जम्मू कश्मीर के पूर्व नेता और नेश्नल कॉन्फ्रेंस के नेता धारा 370 को लेकर बड़ा बयान दिया है। समाचार एजेंसी एनआई के मुताबिक उन्होंने कहा कि अगर धारा 370 अस्थाई है तो फिर जम्मू कश्मीर का अधिग्रहण भी अस्थाई है और जब महाराजा ने इसे स्वीकार किया था तब भी यह अस्थाई था। अब्दुल्ला ने आगे कहा कि उस समय कहा गया था कि आगे जनमत संग्रह होगा और यह फैसला जनता का होगी कि वह भारत के साथ जाना चाहती है या पाकिस्तान के साथ। जब ऐसा नहीं हुए तो फिर धारा 370 को कैसे हटाया जा सकता है?
गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को 6 महीने के लिए और बढ़ाने के लिए लोकसभा और राज्यसभा में बिल पास हो गया है। साल 2018 के जून में बीजेपी और पीडीपी के गठबंधन टूटने के बाद से वहां राष्ट्रपति शासन लागू है।
F Abdullah: If Art 370 is temporary then our accession is also temporary, when Maharaja acceded, it was temporary.Was said at that time that a plebiscite will happen & ppl will decide whether to go with India or Pakistan, so if that didn’t happen,then how can they remove Art 370? pic.twitter.com/fWuAWZt9pj
— ANI (@ANI) July 1, 2019
लोकसभा में अमित शाह ने कहा कि हम राज्य में राष्ट्रपति शासन राज्य की सुरक्षा की नजर से 6 महीन के लिए बढ़ा रहे हैं। बता दें कि संसद में जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) बिल 2019 (Jammu and Kashmir Reservation Amendment Bill, 2019) पेश किया गया। इन दोनों बिल पर समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और बीजू जनता दल ने भी समर्थन का एलान किया है। इस दौरान अमित शाह ने कहा कि मैं फिर दोहराना चाहता हूं कि नरेन्द्र मोदी सरकार की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति है। जम्हूरियत सिर्फ परिवार वालों के लिए ही सीमित नहीं रहनी चाहिए।