कारोबार और अर्थव्यवस्था से जुड़ी हर खबर पर पैनी निगाह रखने वाले जैन 58 बरस के थे। अस्पताल के डॉक्टरों के मुताबिक, बीते 24 घंटों में उनके शरीर के कई अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। तीन मई को वहां उन्हें भर्ती कराया गया था, जिसके बाद से ही उनका ऑक्सीजन लेवल गिरने लगा था। बताया जाता है कि उन्हें शनिवार सुबह कार्डियक अरेस्ट भी पड़ा था, पर वह उसमें बच गए थे। हालांकि, शाम साढ़े आठ बजे उन्हें फिर से यही अटैक आया, जिसमें उनका देहांत हो गया।

जैन अपने पीछे परिवार में पत्नी नमिता और बेटे अभिनव को छोड़ गए हैं। उनकी बहन संध्या के बयान के अनुसार, “मेरे भाई, सुनील जैन का आज शाम कोविड के बाद की जटिलताओं से निधन हो गया। उन्हें दिन में पहले कार्डियक अरेस्ट का सामना करना पड़ा, लेकिन फिर ठीक हो गए, और अंत में लगभग 8.30 बजे एक और कार्डियक अरेस्ट के बाद उनका निधन हो गया। एम्स के डॉक्टरों और सभी मेडिकल स्टाफ ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। इस मुश्किल घड़ी में हमारे साथ खड़े होने के लिए मैं आप सबको धन्यवाद देती हूं।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर सुनील जैन के निधन पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, “आपने हमें बहुत जल्दी छोड़ दिया, सुनील जैन। मुझे आपके कॉलम पढ़ने और विविध मामलों पर आपके स्पष्ट और व्यावहारिक विचारों को सुनने की कमी खलेगी। आप अपने पीछे काम की एक प्रेरणादायी श्रेणी को छोड़कर गए हैं। आपके दुखद निधन से आज पत्रकारिता कमजोर हुई है। परिवार और दोस्तों के प्रति संवेदना। ओम शांति।” इसके अलावा देश के मीडिया और पत्रकारिता जगत के तमाम बड़े लोगों ने दुख और संवेदना जताई।

बता दें कि 1986 में दिल्ली स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स से स्नातकोत्तर के बाद जैन ने बाजार सर्वेक्षण और तकनीकी-आर्थिक व्यवहार्यता रिपोर्ट देने वाले सलाहकार के रूप में करियर शुरू किया। बाद में वह फिक्की में शामिल हो गए, जहां निर्यात नीति डेस्क के प्रभारी थे। उन्होंने 1991 में इंडिया टुडे पत्रिका में एक रिपोर्टर के रूप में अपना पत्रकारिता करियर शुरू किया। एक साल के लिए पत्रिका के बिजनेस एडिटर बने।

वह इसके बाद द इंडियन एक्सप्रेस के लिए सभी व्यवसाय और अर्थव्यवस्था कवरेज के प्रमुख बन गए। एक्सप्रेस में छह साल काम करने के बाद वह आठ साल के लिए बिजनेस स्टैंडर्ड में चले गए और फिर एक्सप्रेस ग्रुप में द फाइनेंशियल एक्सप्रेस के सहायक संपादक के रूप में लौट आए।