उत्तर भारत में विनाशकारी बाढ़ ने जलवायु परिवर्तन, शहरीकरण और बुनियादी ढांचे की विफलताओं के बीच भारत के प्रमुख शहरों को तबाह करने की गतिशीलता की ओर ध्यान आकर्षित किया है। लंबे समय तक बारिश से भूस्खलन और भूस्खलन से जीवन और संपत्ति को गंभीर खतरा होगा। दिल्ली में बाढ़ है, जो आमतौर पर बारिश से जुड़ा हुआ शहर नहीं है और जिसने देश भर का ध्यान उन आपदाओं की ओर आकर्षित किया है जो आने वाली हैं।
आर्कटिक के साथ-साथ अरब सागर में गर्मी के रुझान को देखते हुए भारी बारिश की बढ़ती संभावना का मतलब है कि भविष्य में बाढ़ की कई और घटनाएं होंगी। जबकि बंगलुरु, चेन्नई और मुंबई में शहरी बाढ़ आम होता जा रहा है। दिल्ली को खुद को सुरक्षित नहीं मानना चाहिए, क्योंकि इसकी आबादी और बुनियादी ढांचे की जरूरतें केवल बढ़ने वाली हैं।
जिस तरह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए एक सामान्य प्रबंधन रणनीति विकसित की है, यह मानते हुए कि स्वच्छ हवा सभी शहरों की कार्रवाई पर अन्योन्याश्रित है, इन राज्यों ने अपने मतभेदों को दूर किया है, इसी तरह भविष्य में आने वाली बाढ़ से निपटने के लिए संयुक्त रणनीति बनाई जाए।
एमटी फारूकी, मुंबई।
नया सितारा
अल्कारेज ने विंबलडन के इतिहास के दूसरे सबसे लंबे फाइनल में दिग्गज खिलाड़ी जोकोविच को पांच सेटों में हराकर एक नए युग का आगाज किया है। भले ही जोकोविच के प्रशंसक निराश हों, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि एक नए सितारे का उदय हो चुका है और स्पेनिश अल्कारेज ने अपने देश के मशहूर खिलाड़ी राफेल नडाल से मशाल ले ली है।
आगे उनकी परंपरा को बढ़ाने के लिए। जिस तरह से जोकोविच ने पांचवें सेट तक संघर्ष किया, उस से उन्होंने साबित कर दिया है कि क्यों वे विश्व के सबसे ज्यादा ग्रैंड स्लैम जीतने वाले खिलाड़ी हैं। इस साल जोकोविच और अल्कारेज, दोनों विश्व के नंबर वन रैंकिंग हासिल कर चुके हैं और उनके बीच की उच्च स्तर की प्रतिस्पर्धा टेनिस के खेल के लिए एक सुखद संकेत है। आशा की जा सकती है कि अल्कारेज अपने बेहतरीन खेल से दर्शकों का मन मोहते रहेंगे और नडाल, फेडरर और जोकोविच के बाद पुरुष टेनिस को आगे बढ़ने में अपनी भूमिका अदा करेंगे।
बाल गोविंद, सेक्टर- 44, नोएडा।
सफलता का अवकाश
भारत का आगामी चंद्र मिशन चंद्रयान-तीन देश और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष समुदाय दोनों के लिए अत्यधिक महत्त्व रखता है। चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित उतरने और घूमने की क्षमताओं का प्रदर्शन करने पर ध्यान केंद्रित करने के साथ चंद्रयान-तीन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्त्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
चंद्रमा पर उतरने और वहां घूमने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन करके भारत खुद को अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक अग्रणी खिलाड़ी के रूप में स्थापित करेगा। यह मिशन न केवल चंद्रयान-दो की उपलब्धियों को आगे बढ़ाएगा, बल्कि भविष्य के अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष सहयोग के लिए एक विश्वसनीय और सक्षम भागीदार के रूप में भारत की स्थिति को भी मजबूत करेगा।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चंद्रयान-तीन वैश्विक अंतरिक्ष मंच के लिए काफी महत्त्व रखता है। चंद्र अन्वेषण में भारत की सक्रिय भागीदारी चंद्रमा की सतह के बारे में सामूहिक ज्ञान और समझ को बढ़ाती है। लैंडर और रोवर पर वैज्ञानिक पेलोड ऐसे प्रयोग करेंगे जो मूल्यवान डेटा और अंतर्दृष्टि का योगदान देंगे, जिससे चंद्र अनुसंधान में अंतरराष्ट्रीय सहयोग और प्रगति को बढ़ावा मिलेगा।
इसके अलावा, चंद्रयान-तीन भारत को पृथ्वी से परे अंतरिक्ष अन्वेषण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा। अंतरग्रहीय मिशनों में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करके भारत अंतरिक्ष अन्वेषण और चंद्रमा पर संभावित मानव मिशनों के भविष्य में एक महत्तवपूर्ण खिलाड़ी के रूप में खुद को स्थापित करेगा।
अवनीश कुमार गुप्ता, आजमगढ़, उप्र।
सियासत और अपराध
चुनाव सुधार की कमजोर नीतियों के कारण राजनीति में आपराधिक छवि के लोगों का नेता बनना अब सामान्य बनता जा रहा है। आए दिन ऐसे उदाहरण सामने आते हैं जब कोई अपराधी राजनीति को अपना सुरक्षा कवच बनाकर चुनाव मैदान में आ कूदता है। एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म्स यानी एडीआर की एक रिपोर्ट के अनुसार देश की विभिन्न विधानसभाओं में चालीस फीसद विधायक आपराधिक पृष्ठभूमि से हैं। इनमें से अट्ठाईस फीसद विधायक गंभीर अपराधों के दोषी हैं। यह आंकड़ा तो उनका स्वयं घोषित है।
इस मामले में दिल्ली का भी बुरा हाल है, जो आपराधिक पृष्ठभूमि के विधायकों के मामले में देश में तीसरे स्थान पर और गंभीर अपराधों वाले विधायकों के मामले में पहले स्थान पर है। समझ नहीं आता कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को चुनाव लड़ने से क्यों नहीं रोका जा पा रहा। ऐसी कौन-सी मजबूरी होती है जो स्वयं घोषित अपराधी को भी चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा पाता? इसके अलावा, कम से कम इतना तो किया ही जा सकता है कि किसी भी व्यक्ति को एक से अधिक स्थानों से चुनाव लड़ने से रोका जाए।
नरेंद्र टोंक, मेरठ।
सुविधा का खेमा
‘महाराष्ट्र का ऊंट’ (संपादकीय, 17 जुलाई) पढ़ा। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री के समांतर उपमुख्यमंत्री अजीत पवार भी खासा प्रभाव रखते हैं। यही वजह है कि पहले उद्धव ठाकरे और फिर एकनाथ शिंदे के मंत्रिमडल में उनको मनचाहा विभाग ही नहीं मिला, बल्कि उनके साथियों को भी इच्छानुसार विभाग मिले। लेकिन यह ध्यान रखना चाहिए कि अगर उपमुख्यमंत्री का प्रभाव मुख्यमंत्री के फैसलों पर असर डालेगा, तो उससे जनहित के कार्यों में अड़चनें ही बढ़ेंगी।
बीएल शर्मा ‘अकिंचन’, उज्जैन, मप्र।