Punjab and Haryana High Court: पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट एक शख्स को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है। ससुर पर आरोप है कि वो अपनी पुत्रवधू को यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करता था। कोर्ट ने कहा कि उसके (ससुर) खिलाफ लगाए गए आरोपों की गंभीरता को देखते हुए उसे अग्रिम जमानत नहीं दी सकती। जमानत मिलने पर जांच एजेंसी को असलियत सामने में बाधा पैदा हो सकती है।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस सुमीत गोयल ने कहा कि इस बंधन की मर्यादा और गरिमा अटूट विश्वास, संरक्षकता और गंभीरता के साथ बनी रहती है, जबकि अनजाने में किए गए अनुचित कृत्य का संकेत मात्र भी ऐसे रिश्ते के लिए हानिकारक हो सकता है; इच्छा व्यक्त करना या प्रस्ताव रखना, या बहू को यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करना या इस तरह के किसी भी प्रभाव के लिए अनुचित टिप्पणी करना, ससुर की तरफ से बहुत गिरा हुआ स्तर है।
कोर्ट ने एक ऐसे व्यक्ति की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिस पर अपनी पुत्रवधू का यौन उत्पीड़न करने और उसका अपमान करने का आरोप है। आईपीसी की धारा 323, 354-ए, 498-ए और 506 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए प्राथमिकी दर्ज की गई थी। आरोप है कि शिकायतकर्ता (महिला) के पति ने नशे की हालत में उसके साथ दुर्व्यवहार किया और शिकायतकर्ता पर उसके परिवार से और अधिक दहेज मांगने का दबाव बनाया।
महिला की शिकायत के आधार पर कोर्ट ने कहा कि ससुर ने उसके साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश की। साथ ही महिला के पति ने इन कृत्यों का समर्थन किया तथा विरोध करने पर तलाक की धमकी दी।
मौजूद दस्तावेजों की जांच करने के बाद कोर्ट ने पाया कि जब याचिकाकर्ता (ससुर) ने कथित रूप से शिकायतकर्ता की गरिमा को ठेस पहुंचाने की कोशिश की तो महिला ने उस बातचीत को रिकॉर्ड कर लिया था, जिसमें याचिकाकर्ता (ससुर) महिला के खिलाफ अनुचित बातें कह रहा था।
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कोर्ट ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा अब तक एकत्र की गई सामग्री से पता चलता है कि पीड़ित/शिकायतकर्ता और याचिकाकर्ता के बीच की वॉयस रिकॉर्डिंग वाली एक पेन-ड्राइव को कब्जे में ले लिया गया है, जो याचिकाकर्ता द्वारा अपराध किए जाने का संकेत देती है।
जस्टिस गोयल ने स्पष्ट किया कि ससुर और पुत्रवधू का रिश्ता पिता और पुत्री के बीच के रिश्ते के समान है, जो पारस्परिक सम्मान, स्नेह और सम्मान पर आधारित है। फिलहाल, मामले की गंभीरता को देखते हुए जज ने कहा कि राहत देने से जांच एजेंसी के स्वतंत्र, निष्पक्ष और निष्पक्ष जांच करने के अधिकारों में अनुचित बाधा उत्पन्न होगी। साथ ही कोर्ट ने ससुर की याचिका को खारिज कर दिया