सीनियर एडवोकेट राम जेठमलानी द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 3.42 करोड़ रुपये का बिल भेजे जाने के बाद से देश के शीर्षस्थ वकीलों की फीस जेरे बहस है। जेठमलानी वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा दर्ज कराए गए मानहानि के मुकदमे में केजरीवाल की तरफ से पेश होते हैं। जेठमलानी की फीस की खबर मीडिया में आती ही इस बात पर बहस छिड़ गई कि ये पैसे उन्हें केजरीवाल या आम आदमी पार्टी देंगे या दिल्ली सरकार जनता के खजाने से ये पैसा देगी? अभी ये बहस चालू ही थी कि जेठमलानी ने कह दिया कि वो गरीब मुवक्किलों से पैसे नहीं लेते और वो केजरीवाल को भी गरीब समझकर उनसे पैसा नहीं लेंगे। लेकिन क्या मोटी फीस लेने वाले मुवक्किलों को उनका मनचाहा फैसला दिलवा पाते हैं?
इस सवाल का सीधा जवाब है- कभी हाँ, कभी ना। यानी जरूरी नहीं कि मोटी फीस वाले वाले वकील मुवक्किल को केस जिता ही दें। ये अलग बात है कि बड़े वकीलों से मुवक्किलों को बड़ी उम्मीद होती है। अगर बात राम जेठमलानी ही की करें तो औसतन 25 लाख रुपये प्रति पेशी की फीस लेने वाले जेठमलानी कई चर्चित मामलों में वो अपने मुवक्किलों को राहत दिलवाने में नाकाम रहे। चाहे वो जेसिका लाल हत्याकांड के आरोपी मनु शर्मा हों या नाबालिग लड़की के बलात्कार के आरोपी आसाराम बापू जेठमलानी उन्हें मनचाहा फैसला नहीं दिलवा सके। जेठमलानी इंदिरा गांधी के हत्यारों सतवंत सिंह और केहर सिंह, और राहुल गांधी की हत्या के दोषी वी श्रीहरन को भी राहत नहीं दिला सके थे।
पूर्व केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में एक पेशी के लिए 5-15 लाख रुपये लेते हैं जबकि दिल्ली हाई कोर्ट में पेश होने के लिए वो 9-16 लाख रुपये लेते हैं। हाल ही में जब सिब्बल सहारा समूह के प्रमुख सुब्रतो रॉय की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए तो वो अपने मुवक्किल को वांछित राहित नहीं दिला सके थे। सहारा को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 14 हजार करोड़ रुपये जमा करने हैं। जब फरवरी में इस मामले की सुनवाई के दौरान सिब्बल ने पैसे जमा करने के लिए जुलाई तक समय मांगा तो सर्वोच्च अदालत ने उन्हें झिड़की देते हुआ कहा कि वो जल्द पैसे जमा कराए नहीं तो उनके मुवक्किल की संपत्तियों को नीलाम करने का आदेश दे देंगे।
पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री अभिषेक मनु सिंघवी सुप्रीम कोर्ट में एक पेश का 6-11 लाख रुपये लेते हैं। वहीं दिल्ली हाई कोर्ट में पेश होने के लिए सिंघवी हर बार का 7-15 लाख रुपये लेते हैं। लेकिन हाल ही में जब सिंघवी सोसाइटी ऑफ ऑटोमोबाइल मैनुफैक्चरर की तरफ से बीएस-3 गाड़ियों पर रोक लगाने के मामले में पेश हुए तो उन्हें अदालत से राहत नहीं मिली। सुप्रीम कोर्ट ने सिंघवी की दलीलों को खारिज करते हुए 31 मार्बीच के बाद एस-3 गाड़ियों पर बिक्री पर रोक लगा दी।
पूर्व कानून मंत्री और सीनियर एडवोकेट शांति भूषण भी देश के नामी-गिरामी वकीलों में गिने जाते हैं। शांति भूषण सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट में हर पेशी के लिए 4-6 लाख रुपये लेते हैं। शांति भूषण अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में सहारा-बिरला डायरी मामले में एक एनजीओ की तरफ से पेश हुए थे। भूषण के मुवक्किल की मांग थी कि इन डायरी के आधार पर प्रदानमंत्री नरेंद्र मोदी पर मुकदमा चलाया जाए लेकिन सर्वोच्च अदालत ने उनकी दलीलें खारिज कर दीं।
फाली नरीमन, कपिल सिब्बल, पी चिदंबरम जैसे बड़े वकील कितनी फीस लेते हैं ये जानने के लिए तस्वीर पर क्लिक करें-
