58 प्रतिशत वोट शेयर के साथ राज्य की सभी 10 सीटों पर कब्जा कर लिया था, जबकि कांग्रेस 28.42 फीसदी वोट हासिल करके एक भी सीट नहीं जीत पाई थी।

2014 में बीजेपी ने 34.74 फीसदी वोट शेयर के साथ सात सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस ने सिर्फ़ एक सीट जीती थी। उसका वोट शेयर 22.92 फीसदी वोट मिले थे। तीसरे कार्यकाल के बाद बीजेपी ने अपना बेहतर प्रदर्शन जारी ही रखा। मार्च के महीने में हुए मेयर इलेक्शन में बीजेपी ने 9 सीटों पर बाजी मारी। पार्टी के एक नेता ने कहा कि जीत ने शहरी क्षेत्रों में पार्टी के गढ़ को मजबूत किया और गांव के क्षेत्रों में हमारे प्रदर्शन को बेहतर बनाने पर फोकस करने की प्लानिंग की जा रही है।

कांग्रेस का कमबैक प्लान

कांग्रेस पार्टी ने अभी तक राज्य में विपक्ष के नेता का चुनाव नहीं किया है। पार्टी ने स्टेट यूनिट के तहत रिस्ट्रक्चर प्लान तैयार किया है। इस कवायद के तहत एआईसीसी हरियाणा प्रभारी बीके हरिप्रसाद और प्रदेश कांग्रेस प्रमुख उदय भान ने 2 जून को हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के 69 पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की घोषणा की। पर्यवेक्षकों को पूरे राज्य में पार्टी को मजबूत करने का काम सौंपा गया है।

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने 4 जून को पुनर्गठन की कोशिशों पर फीडबैक लेने के लिए पार्टी नेताओं के साथ बातचीत की। सूत्र ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘राहुल गांधी ने यह भी साफ किया कि गुटबाजी के कारण पार्टी को कोई नुकसान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और हाल ही में नियुक्त पर्यवेक्षक ऐसे पार्टी कार्यकर्ताओं की तलाश करेंगे जो पार्टी के हित में काम करते हों, पार्टी की विचारधाराओं के लिए निष्ठा रखते हों और इसलिए नहीं कि वे किसी खास पार्टी नेता के चहेते हों।’ हरियाणा में बनी ट्रिपल इंजन की सरकार