शराब कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ जारी लुक-आउट नोटिस पर ढुलमुल रवैया अपनाने को लेकर आलोचना का सामना कर रही सीबीआई ने शुक्रवार को स्वीकार किया कि उसकी ओर से ‘‘असावधानी की वजह से हुई भूल’’ के कारण माल्या को हिरासत में लेने का नोटिस इम्रिग्रेशन अथॉरिटी को जारी कर दिया गया था ।
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सीबीआई इस मुद्दे पर आलोचना का सामना कर रही है कि दो मार्च को आखिर बगैर किसी रोकटोक के माल्या भारत से जाने में कैसे कामयाब रहे । इस मुद्दे पर भाजपा और कांग्रेस एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। सीबीआई ने देश छोड़ते वक्त माल्या को हिरासत में लेने के लिए जारी किया गया लुक-आउट नोटिस महज एक महीने के भीतर बदल दिया था। बदले हुए नोटिस में कहा गया था उनकी यात्रा की योजना की जानकारी देनी होगी।
सीबीआई के एक प्रवक्ता ने शुक्रवार को दावा किया कि 10 अक्तूबर 2015 को तलाशी के दौरान माल्या नहीं मिले थे । इसके बाद एजेंसी ने इमिग्रेशन अथॉरिटी को पत्र लिखकर कहा कि उसे नोटिस जारी करने की जरूरत है, जिससे सुनिश्चित किया जा सके कि आईडीबीआई की संलिप्तता वाले 900 करोड़ रूपए का कर्ज न चुकाने के मामले में माल्या पूछताछ के लिए उपलब्ध हो सकें।
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एजेंसी ने दावा किया कि लुक-आउट सर्कुलर के तहत किसी को तभी हिरासत में लिया जा सकता है, जब आरोपी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया गया हो । लेकिन माल्या के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी नहीं किया गया था।